जल को उसकी विशेषताओं के आधार पर मुख्यत: दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
मृदु जल (Soft Water)
वह जल जो साबुन (soap) के साथ आसानी से झाग देता है, उसे मृदु जल कहते है।
कठोर जल (Hard Water)
वह जल जो साबुन (soap) के साथ कठिनाई से झाग देता है, उसे कठोर जल कहते हैं। जल की कठोरता (Water hardness) उसमें उपस्थित कैल्शियम (calcium) और मैग्नीशियम (Magnesium) के बाइकार्बोनेट, क्लोराइड, सल्फेट, नाइट्रेट आदि लवणों के घुले होने के कारण होती है। जब तक कठोर जल (Hard Water) में उपस्थित कैल्शियम (calcium) और मैग्नीशियम (Magnesium) आयनों का पूर्णतः अवक्षेपण नहीं हो पाता तब तक (Hard Water) साबुन के साथ झाग नहीं बनाता।
जल की उसकी कठोरता के आधार पर मुख्यतः दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
अस्थायी कठोरता (Temporary hardness) – वह जल जिसे उबालने पर उसकी कोठरता समाप्त हो जाती है, उसे अस्थाई कठोरता (Temporary hardness) कहते है। यह कठोरता जल में कैल्शियम (calcium) और मैग्नीशियम (Magnesium) के बाइकार्बोनेट घुलें होने के कारण होती है। जल को उबालने या जल में बुझा चूना ( pouring lime) डालने से भी जल की अस्थाई कठोरता (Temporary hardness) को दूर किया जा सकता है।
स्थायी कठोरता (Permanent hardness) – वह जल जिसे उबालने पर भी उसकी कठोरता दूर नहीं होती तो उसे स्थायी कठोरता (Permanent hardness) कहते है। जल की स्थायी कठोरता (Permanent hardness) उसमें उपस्थित कैल्शियम (calcium) और मैग्नीशियम (Magnesium) के सल्फेट, क्लोराइड, नाइट्रेट आदि लवणों के घुले रहने के कारण होती है।
शुद्ध जल (Pure water)
शुद्ध जल का PH-7 होता है।
जल 100°C तापमान पर खौलने तथा 4°C से नीचे तापमान पर जमने लगता है। 4°C पर जल का घनत्व सर्वाधिक होता है जबकि इससे अधिक या कम ताप पर घनत्व घटने लगता है।
पेट्रोल (petrol) द्वारा लगी आग को बुझाने के लिए पानी का प्रयोग नहीं किया जाता, क्योंकि पेट्रोल के पानी से हल्का होने के कारण जल की सतह से ऊपर आकर जलता रहता है।
जल के शुद्ध तथा रोगाणु रहित करने के लिए ब्लीचिंग पाउडर (Bleaching powder) या फिटकरी (alum) का प्रयोग किया जाता हैं।
धूल कण, बैक्टिरिया तथा आदि दूषित पदार्थ जल में कोलाइडी विलयन ( colloidal solution) बनाते हैं। इस जल में फिटकरी (alum) मिलाने पर ये सभी स्कंदित हो जाते हैं और जल शुद्ध ( water is purified) प्राप्त होता है। |
Note :
- चोट (injury) वाले स्थान पर फिटकरी (alum) रखने से रक्त तथा जीवाणु (bacteria) स्कंदित हो जाते हैं और रक्त स्राव बन्द हो जाता है।
- हाइड्रोजन परऑक्साइड (H2O2) के तनु घोल (विलयन) का प्रयोग कीटाणुनाशक के रूप में कान, दाँत, घाव, फोड़ा आदि धोने के काम आता हैं ।
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