पाचन तंत्र (Digestive System)

हमारे भोजन के मुख्य अवयव कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा हैं। अल्प मात्रा में विटामिन एवं खनिज लवणों की भी आवश्यकता होती है। हमारा शरीर भोजन में उपलब्ध जैव-रसायनों का उनके मूल रूप में उपयोग नहीं कर सकता हैं। अतः हमारा पाचन तंत्र जैव रसायनों को छोटे अणुओं में विभाजित कर साधारण पदार्थों में परिवर्तित किया जाता है । जटिल पोषक पदार्थों को अवशोषण योग्य सरल रूप में परिवर्तित करने की क्रिया को पाचन कहते हैं और पाचन तंत्र इसे यांत्रिक एवं रासायनिक विधियों द्वारा संपन्न करता है।

पाचन की रासायनिक विधि

पाचन की प्रकिया यांत्रिक एवं रासायनिक विधियों द्वारा संपन्न होती है। लार का श्लेष्म भोजन कणों को चिपकाने एवं उन्हें बोलस में रूपांतरित करने में मदद करता है। इसके उपरांत निगलने की क्रिया द्वारा बोलस ग्रसनी से ग्रसिका में चला जाता है। बोलस पेशीय संकुचन के क्रमाकुंचन (peristalsis) द्वारा ग्रसिका में आगे बढ़ता है। जठ-ग्रसिका अवरोधिनी भोजन के अमाशय में प्रवेश को नियंत्रित करती है।

लार (Saliva) :

मुखगुहा में विद्युत अपघट्य (Na+K,CI, HC03) और एंजाइम लार एमाइलेज या टायलिन तथा लाइसोजाइम होते हैं। पाचन की रासायनिक प्रक्रिया मुखगुहा में कार्बोहाइड्रेट को जल द्वारा अपघटित करने वाली एंजाइम टायलिन या लार एमाइलेज की सक्रियता से प्रारंभ होती है। लगभग 30% स्टार्च इसी एंजाइम की सक्रियता (pH 6-8) से द्विशर्करा माल्टोज में अपघटित होती है। लार में उपस्थित लाइसोजाइम जीवाणुओं के संक्रमण को रोकता है।

जठर ग्रंथियां (Gastric glands)

आमाशय की म्यूकोसा में जठर ग्रंथियां स्थित होती हैं। जठर ग्रंथियों में मुख्य रूप से तीन प्रकार की कोशिकाएं होती है –

  1. म्यूकस का राव करने वाली श्लेष्मा ग्रीवा कोशिकाएं।
  2. पेप्टिक या मुख्य कोशिकाएं जो प्रोएंजाइम पेप्सिनोजेन का स्राव करती हैं।
  3. भित्तीय या ऑक्सिन्टिक कोशिकाएं जो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और नैज कारक स्रावित करती हैं। नैज कारक विटामिन B12 के अवशोषण के लिए आवश्यक है।

अमाशय 4-5 घंटे तक भोजन का संग्रहण करता है। आमाशय की पेशीय दीवार के संकुचन द्वारा भोजन अम्लीय जठर रस से पूरी तरह मिल जाता है जिसे काइम (chyme) कहते हैं।
प्रोएंजाइम पेप्सिनोजेन हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के संपर्क में आने से सक्रिय एंजाइम पेप्सिन में परिवर्तित हो जाता है जो आमाशय का प्रोटीन अपघटनीय एंजाइन है। पेप्सिन प्रोटीनों को प्रोटियोज तथा पेप्टोंस, पेप्टाइडों में बदल देता है।
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल पेप्सिनों के लिए उचित अम्लीय माध्यम (pH1-8) तैयार करता है।
नवजातों के जठर रस (Gastric juice) में रेनिन नामक प्रोटीन अपघटनीय एंजाइम होता है जो दूध के प्रोटीन को पचाने में सहायक होता है। जठर ग्रंथियां थोड़ी मात्रा में लाइपेज भी स्रावित करती हैं।
छोटी आंत का पेशीय स्तर कई तरह की गतियां उत्पन्न करता है।

यकृत (liver)

अग्नाशयी नलिका द्वारा पित्त, अग्नाशयी रस और आं-रस छोटी आंत में छोड़े जाते हैं।

अग्नाशयी रस में ट्रिप्सिनोजन, काइमोटिरप्सिनो जन, प्रोकार्बोक्सीपेप्टिडेस, एमाइलेज और न्युक्लिएज एंजाइम निष्क्रिय रूप में होते हैं।

आंत्र म्यूकोसा द्वारा स्रावित एंटेरोकाइनेज व ट्रिप्सिनोजन सक्रिय टिरप्सिन में बदला जाता है जो अग्नाशयी रस के अन्य एंजाइमों को सक्रिय करता है।

पित्त

ग्रहणी में प्रवेश करने वाले पित्त में पित्त वर्णक, विलिरुबिन, पित्त लवण, कोलेस्टेरॉल आदि होते हैं, लेकिन कोई एंजाइम नहीं होता। पित्त वसा के इमल्सीकरण में मदद करता है और उसे बहुत छोटे मिसेल कणों में तोड़ता है। पित्त लाइपेज एंजाइम को भी सक्रिय करता है।
आंत में पहुंचने वाले काइम में प्रोटीन, प्रोटियोज और पेप्टोन उपस्थित होते हैं।
काइम के कार्बोहाइड्रेट अग्नाशयी एमाइलेज द्वारा डायसैकेराइड में जल अपघटित होता है। वसा पित्त की मदद से लाइपेजेज द्वारा क्रमशः डाई और मोनोग्लिसेराइड में टूटते हैं।

आंत्र रस के एंजाइम उपर्युक्त अभिक्रियाओं के अंतिम उत्पादों को पाचित कर अवशोषण योग्य सरल रूप में बदल देते हैं।
पाचन का अंतिम चरण आंत के म्यूकोसल उपकली कोशिकाओं के बहुत समीप संपन्न होता है।

जैव वृहत् अणुओं के पाचन की क्रिया आंत्र के ग्रहणी भाग में संपन्न होती है।
अपचित तथा अनावशोषित पदार्थ बड़ी आंत में चले जाते हैं।
बड़ी आंत में कोई महत्वपूर्ण पाचन क्रिया नहीं होती है।

बड़ी आंत के कार्य :

  • कुल जल, खनिज एवं औषधि का अवशोषण
  • श्लेष्म का स्राव जो अपचित उत्सर्जी पदार्थ कणों को चिपकाने और स्नेहन होने के कारण उनका बाहरी निकास आसान बनाता है। अपचित और अवशोषित पदार्थों को मल कहते हैं।

जठरांत्रिक पथ की क्रियाएं विभिन्न अंगों के उचित समन्वय के लिए तंत्रिका और हॉर्मोन के नियंत्रण से होती हैं।
जठर और आंत्रिक स्राव तंत्रिका संकेतों से उद्दीप्त होते हैं।
हार्मोनल नियंत्रण के अंतर्गत, जटर और यांत्रिक म्यूकोसा से निकलने वाले हार्मोन पाचक रसों के स्राव को नियंत्रित करते हैं।

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