वह उत्पाद जो हमें वनों से प्राप्त होते है वन संपदा कहलाते हैं। बिहार में वनों से प्राप्त होने प्रमुख/मुख्य एवं गौण उत्पाद निम्न हैं, जिनके एकत्रीकरण एवं विपणन का कार्य बिहार राज्य वन विकास निगम द्वारा किया जाता है।
मुख्य उत्पाद
वनों से प्राप्त होने वाले मुख्य उत्पाद में केवल लकड़ियों को सम्मिलित किया जाता है। जो निम्न है –
शाल – यह वृक्ष मुख्यतः पहाड़ी ढालों एवं तराई क्षेत्रों में पाया जाता है। यह कीमती लकड़ी है, जो कठोर एवं टिकाऊ होती है। शाल का उपयोग मकान, फर्श, फर्नीचर, रेल के डिब्बे एवं पटरियों के निर्माण आदि में किया जाता है तथा शाल के बीज का उपयोग तेल निकालने में भी किया जाता है।
शीशम – यह वृक्ष मुख्यतः बिहार के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में पाया जाता है। शीशम की लकड़ी चिकनी और धारदार होती है, जिसका उपयोग फर्नीचर निर्माण में सर्वाधिक किया जाता है।
सेमल – सेमल की लकड़ी हल्की, मुलायम और सफेद होती है। जिसका सर्वाधिक उपयोग पैकिंग तथा खिलौनों के निर्माण में किया जाता है। यह वृक्ष उत्तरी बिहार के तराई क्षेत्र में पाया जाता है।
तून – तून के वृक्ष बिहार के पहाड़ी ढालों पर पाए जाते हैं। मजबूत होने के कारण तून की लकड़ी का प्रयोग फर्नीचर, घरेलू सामान, खिलौना उद्योग आदि में किया जाता है।
इसके अतिरिक्त नीम, कटहल, आम, बरगद, पीपल, बाँस आदि भी महत्त्वपूर्ण वृक्ष हैं। आम के वृक्ष से फल के साथ-साथ घरेलू उपयोग के लिए लकड़ी की प्राप्ति होती हैं। पीपल एवं नीम के उत्पादों का उपयोग औषधि निर्माण में किया जाता है।
गौण उत्पाद
तसर/मलवरी/रिशम – इसका उत्पादन मुख्य रूप से बिहार में भागलपुर जिले में होता है। भागलपुर जिले में अर्जुन नामक वृक्ष पर पाले जाने वाले रेशम के कीड़ों से तसर का उत्पादन होता है।
तेल उत्पादन – कपास, लाह, महुआ आदि वृक्षों के बीजों से तेल का उत्पादन किया जाता है। इस तेल का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
लाह उत्पादन – लाह का उत्पादन लेसिफर/लक्का या लाह के कीड़े से होता हैं।इसका उत्पादन बिहार में झारखंड के सीमावर्ती जिलों में होता है। लाह का कीड़ा कुसुम या पलास के वृक्षों पर पाला जाता है। इसका उपयोग चूड़ी एवं लहठी उद्योग में किया जाता है।
अन्य गौण उत्पादों में तेंदू का पत्ता, जड़ी-बूटी, बाँस, गोंद, टेनिन, सबई घास आदि पाए जाते हैं।
वन उत्पादों पर आधारित उद्योग
बिहार में वन उत्पादों का अत्यधिक उद्योग निर्भर है। इनमें सर्वाधिक मात्रा में लकड़ी चीरने (आरा मिल) का उद्योग है। अन्य प्रमुख उद्योग निम्न है –
- उद्योग : सिजीनींग एवं गत्ता उद्योग
- केंद्र : समस्तीपुर, दरभंगा
- उद्योग : पलाईवुड उद्योग
- केंद्र : हाजीपुर, बेतिया, पटना, मुजफ्फरपुर
- उद्योग : कत्था उद्योग
- केंद्र : बेतिया
- उद्योग : रेशम उद्योग
- केंद्र : भागलपुर