वाताग्न वह सीमा है जिसके सहारे दो विपरीत स्वभाव वाली वायु (ठंडी व गर्म वायु) आपस मिलती हैं। यह ठंडी व गर्म वायु के मध्य 5 से 80 Km चौड़ी एक संक्रमण पेटी होती है। इसे वाताग्न प्रदेश भी कहा जाता है। वाताग्न उत्पत्ति की प्रक्रिया को वाताग्न उत्पत्ति एवं…
Read Moreपृथ्वी की सतह पर वायु के भार द्वारा लगाया गया दाब, वायु दाब कहलाता है। वायुमंडल में ऊपर की तरफ जाने पर दाब (Pressure) तेजी से गिरने लगता है। समुद्र स्तर पर वायुदाब सर्वाधिक होता है और ऊंचाई पर जाने पर यह घटता जाता है। वायु दाब (Air Pressure) का…
Read Moreपृथ्वी पर औसत तापमान लगभग एक समान रहता है। यह सूर्यातप (Insolation) और भौतिक विकिरण (Physical radiation) में संतुलन के कारण ही संभव हुआ है। सूर्यातप (Insolation) और भौतिक विकिरण (Physical radiation) के मध्य संतुलन को ही पृथ्वी की उष्मा बजट (Heat budget) कहते हैं। यदि सूर्य से पृथ्वी के वायुमंडल की ऊपरी सतह…
Read Moreसौर विकिरण के द्वारा वायुमंडल तथा पृथ्वी के धरातलीय भाग पर प्राप्त होने वाली उष्मा (सूर्यातप) का मुख्य स्रोत सूर्य है जिससे लघु तरंगों के रूप में ऊर्जा प्राप्त होती है। सामान्यत: सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा को सूर्यातप कहते हैं। सूर्य दहकता हुआ गैस का गोला है जिसके कारण…
Read Moreभारत में जनजातीय क्षेत्रों में आने वाली मुख्य समस्याएँ निम्नलिखित है – भूमि पर अधिकारों में आती कमी अंग्रेजों के आगमन से पूर्व भूमि पर जनजातियों का पूर्ण अधिकार था परंतु उनके आगमन व स्वतंत्रता के पश्चात् तथा वन कानूनों से भूमि पर उनका अधिकार छिनता चला गया जिनसे इनकी संस्कृति…
Read Moreउत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियाँ यहाँ की प्रमुख जनजातियाँ भोटिया, थारू, बुक्सा, जौनसारी, राज शौका, खरवार और माहीगीर हैं। उत्तराखंड के नैनीताल में जनजाति की संख्या सर्वाधिक है। उसके बाद देहरादून का स्थान आता है। थारू — ये नैनीताल से लेकर गोरखपुर एवं तराई क्षेत्र में निवास करती हैं जो किरात वंश की…
Read Moreवर्ष 1960 ई. में चंदा समिति की रिपोर्ट के आधार पर अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत किसी भी जाति या समुदाय को सम्मिलित किए जाने के मुख्य 5 मानक निर्धारित किए थे। भारत में कुल 461 जनजातियाँ हैं जिनमें से 424 अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आती हैं। इन्हें सात क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है – उत्तरी क्षेत्र इसके…
Read Moreवर्ष 1931 की जनगणना रिपोर्ट के आधार पर डॉ. बी. एस. गुहा का प्रजाति वर्गीकरण सबसे प्रमुख व सर्वमान्य है, जिसका संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है – नीग्रो (Negros) नीग्रो (Negros) प्रजाति के लोग मुख्यत: अण्डमान निकोबार द्वीप समूह में पाएँ जाते हैं। इन्हें भारत के विभिन्न क्षेत्रों में निम्न नामों से जाना…
Read Moreहरबर्ट रिजले ने सर्वप्रथम भारतीय जनसंख्या में प्रजातियों का विवरण प्रस्तुत किया। इनके द्वारा उल्लिखित प्रजातियों के क्षेत्र इस प्रकार हैं द्रविड़ (Dravid) इसके अंतर्गत भारत में आदिम प्रजाति माना जाता है तथा इसका निवास मिलनाडु, आंध्रप्रदेश, छोटा नागपुर पठार तथा मध्य प्रदेश राज्य के दक्षिणी भागों में है। इन्हें…
Read Moreकोपेन ने सर्वप्रथम वर्ष 1918 में भारत को तीन जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया। इसके पश्चात् उन्होंने इस योजना में वर्ष 1931 व 1936 में इसमें संशोधन किया। कोपेन ने जलवायु प्रदेशों के निर्धारण हेतु निम्नलिखित चरों (Variables) का प्रयोग किया है वार्षिक एवं मासिक औसत तापमान वार्षिक एवं मासिक…
Read More