बिहार में लोकनृत्यों का भी अत्यधिक महत्व है। यहाँ सभी पर्वों, जैसे- संस्कार, पर्व और मनोरंजन इत्यादि पर लोकनृत्यों को किया हटा है इन लोकनृत्यों से आपसी सौहार्द और एकता का भाव भी जागृत होता है। राज्य के निम्नलिखित नृत्य उल्लेखनीय हैं करमा नृत्य बिहार की आदिवासी जनजातियों में करमा…
Read Moreबिहार से विभाजित होकर नया राज्य बनने के पश्चात झारखंड में जनजातियों की संख्या बहुत कम हो गई, किन्तु कुछ जनजातियों अभी भी हैं, जो बिहार की समृद्ध सामाजिक संस्कृति को अपनी प्राचीन संस्कृति से योगदान देती हैं। बिहार में पाए जानेवाली प्रमुख जनजातियाँ निम्नलिखित हैं गोंड यह जनजाति बिहार…
Read Moreबिहार के लोकनाट्यों का जनजीवन में काफी महत्वपूर्ण स्थान है। इन नाटयों में अभिनय, संवाद, कथानक, गीत तथा नृत्यों का अत्यधिक महत्व हैं। इन्हें सांस्कृतिक और मांगलिक अवसरों पर दक्ष कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। बिहार में प्रचलित लोकनाट्यों का वर्णन निम्नलिखित है – जट-जटिन यह लोकनाट्य एक जट…
Read Moreभारत में क्षेत्रीयता के आधार पर लोकगीतों का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक राज्य में लोकगीतों की अलग-अलग परंपरा रही है। यह लोकगीतों पर्व-त्योहार, शादी-विवाह, जन्म, मुंडन, जनेऊ आदि अवसरों पर गाए जाते हैं। इन लोकगीतों में अंगिका लोकगीत प्राकृतिक सौंदर्य का तथा मगही लोकगीत पारिवारिक संबंधों का वर्णन करते…
Read Moreऋग्वैदिक काल (1500-1000 ई.पू.) के अंतिम चरण में सामाजिक जीवन में कई प्रकार की कुरीतियों आने लगीं। ऋगवेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में पहली बार वर्ण-व्यवस्था का उल्लेख हुआ है, जो उत्तर-वैदिक काल का अंत होते-होते अपने जटिल स्वरूप में आ गयी। छठी सदी तक छुआछूत जैसे कुरीतियाँ…
Read Moreबिहार में मानव सभ्यता के इतिहास को मुख्यत: दो भागों में विभाजित किया जा सकता है प्राक्-ऐतिहासिक काल ऐतिहासिक काल प्राक्-ऐतिहासिक काल प्राक्-ऐतिहासिक काल से सम्बंधित आदि मानव के निवास के साक्ष्य बिहार के कुछ स्थानों से लगभग 1 लाख वर्ष पूर्व के मिले हैं। ये साक्ष्य पुरापाषाण युग के…
Read Moreबिहार का इतिहास अत्यंत ही समृद्ध एवं वैभवशाली रहा है। संस्कृतियों और धर्मों के अद्भुत समन्वय ने इस भूमि को विश्व के इतिहास में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है। बिहार के इतिहास के अध्ययन से संबंधित अनेक प्रकार के स्रोत उपलब्ध हैं। जिनमें पुरातात्त्विक एवं साहित्यिक, दोनों प्रकार के स्रोत…
Read Moreजन्म – 6 मार्च 1508 ई. (काबुल) माता – पिता – माहम बेगम, बाबर मूल नाम – नसीरुद्दीन महमूद राज्याभिषेक – 6 दिसंबर 1530 (आगरा) शासक बनने के पश्चात हुमायूँ ने अपने साम्राज्य का विभाजन अपने भाइयों में कर दिया जो उसकी सबसे बड़ी भूल थी | अपने पिता की…
Read Moreभारत में मुग़ल वंश का संस्थापक बाबर था | बाबर पिता की ओर से “चग़ताई तुर्क” तथा माता की ओर से “मंगोल वंश” से सम्बंधित था| अपने पिता की अकस्मात् मृत्यु के बाद बाबर मात्र 12 वर्ष की आयु में फरगना का शासक बना | किन्तु बाबर के द्वारा लिखित…
Read Moreकेंद्रीय प्रशासन – शासन का प्रधान सुलतान था जो निरंकुश और स्वेच्छाचारी शासक होता था, जो केंद्रीय प्रशासन सामान्यत: 8 मंत्रियों के सहयोग से संचलित किया जाता था | वकील-उस- सल्तनत – यह प्रधानमंत्री था। सुल्तान के सभी आदेश उसके द्वारा ही पारित हात थे | अमीर-ए-जुमला – यह वित्तमंत्री…
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