प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए पुरातात्विक स्रोतों के अंतर्गत अभिलेख, सिक्के, मूर्तियां, चित्रकला, मृदभांड एवं मोहरें आते है।
अभिलेख
- अभिलेखों के अध्ययन को पुरालेखशास्त्र (Epigraphy) अथवा पुरालिपि शास्त्र कहते हैं।
- सामान्यत: अभिलेखों को स्तंभों, शिलाओं, गुफाओं, मूर्तियों आदि पर उत्कीर्ण करवाए जाते थे। शासकों द्वारा उत्कीर्ण कराए गए अभिलेखों व शिलालेखों से उनके जीवन, विचार, साम्राज्य विस्तार, धर्म संबंधी दृष्टिकोण आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
प्रमुख अभिलेख
- अशोक के शिलालेखों व अभिलेख, कलिंग राजा खारवेल का हाथी गुंफा अभिलेख, समुद्रगुप्त का प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख, स्कंदगुप्त का भितरी स्तंभलेख, पुष्यमित्र शुंग का स्तंभलेख आदि। ये सभी राजकीय या सरकारी अभिलेख हैं।
- वह अभिलेख जो सामान्यत: मंदिर की दीवारों एवं मूर्तियों पर अंकित कराए जाते थे, उन्हें गैर-राजकीय अभिलेख कहा जाता हैं।
सिक्के/मुद्राएं
- प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए सिक्के व मुद्राएं भी महत्त्वपूर्ण पुरातात्विक स्रोत हैं। सिक्कों के अध्ययन को न्यूमिस्मैटिक (Numismatic) कहा जाता है।
- प्राचीन काल में सिक्के मुख्यत: सोने, चांदी, तांबे, पीतल व कांसे आदि से निर्मित किए जाते थे।
- प्राचीनकालीन सिक्कों पर लेख के बजाएं केवल चिह्न पाए गए हैं, जिनमें राजाओं के नाम, उनकी उपाधियां, चित्र, तिथियों आदि का वर्णन मिलता है।
- प्राचीनकालीन में सिक्कों व मुद्राओं पर विभिन्न शासकों की वंशावली, शासन-प्रबंधन तथा राजनैतिक व धार्मिक विचारों को जानने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में लगभग तीन शताब्दियों तक शासन करने वाले हिंद-यूनानी शासकों (Indo-Greek rulers) के बारे में जानकारी हमें सिक्कों व मुद्राओं से प्राप्त होती है।
मूर्तियां (Sculptures)
- प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए मूर्तियाँ भी प्रमुख पुरातात्विक स्रोत है। मूर्तियों से उस काल की सांस्कृतिक तथा कला संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं।
- मूर्तियों से विदेशियों के साथ संबंधों के बारे में जानकारियाँ प्राप्त होती है। जैसे – कुषाणकाल की मूर्तिकला में यूनानी प्रभाव अधिक दिखाई देता है।
- पाटलिपुत्र, हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, तक्षशिला व मथुरा से प्राप्त मूर्तियों तथा अजंता, एलोरा, साँची भरहुत के स्तूप एवं गुफाओं से वहाँ की सभ्यता व संस्कृति का जानकारी प्राप्त होती है
चित्रकला (Painting)
चित्रकला किसी भी साम्राज्य के समाज व शासन की सांस्कृतिक उन्नति के बारे में पता चलता है, जैसे –
- भीमबेटका (मध्य प्रदेश) की गुफाओं में निर्मित चित्र तत्कालीन प्रागैतिहासिक कालीन महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
- अजंता की गुफाओं में निर्मित चित्रकला में ‘माता और शिशु’ तथा ‘मरणासन्न राजकुमारी’ के भावनात्मक रूपों का चित्रण किया गया है।
Note: भीमबेटका की गुफ़ाओं को यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व विरासत स्थल (world Heritage Site) घोषित किया गया है
मृदभांड (Pottery)
मृदा से निर्मित बर्तन (मृदभांड) भी पुरातात्विक स्रोतों की जानकारी के प्रमुख स्रोत हैं। नवपाषाण काल में निर्मित पीले रंग के मृदभांड, हड़प्पा काल के लाल मृदभांड, उत्तर वैदिक काल के चित्रित धूसर मृदभांड तथा काले मृदभांड से मौर्यकाल की पहचान की जाती है। मृदभांड देश के विभिन्न स्थलों से प्राप्त हुए हैं, जो भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को जानने व समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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