बहमनी राज्य का प्रशासन (Administration of Bahmani Empire)

केंद्रीय  प्रशासन – 

शासन का प्रधान सुलतान था जो निरंकुश और स्वेच्छाचारी शासक होता था, जो  केंद्रीय प्रशासन सामान्यत: 8 मंत्रियों के सहयोग से संचलित किया जाता था |

  1. वकील-उस- सल्तनत – यह प्रधानमंत्री था। सुल्तान के सभी आदेश उसके द्वारा ही पारित हात थे |
  2. अमीर-ए-जुमला – यह वित्तमंत्री था |
  3.  वजीर-ए-अशरफ – यह विदेश मंत्री था |
  4. वजीर-ए-कुल – यह सभी मंत्रियों के कार्यों का निरीक्षण करता था
  5. पेशवा – यह वकील के साथ संयुक्त रूप से कार्य करता था |
  6. नाजिर – यह अर्थ विभाग से संलग्न था तथा उपमंत्री की भांति कार्य करता था |
  7. कोतवाल – यह पुलिस विभाग का अध्यक्ष था |
  8. सद-ए-जाहर (राष्ट्र-ए-जहाँ) – यह सुल्तान के पश्चात् राज्य का मुख्य न्यायाधीश था तथा धार्मिक कार्यों तथा राज्य को दिये जाने वाले दान की भी व्यवस्था करता था |

प्रान्तीय  शासन

प्रान्तीय  शासन व्यवस्था को सु-व्यवस्थित करने के लिए अपने राज्य को चार सूबों में विभाजित किया गुलबर्गा, दौलताबाद, बरार और बीदर|  प्रान्तीय गवर्नर अपने-अपने प्रान्त में सर्वोच्च होता था तथा उसका प्रमुख कार्य अपने प्रान्त में राजस्व वसूलना, सेना संगठित करना व प्रान्त के सभी नागरिक व सैनिक क्षेत्र के कर्मचारियों की नियुक्ति करना था |
मुहम्मद शाह तृतीय के समय में बहमनी साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार हुआ। उसके प्रधानमंत्री महमूद गवां ने प्रशासनिक सुधारों के अन्तर्गत प्रान्तों को आठ सूबों  – बरार को गाविल व माहुर में, गुलबर्गा को बीजापुर व गुलबर्गा में, दौलताबाद को दौलताबाद व जुन्नार में तथा बीदरको राजामुंदी और वारंगल में विभाजित किया |
साहित्य

  • बहमनी शासकों ने अरबी और फ़ारसी विद्वानों को अपने राज्य में संरक्षण प्रदान किया तथा महमूद गवां ने इन भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए बीदर में एक भव्य पुस्तकालय और मदरसा की  स्थापना की |
  • प्रसिद्ध सूफी संत गेसूदराज दक्षिण के प्रथम विद्वान थे उर्दू पुस्तक मिरात-उल-आशिकी की फ़ारसी भाषा में रचना की |
  • इब्राहिम आदिलशाह द्वितीय प्रथम शासक था जिसने उर्दू को बीजापुर की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया |

कला और वास्तुशिल्प 
मुहम्मद बिन तुगलक के दक्षिण के दौलताबाद में राजधानी स्थापित करने के पश्चात एक नई कला हिन्दू-मुस्लिम कला और वास्तुशिल्प का प्रारम्भ हुआ, तथा बहमनी साम्राज्य की स्थापना के बाद इसका विकास तीन चरणों में हुआ |

  • गुलबर्गा काल
  • बीदर काल
  • उत्तरवर्ती बहमनी साम्राज्य

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