बिहार की जलवायु (Bihar’s climate)

बिहार का संपूर्ण भाग उपोष्ण कटिबंध क्षेत्र में स्थित राज्य है, जो एक मानसूनी जलवायु का प्रदेश है। बिहार की जलवायु आर्द्र उपोष्ण जलवायु (Humid Subtropical climate ) है। किसी स्थान की जलवायु पर सर्वाधिक प्रभाव (Latitude) का पड़ता है, इसके अतिरिक्त अन्य कारकों में ऊँचाई, समुद्र से दूरी, वायु की दिशा, वन, समुद्री जलधारा, वर्षा की मात्रा, पर्वत आदि भी जलवायु को प्रभावित करते हैं।
अक्षांशीय दृष्टिकोण (latitudinal point) से बिहार कर्क रेखा (Cancer Line) के उत्तर में स्थित है। बिहार के पूर्वी भाग में अररिया, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, सहरसा आदि जिलों में अधिक वर्षा होने के कारण आर्द्र जलवायु पाई जाती है, जबकि उत्तरी-पश्चिमी भाग में गोपालगंज, सीवान, सारण आदि में अर्द्ध-शुष्क जलवायु पाई जाती है। राज्य के उत्तरी भाग में हिमालय की स्थिति का प्रभाव पड़ता है। बंगाल की खाड़ी की ओर से आनेवाली वाष्पयुक्त वायु हिमालय पर्वत से टकराकर भारी वर्षा कराती है।
बिहार में मई से जून तथा अक्तूबर से नवंबर में बंगाल की खाड़ी से उठनेवाले चक्रवातों का भी राज्य की जलवायु पर प्रभाव पड़ता है। शरद ऋतू में पछुवा विक्षोभ के कारण शीतोष्ण चक्रवातीय वर्षा का भी प्रभाव राज्य पर पड़ता। बिहार की जलवायु में वर्षभर नमी बनी रहती है, जिस कारण बिहार की जलवायु को संशोधित महाद्वीपीय जलवायु कहते हैं। बिहार में विभिन्न जलवायविक विशेषता के कारण तीन प्रकार की ऋतुएँ पाई जाती हैं  —

  • ग्रीष्म ऋतु (मध्य मार्च से मध्य जून तक),
  • वर्षा ऋतु (मध्य जून से मध्य अक्तूबर तक),
  • शीत एवं शरद ऋतु (मध्य अक्तूबर से मध्य मार्च तक)।

ग्रीष्म ऋतु (Summer Season)

बिहार में ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ मार्च में होता है। इस समय सूर्य के उत्तरायण में होने के कारण तापमान में वृद्धि होने लगती है तथा मई में बिहार का तापमान सर्वाधिक होता है। ग्रीष्म ऋतु में राज्य का औसत तापमान 35-45 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य रहता है।
तापमान में वृद्धि होने के साथ-साथ मैदानी भाग निम्नभार का क्षेत्र बन जाता है। जिस कारण ग्रीष्म ऋतु में आर्द्रता में कमी आ जाती है तथा हवाएँ शुष्क एवं गरम होती हैं, जिनकी दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होती है। इस शुष्क वायु को ‘लू’ कहते हैं। यह गरम वायु मूलतः पंजाब, राजस्थान के मैदान के गरम होने से बननेवाले बृहत निम्न भारवाले क्षेत्र से प्रवाहित होती है। इस मौसम में कभी-कभी बारिश भी होती है। मई-जून में बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान की उत्पत्ति होती है, जिससे राज्य के पूर्वी भागों में वर्षा होती है। इस प्रकार के चक्रवाती तूफान को नार्वेस्टर या काल वैशाखी कहते हैं। ग्रीष्म ऋतु में राज्य का सबसे गरम जिला गया रहता है।

 वर्षा ऋतु  (Rainy Season)

बिहार में वर्षा ऋतु का प्रारंभ मध्य जून से होकर मध्य अक्तूबर तक रहता है। ग्रीष्म ऋतु के अंत तक बिहार के मैदानी भाग के क्षेत्र में निम्न वायुदाब का विकास होता है। जिस कारण निम्न वायुदाब क्षेत्र मानसूनी गर्त की तरह कार्य करता है जिससे मानसूनी वायु आकर्षित होती है, जिस कारण वर्षा होती है।
बिहार के पूर्वी भाग – अररिया, पूर्णिया, किशनगंज,  सहरसा कटिहार, आदि जिलों में अधिक वर्षा होने के कारण आर्द्र जलवायु पाई जाती है, जबकि उत्तरी पश्चिमी भाग में सारण, गोपालगंज, सीवान आदि क्षेत्र  में अर्ध-शुष्क जलवायु पाई जाती है तथा बिहार के दक्षिण-पश्चिम भाग में ग्रीष्मकालीन मानसून से अधिकांश वर्षा होती है।
बिहार में मानसून का आगमन 10 जून से तथा 15-20 जून तक संपूर्ण बिहार में विस्तृत हो जाता है। किशनगंज बिहार का सर्वाधिक वर्षा ग्रहण करने वाला जिला है। जैसे-जैसे मानसूनी वायु का प्रवाह पश्चिम की ओर होता है, वर्षा की मात्रा में कमी आती जाती है। अक्तूबर के मध्य तक बिहार से मानसून वापस लौटने लगता है, वायु विपरीत दिशा में वापस लौटने लगती है, जिसे मानसून का लौटना (Retreating of Monsoon) कहते हैं।

शीत ऋतु (Winter Season)

मध्य अक्तूबर से नवंबर तक के समय, मानसून की उत्पत्ति का प्रमुख कारण जेट स्ट्रीम (Jet Stream) वायु हिमालय की दक्षिणी ठंडी वायु का स्वरूप ग्रहण करने लगती है। यह शरद ऋतु की स्थिति होती है। इसी समय शीत ऋतु का बिहार में प्रारंभ होने लगता है। शीत ऋतु की प्रमुख विशेषता — आसमान साफ एवं ठंडी वायु मंद गति से स्थल से समुद्र की ओर प्रवाहित होने लगती है अतः प्रति चक्रवातीय स्थिति उत्पन्न होती है। इस ऋतु में औसत तापमान 16 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है, जबकि जनवरी महीने में न्यूनतम तापमान 4-10 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है। शीत ऋतु का सबसे ठंडा महीना जनवरी होता है। शीत ऋतु में पछुआ विक्षोभ के कारण हल्की वर्षा होती है तथा ठंड बढ़ने से पाला पड़ने लगता है, जिससे फसलों, विशेषकर आलू, को हानि पहुँचती है।

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