- मूल नाम – कमालुद्दीन फिरोज
- उपाधि/पदवी – सैयद उस सलातीन खलीफा का नाइब ( स्वयं द्वारा)
- जन्म – 1309ई.मे (हिंदू माता के गर्भ से )
- फिरोजशाह तुगलक की माता- अबोहर के भट्टी राजपूत रणमल की पुत्री थी
फिरोज तुगलक का राज्याभिषेक दो बार हुआ
- प्रथम राज्याभिषेक – 22 मार्च 1351 को थट्टा सिंध में
- दूसरा राज्याभिषेक – अगस्त 1951 में दिल्ली में (दिल्ली में 21 दिन उत्सव मनाया)
राजस्व व्यवस्था व आर्थिक सुधार
- ब्राह्मणों पर जजिया एवं सिंचाई कर (हब-ए-शर्ब) लगाने वाला फिरोजशाह तुगलक दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था, जो कृषि उपज का 10% था|
- राज्य की आमदनी का ब्यौरा तैयार करने वाला पहला सल्तनत कालीन शासक फिरोज शाह तुगलक था, इस समय राज्य की आय 6 करोड़ 85 लाख टंका थी|
- फिरोज तुगलक ने कृषि उपकर (अबवाब) को समाप्त किया, जिसके अंतर्गत घरी कर व चरी कर आते थे|
इस्लाम द्वारा स्वीकृत चार प्रकार का कर–
- जजिया (गैर-मुस्लिमो से लिया जाने वाला कर)
- जकात (आय का (2.50%) 1/40 वां भाग )
- खिराज और
- खुम्स (लूट का माल)
राजस्व में सुधार के दो उद्देश्य-
- राज्य की आय में वृद्धि करना
- करदाताओं के बोझ को कम करना
लोक कल्याणकारी कार्य
- दास विभाग की स्थापना
- बेरोजगार व्यक्तियों को काम देने के लिए फ़िरोज़ तुगलक ने दिल्ली में रोजगार दफ्तर की स्थापना की| फ़िरोज़ तुगलक ने अनाथों, विधवाओं, और गरीबो के भरण पोषण एवं उनकी देखभाल के लिए दीवान-ए-खैरात (दान विभाग) की स्थापना की|
- तुगलक ने फलो के लगभग 1200 बाग़ लगवाये, जिनसे होने वाली वार्षिक आय 1,80,000 टंका थी|
- अशोक के 2 स्तंभों को फिरोजशाह तुगलक ने खिज्राबाद और मेरठ से लाकर दिल्ली में स्थापित किया|
नहरों का निर्माण
फ़िरोज़ तुगलक ने सिंचाई की व्यवस्था के लिए 5 बड़ी नहरें का निर्माण करवाया
- यमुना नदी से हिसार तक 150 मील लम्बी (उलूगखानी नहर)
- सतलुज नदी से घग्घर नदी तक 96 मील लम्बी (राजवाही नहर)
- सिरमौर की पहाड़ी से लेकर हांसी तक
- घग्घर से फ़िरोज़ाबाद तक
- यमुना से फ़िरोज़ाबाद तक का निर्माण करवाया।
तास घड़ियाल –
फ़िरोज़ तुगलक ज्ञान – विज्ञान के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किए, इसके लिए उसने तास घड़ियाल (जल घड़ी) का अविष्कार किया तथा फिरोजाबाद (दिल्ली) में नक्षत्र, धूप व जल घड़ी लगवाई|
मुद्रा व्यवस्था
फिरोजशाह तुगलक ने अद्धा (1/2) और बिख (1/4) नामक सिक्के तथा शशगनी (6 जीतल) नामक चाँदी का सिक्का चलाया|
शिक्षा व साहित्य
शिक्षा के क्षेत्र में प्रसार हेतु फ़िरोज़ तुगलक ने अनेक मक़बरों एवं मदरसों की स्थापना की तथा ‘जियाउद्दीन बरनी’ एवं ‘शम्स-ए-सिराज अफीफ’ को संरक्षण प्रदान किया|
जियाउद्दीन बरनी ने ‘फ़तवा-ए-जहाँदारी’ एवं ‘तारीख़-ए-फ़िरोज़शाही’ की रचना की तथा फ़िरोज़ तुगलक ने अपनी स्वयं आत्मकथा ‘फुतूहात-ए-फ़िरोज़शाही’ की रचना की|
मृत्यु
1388 ई. फ़िरोज़ शाह तुगलक की मृत्यु सितम्बर में हुई तथा उसका मकबरा हौज़खास परिसर, दिल्ली में स्थित है|
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