उत्तराखंड – पंवार वंश से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 5)

पवार वंश के शासनकाल में राजस्व का प्रमुख अधिकारी को क्या कहाँ जाता था – दफ्तरी माधोसिंह भंडारी द्वारा जिसने मलेथा गूल का निर्माण किया गया। माधोसिंह भंडारी पवार वंश के शासक महीपति शाह का सेनापति था अजयपाल को पंवार वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। पंवार वंश के शासक…

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उत्तराखंड – पंवार वंश से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 4)

वर्ष 1946 में देवप्रयाग (टिहरी) में हिमालय नक्षत्र वैद्यशाला की स्थापना की गयी थी। गुरु गोविन्द सिंह और गढ़ नरेश फतेहशाह के मध्य पांवटा के निकट भगाणी नामक स्थल पर युद्ध हुआ। सुदर्शन शाह ने अपने दरबार में चैतु और माणकू नामक चित्रकारों को आश्रय दिया था। उत्तराखंड में राजस्व…

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उत्तराखंड – पंवार वंश से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 3)

पंवार शासन काल में पितृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था थी। सामाजिक दृष्टि से श्रीनगर एक मुख्य नगर कौन-सा था। ब्राह्मणों एवं राजपूतों के मध्य कौन-सी विवाह पद्धति प्रचलित थी – ब्रह्मविवाह चावल, गेहूं, जौ और मडुवा पंवार वंश के शासनकाल में प्रमुख खाद्यान्न फसले थी। कृषि व पशुपालन पंवार वंश के शासनकाल…

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उत्तराखंड – पंवार वंश से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 2)

वर्ष 1519 ई. में अजयपाल की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र कल्याण शाह गद्दी पर बैठा। तिब्बत को पुराने समय में दाबा कहा जाता था। तिब्बत पर पहला शासक (गढ़वाल) का जिसने आक्रमण किया – विजयपाल गढ़वाल का शासक बलभद्र शाह, भीष्मचंद, बालोचंद, रुद्रचंद एवं चित्रकार मोलाराम मुग़लकालीन शासक अकबर…

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पंवार वंश के शासनकाल में रचित कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथ

रचनाएँ लेखक प्रद्युमनो दय रामदत्त फतेहशाह यशोवर्णनम रामचन्द्र सभा भूषण हरिदत्त शर्मा रसविलास काव्य सदानन्द डबराल सुदर्शनों दय कुमुदानन्द कीर्ति विलास सदानन्द डबराल महाकाव्य कनक वंश बालकृष्ण भट्ट सुदर्शन दर्शन (कविता) मोलाराम प्रेम पथिक तोताराम गैरोला भवानी मिलाप योगेन्द्र दत्त दोर्गादली गढ़वाल वर्णन, नरेन्द्र हिन्दु लॉ हरिकृष्ण रतूड़ी मनोदय काव्य…

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उत्तराखंड – पंवार वंश से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 1)

887 ई. में मालवा के राजकुमार कनकपाल बद्रीनाथ की तीर्थ यात्रा पर आए थे। इस समय चांदपुरगढ़ का सबसे शक्तिशाली राजा भानुप्रताप था। भानुप्रताप ने अपनी विवाह का विवाह कनकपाल से कर दिया। गढ़वाल के पंवार वंश या परमार वंश का संस्थापक कौन था – कनकपाल (888-898) पंवार वंश की…

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पौरव वंश से संबंधित प्रमुख तथ्य

राजा जिस स्थान पर अपने परिवार के साथ रहता था उस स्थान को पौरव शासनकाल में कोट कहा जाता था। पौरव वंश के शासनकाल में सेना तीन भागों में विभाजित होती थी – गज (गजपति), अश्व (अश्वपति), पैदल (जयनपति) इस काल में भूमि कर को भाग जाता था, जो उपज…

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उत्तराखंड में प्रमुख व्यक्तियों के नाम एवं उपनाम

उपनाम मूल नाम दैवेज्ञ मुकुन्द राम बड़थ्वाल चारण शिव प्रसाद डबराल गिर्दा गिरीश तिवाड़ी कुमाऊँ की लक्ष्मीबाई जियारानी गढ़वाल की ‘झंसी की रानी’ तीलू रौतेली टिंचरी माई ठगुली देवी शिवानी गौरापंत सतपाल महराज सतपाल सिंह रावत उत्तराखण्ड का गांधी इन्द्रमणि बडोनी उत्तराखण्ड का वृक्ष मानव विशेश्वर दत्त सकलानी काली कुमाऊँ…

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विश्व रंगमंच दिवस (World Theater Day)

विश्व रंगमंच दिवस (WTD) प्रत्येक वर्ष 27 मार्च को मनाया जाता है। सर्वप्रथम वर्ष 1961 में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (International Theater Institute) द्वारा इस दिवस की शुरुआत की गयी थी। प्रमुख बिंदु  इस अवसर को चिह्नित करने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रंगमच (theater) कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।…

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उत्तराखंड आद्य ऐतिहासिक काल के प्रमुख लेख

अशोक का कालसी अभिलेख यमुना और टोंस नदी के संगम पर कालसी नामक एक छोटा सा क़स्बा है, जिसका प्राचीन नाम “खलतिका” था, और कही-कहीं इसका नाम “कालकूट” व “युगशैल” भी मिलता है।  देहरादून में अमलावा नदी और यमुना नदी के संगम पर 257 ई.पू. में लिखित अशोक का कालसी अभिलेख  स्थित है।  अशोक…

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