उपाधि – गाजी (काफिरों का वध करने वाला) , मलिक-उल-गाज़ी (मंगोलो को पराजित करने के कारण)
इंद्रप्रस्थ के निकट गाजी मलिक और नासिरुद्दीन खुसरो शाह के सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ, जिसमे नासिरुद्दीन खुसरो पराजित हुआ व उसकी हत्या कर दी गयी | नासिरुद्दीन खुसरो की मृत्यु के बाद अमीरों के आग्रह पर गाजी मलिक ने हज़ार स्तम्भ में प्रवेश किया और गयासुद्दीन तुगलक के नाम से सिंहासन पर बैठा|
सुल्तान बनने के पश्चात गयासुद्दीन तुगलक के समक्ष अनेक राजनीतिक, प्रशासनिक और आर्थिक समस्याएं थी क्योकिं मुबारक शाह खिलजी और खुसरो शाह ने अलाउद्दीन खिलजी द्वारा स्थापित सुल्तान के पद की गरिमा को नष्ट कर दिया था, किंतु शीघ्र ही गयासुद्दीन तुगलक ने इन परिस्थितियों पर नियंत्रण कर लिया|
प्रशासनिक सुधार
- ग़यासुद्दीन तुग़लक़ ने सभी विशेषाधिकारों और जागीरों की गोपनीय जांच कराकर सभी अवैध अनुदानों व जागीरों को जब्त कर लिया और उस सभी धनराशि को वापस खजाने में जमा करने का आदेश दिया जो नासिरुद्दीन खुसरो खां ने मनमाने रूप से उन्हें प्रदान की थी|
- नासिरुद्दीन खुसरो खां द्वारा प्रसिद्ध सूफी संत निजामुद्दीन औलिया से भी प्रदत 5 लाख टंका लौटाने वापस करनेके लिए कहा (जो उन्हें धार्मिक अनुदान के रूप में खुसरो के समय में दिया गया था) किंतु निजामुद्दीन औलिया ने यह कहकर धन लौटाने से इंकार कर दिया कि उन्होंने सब धन दान कर दिया है|
लोक कल्याणकारी कार्य
ग्यासुद्दीन तुगलक ने जनता के कल्याण हेतु अनेक कार्य किए, जो निम्नलिखित है –
- कृषकों की स्थिति सुधारने तथा सिंचाई हेतु नहरों का निर्माण |
- यह निश्चित किया कि भू राजस्व की दर किसी भी वर्ष एक बार में 1/10 से 1/11 से अधिक ना बढ़ाई जाए|
- दिल्ली सल्तनत में प्रथम बार गयासुद्दीन के शासनकाल में ही निर्धनों व निर्बलों की सहायता हेतु तथा खिलजी कन्याओं के विवाह का प्रबंध किया |
सैन्य सुधार
- अलाउद्दीन द्वारा प्रचलित व्यवस्था ने दाग (घोड़ो को चिन्हित करने) व हुलिया (सैनिकों का हुलिया लिखने) की प्रथा को कठोरता पूर्वक लागू किया|
- मुक्ता और वली द्वारा सैनिकों के वेतन से कमीशन काटने की प्रथा को समाप्त कर दिया |
- गयासुद्दीन तुगलक ने सैनिकों के वेतन रजिस्टर (वसीलात-हश्म) की स्वयं जांच करना शुरू किया|
यातायात व डाक व्यवस्था में सुधार
- दिल्ली सल्तनत में यातायात व डाक व्यवस्था को पूर्ण रुप से गयासुद्दीन तुगलक ने ही व्यवस्थित किया| डाक व्यवस्था की शीघ्रता के लिए प्रत्येक 3/4 मील की दूरी पर डाक लाने वाले कर्मचारियों और घुड़सवारों को नियुक्त किया गया|
- डाक व्यवस्था की सफलता का विस्तृत वर्णन इब्नबतूता द्वारा लिखित पुस्तक रिहला में मिलता है, जो मुहम्मद बिन तुगलक के कार्यकाल में भारत आया था|
- इस विभाग का प्रमुख बरीदे-मुमालिक कहलाता था|
आर्थिक सुधार
गयासुद्दीन ने भू-राजस्व संबंधी सुधारों को मुख्यत: तीन स्तर पर लागू किया तथा तीनो में ही कृषकों के हितो को प्राथमिकता दी –
- मुक्ता (प्रांतीय राज्यपाल)
- मुकद्दमों (गांव के मुखिया)
- कृषकों
अलाउद्दीन द्वारा प्रचलित भूमि नापने (हुक्मे- मसाहत) और प्रति बिस्वा उपज का नियम को समाप्त कर, और उसके स्थान पर उपज में सांझे (हुक्में हासिल) अथवा गल्ला बटाई के नियम को लागू किया| इसके 2 प्रमुख लाभ थे —
- इसमें किसानों से होने वाले उन्नत लाभ निश्चित कर दिए|
- फसल की आंशिक अथवा पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने का भी ध्यान रखा|
सैन्य अभियान
- तेलंगाना विजय (शासक – राय प्रतापरुद्रदेव) – जूना खाँ (उलूग खाँ ) के नेतृत्व में
- जाजनगर विजय (शासक – भानुदेव – II) – जूना खाँ (उलूग खाँ ) के नेतृत्व में राजमुंदरी से प्राप्त 1324 ई. के एक अभिलेख से इस विजय की पुष्टि होती है, जिसमे जूना खां को दुनिया का खान कहा गया है|
- तिरहुत व मंगोल विजय (1324 ई.)
- बंगाल – इस अभियान का उद्देश्य बंगाल में फैली अव्यवस्था को समाप्त करना था|
मृत्यु
बंगाल अभियान से लौटते समय गयासुद्दीन तुगलक, तुगलकाबाद से 8 Km की दूरी पर स्थित अफ़ग़ानपुर के महल में सुल्तान ग़यासुद्दीन के प्रवेश करते ही वह महल गिर गया, जिसमें दबकर उसकी मार्च, 1325 ई. को मुत्यृ हो गयी | इस महल का निर्माण अहमदयाज ने किया था| गयासुद्दीन तुगलक, का मक़बरा तुगलकाबाद (गयासुद्दीन तुगलक द्वारा बसाया गया नगर) में स्थित है।
Note :
- गयासुद्दीन तुगलक हिंदू स्त्री के गर्भ से जन्मा दिल्ली सल्तनत का प्रथम मुस्लिम शासक था| गयासुद्दीन की माता पंजाब की एक जाट (हिंदू )महिला थी और पिता बलबन का तुर्की दास था|
- सर्वप्रथम गयासुद्दीन तुगलक द्वारा ही दक्षिण के राज्यों को दिल्ली सल्तनत में मिलाया गया|