साधरण भाषा में भूकंप का अर्थ है – पृथ्वी का कंपन (Vibration)। यह एक प्राकृतिक घटना है। जिसमें ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो सभी दिशाओं में विस्तृत होकर भूकंप उत्पन्न करती है। कंपन के कारण सामान्यतः भ्रंश के किनारे-किनारे ही ऊर्जा निकलती है। क्योंकि भू-पर्पटी (Earth Crust) की…
Read Moreप्रारंभ में पृथ्वी चट्टानी, गर्म और वीरान ग्रह थी, जिसका वायुमंडल विरल था जो हाइड्रोजन (Hydrogen) व हीलीयम (Helium) से बना था। यह आज की पृथ्वी के वायुमंडल से बहुत अलग था। अतः कुछ ऐसी घटनाएँ एवं क्रियाएँ अवश्य हुई जिनके कारण चट्टानी, वीरान और गर्म पृथ्वी एक ऐसे सुंदर…
Read Moreआधुनिक सिद्धांत (Modern theory) आधुनिक समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति सम्बन्धी सर्वमान्य सिद्धांत बिग बैंग सिद्धांत (Big Bang Theory) है। इसे विस्तरित ब्रह्मांड परिकल्पना (Expanding Universe Hypothesis) भी कहा जाता है। 1920 ई॰ में एडविन हब्बल (Edwin Hubble) ने प्रमाण दिये कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है और समय बीतने के…
Read Moreपृथ्वी पर अनगिनत प्रकार के स्थलरूप हैं। स्थलमंडल के कुछ भाग ऊँचे-नीचे तथा कुछ समतल होते हैं। ये स्थलरूप दो प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप बनते हैं। आंतरिक प्रक्रिया के कारण बहुत से स्थानों पर पृथ्वी की सतह कहीं ऊपर उठ जाती है तो कही धँस जाती है। बाह्य प्रक्रिया स्थल के…
Read Moreपृथ्वी की सतह में पर्यावरण के तीन महत्त्वपूर्ण घटक आपस में मिलते हैं तथा एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। जिसके संयुक्त रूप को परिमंडल कहते है जिसे मुख्यत तीन भागों में विभाजित कर सकते है भूमंडल / स्थलमंडल – पृथ्वी का ठोस भाग जिस पर हम रहते हैं उसे भूमंडल…
Read Moreपृथ्वी में किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति का निर्धारण अक्षांश (latitude) और देशांतर (Longitude) रेखाओं द्वारा किया जाता है। किसी स्थान का अक्षांश (latitude), धरातल पर उस स्थान की “उत्तर से दक्षिण” की स्थिति को तथा किसी स्थान का देशांतर (Longitude), धरातल पर उस स्थान की “पूर्व से पश्चिम” की…
Read Moreसौरमंडल (Solar System) हमारा सौरमंडल इस आकाशगंगा का एक भाग है। प्राचीन भारत में इसकी कल्पना आकाश में प्रकाश की एक बहती नदी से की गई थी। इस प्रकार इसका नाम आकाशगंगा पड़ा था। आकाशगंगा करोड़ों तारों, बादलों तथा गैसों की एक प्रणाली है। इस प्रकार की लाखो आकाशगंगाएँ मिलकर…
Read Moreखनिज भू-वैज्ञानिकों के अनुसार खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व है जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना है। खनिज प्रकृति में अनेक रूपों में पाए जाते हैं जिसमें कठोर हीरा व नरम चूना तक सम्मिलित हैं। वर्तमान में यद्यपि 2000 से अधिक खनिजों की पहचान की जा चुकी है, लेकिन…
Read Moreहमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्कताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है और जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है, जो आर्थिक रूप से संभाव्य और सांस्कृतिक रूप से मान्य है, एक ‘संसाधन’ है। प्रकृति में उपलब्ध सभी संसाधन मानवीय क्रिया का परिणाम हैं।…
Read Moreभूमि संसाधनों का उपयोग करके फसलों का उत्पादन करना कृषि कहलाता है भारत कृषि की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण देश है। इसकी दो-तिहाई जनसंख्या कृषि कार्यों में संलग्न है। कृषि एक प्राथमिक क्रिया है जो हमारे लिए अधिकांश खाद्यान्न उत्पन्न करती है। खाद्यान्नों के अतिरिक्त यह विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चा माल…
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