रेग्युलेटिंग एक्ट (Regulating Act) 1773
इस अधिनियम के द्वारा भारत में पहली बार कंपनी के कार्यों को नियमित व नियंत्रित किया गया। इसके द्वारा भारत में केंद्रीय प्रशासन की नींव रखी गयी तथा कंपनी के राजनैतिक व प्रशासनिक कार्यों को मान्यता मिली।
- गवर्नर जनरल को सलाह देने हेतु 4 सदस्यों की एक कार्यकारिणी परिषद् (Executive Council) का गठन किया गया, जिसके सदस्यों कार्यकाल 5 वर्ष का होता था।
- इस अधिनियम के द्वारा मद्रास तथा बम्बई प्रेसीडेन्सियों के गवर्नरों को बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीन कर दिया गया| उल्लेखनीय है कि प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्स थे।
- इसके अंतर्गत कलकत्ता में एक उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गयी। जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश (सर एलिजा इम्पे) तथा तीन अन्य न्यायाधीश थे|
- इस अधिनियम के द्वारा कंपनी के कर्मचारियों का निजी व्यापार करना व भारतीय लोगो से उपहार व रिश्वत लेना प्रतिबंधित कर दिया|
- इस अधिनियम के द्वारा ब्रिटिश सरकार का “कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर-Court of Director” (कंपनी की गवर्निंग बॉडी) के माध्यम से कंपनी पर सशक्त नियंत्रण स्थापित हो गया।
- रेगुलेटिंग एक्ट (Regulating Act) के अंतर्गत वर्ष 1774 ई. कलकत्ता में उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गयी, जिसमें मुख्य न्यायाधीश और 3 अन्य न्यायाधीश थे। सर एलीजा सर एलिजा इम्पे (Elijah Impey) को उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश तथा चेम्बर्ज, लिमैस्टर और हाइड अन्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
1781 का संशोधित अधिनियम (Act of settlement)
इस अधिनियम के द्वारा गवर्नर जनरल बंगाल, बिहार और उड़ीसा के लिए भी विधि बनाने का अधिकार प्रदान किया गया|
- इसके अंतर्गत उच्चतम न्यायालय पर यह रोक लगा दी गयी कि उच्चतम न्यायालय द्वारा कम्पनी के कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की जा सकती|
- इस अधिनियम के द्वारा किसी भी कानून निर्माण तथा क्रियान्वयन करते समय भारतीयों के सामाजिक तथा धार्मिक रीति-रिवाजों का सम्मान करने का भी आदेश दिया गया|
पिट्स इंडिया अधिनियम (Pitts India Act) – 1784
इस अधिनियम का उद्देश्य रेग्युलेटिंग एक्ट (Regulating Act) – 1773 और Act of settlement – 1781 की कमियों को दूर करना था|
- इस अधिनियम द्वारा कंपनी के राजनैतिक व वाणिज्यिक कार्यों को पृथक कर दिया गया|
- गवर्नर जनरल को सलाह देने हेतु कार्यकारिणी परिषद् (Executive Council) के सदस्यों की संख्या 4 से 3 दी गयी|
- कंपनी के राजनैतिक कार्यो के प्रबंधन के लिए नियंत्रण बोर्ड (बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल) का गठन किया गया| नियंत्रण बोर्ड अधिकार प्राप्त था की वह ब्रिटिश भारत में सभी नागरिक, सैन्य , राजस्व गतिविधियों का नियंत्रण व अधीक्षण एवं नियंत्रण कर सके|
- इस अधिनियम द्वारा प्रथम बार कंपनी के अधीन क्षेत्र को ‘ब्रिटिश अधिकृत प्रदेश’ कहा गया|
- इस अधिनियम द्वारा सरकार को कंपनी शासन-प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान किया गया|
- भारत में नियुक्त अंग्रेज अधिकारियों के मामलों में सुनवायी के लिए इंग्लैंड में एक कोर्ट की स्थापना की गयी।
चार्टर एक्ट (Charter Act) – 1793
इस चार्टर की प्रमुख विशेषताएँ निम्न थी –
- इस अधिनियम द्वारा कंपनी के व्यापारिक अधिकारों को अगले 20 वर्षों के लिए आगे बढ़ा दिया गया|
- नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों का वेतन भारतीय कोष से दिया जाने लगा|
चार्टर एक्ट (Charter Act) – 1813
इस अधिनियम का उद्देश्य कंपनी के व्यापारिक अधिकारों को अगले 20 वर्षों पुनः बढ़ाना तथा कंपनी के एकाधिकार को समाप्त करना था| इस चार्टर की प्रमुख विशेषताएँ निम्न थी –
- भारत में कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार समाप्त कर दिया गया, किंतु चीन से व्यापार व चाय पर कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार बना रहा|
- ईसाई मिशनरियों को भारत में धर्म के प्रचार-प्रसार की अनुमति दी गयी|
- भारतीयों की शिक्षा के लिए, कंपनी की आय से प्रतिवर्ष प्रतिवर्ष 1 लाख रुपये खर्च करने की व्यवस्था की गयी|
- कम्पनी को अगले 20 वर्षों के लिए भारतीय प्रदेशों तथा राजस्व पर नियंत्रण का अधिकार दे दिया गया|
- नियंत्रण बोर्ड का विस्तार तथा उसकी शक्ति को परिभाषित किया गया|
चार्टर एक्ट (Charter Act) – 1833
- इस अधिनियम के द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया| जिसके अंतर्गत सभी नागरिक व सैन्य शक्तियां निहित थी| लार्ड विलियम बैंटिक भारत के प्रथम गवर्नर जनरल थे|
- कंपनी के चाय व चीन के साथ व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया तथा कंपनी को पूर्णतः राजनीतिक व प्रशासनिक संस्था बना दिया|
- भारत में दास-प्रथा को गैर-कानूनी घोषित किया गया|
- इस चार्टर एक्ट के द्वारा सिविल सेवकों के चयन में सभी के लिए खुली प्रतियोगिता का आयोजन करने का प्रयास किया गया किन्तु कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स के विरोध के कारण इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया|
- कम्पनी को अगले 20 वर्षों के लिए भारतीय प्रदेशों तथा राजस्व पर नियंत्रण का अधिकार दे दिया गया|
- गवर्नर जनरल को सलाह देने हेतु कार्यकारिणी परिषद् (Executive Council) के सदस्यों की संख्या 3 से 4 कर दी गयी| 4th सदस्य विधि-विशेषज्ञ के रूप में बढ़ा दिया गया| प्रथम विधि विशेषज्ञ मैकाले था|
- अंग्रेज़ो को बिना अनुमति पत्र भारत में रहने तथा सम्पति अधिग्रहण करने की आज्ञा दी गयी|
चार्टर एक्ट (Charter Act) – 1853
1853 का अधिनियम ब्रिटिश कालीन इतिहास में अंतिम चार्टर एक्ट था। इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्न थीं –
- ब्रिटिश संसद को यह अधिकार प्रदान किया गया की वह किसी भी समय कंपनी के भारतीय शासन को समाप्त कर सकती है|
- सिविल सेवकों के चयन में सभी के लिए खुली प्रतियोगिता का आयोजन करने की शुरुआत की गयी, इसके लिए 1854 में (भारतीय सिविल सेवा के सम्बन्ध में) मैकाले समिति नियुक्त की गयी|
- कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स के सदस्यों की संख्या 24 से घटाकर 18 कर तथा उनमे से भी 6 सदस्य सम्राट द्वारा मनोनीत किए जाते थे|
- इस अधिनियम द्वारा भारत में केंद्रीय विधान परिषद् में स्थानीय प्रतिनिधित्व शुरू किया गया| जिसके अंतर्गत गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद् (Executive Council) में 6 नए सदस्यों की नियुक्ति की गयी जिनमे से , 4 का चुनाव बंगाल , बॉम्बे , मद्रास व आगरा की स्थानीय प्रांतीय सरकारों से किया जाना था |