प्रत्येक वर्ष, 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस (International Workers’ Day or Labour Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को श्रमिकों के योगदान और ऐतिहासिक श्रम आंदोलनों की स्मृति में मनाया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation – ILO) राज्यों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाता है, श्रम मानकों को निर्धारित करता है, जिससे सभी महिलाओं और पुरुषों के लिए कार्य स्थिति को बढ़ावा देने वाली नीतियों और विकास कार्यक्रमों को विकसित करना है।
- वर्ष 1889 में समाजवादी (socialist) और श्रमिक दलों (labor parties) द्वारा बनाई गई एक संस्था ने घोषणा की कि प्रत्येक वर्ष 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
- 1 मई 1904 को, एम्स्टर्डम में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस, (नीदरलैंड) में प्रतिदिन 8 घंटे कार्य करने के लिए कानून बनाने का आह्वान किया तथा श्रमिक वर्ग और सभी देशों के श्रमिक संगठनों ने सप्ताह में एक दिन अवकाश का प्रावधान करने का प्रस्ताव रखा।
Note – इन दिन को लेबर डे (labour Day), श्रमिक दिवस और मजदूर दिवस के नाम से भी जाना JATA है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
USA तथा कनाडा (Canada) में प्रत्येक वर्ष सितंबर माह के प्रथम सोमवार को मजदूर दिवस (Labor Day) के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1894 में USA द्वारा श्रमिक दिवस (Labor Day) को संघीय अवकाश के रूप में मान्यता दी गयी।
वर्ष 1886 में शिकागो (अमेरिका) हैमार्केट अफेयर (Haymarket Affair) में मजदूर दिवस को श्रमिक संघ और समाजवादी समूहों द्वारा श्रमिकों के समर्थन में एक दिन के रूप में नामित किया गया था।
- हैमार्केट अफेयर (Haymarket Affair) श्रमिकों के समर्थन में एक शांतिपूर्ण रैली थी जिसके कारण पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई, जिससे लोग गंभीर रूप से घायल हुए। जो लोग मारे गए थे, उन्हें “हेमार्केट शहीदों” के रूप में सम्मानित किया गया था।
- इस रैली में श्रमिकों के अधिकारों के उल्लंघन, अधिक कार्य के घंटे, तनाव, काम करने की खराब स्थिति, कम मजदूरी और बाल श्रम जैसे मुद्दे उजागर किए गए थे।
सोवियत संघ (USSR)
सोवियत संघ और पूर्वी राष्ट्रों ने वर्ष 1917 में हुई रूसी क्रांति (Russian Revolution), के पश्चात श्रमिक दिवस (Labor Day) मनाना शुरू किया।
- रूसी क्रांति (Russian Revolution) पर मार्क्सवाद (Marxism) और समाजवाद (Socialism) जैसी नई विचारधाराओं ने कई समाजवादी (socialist) और साम्यवादी (communist) समूहों को प्रेरित किया और उन्होंने किसानों और श्रमिकों को आकर्षित किया और उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन का एक अभिन्न अंग बनाया।
- शीत युद्ध (Cold War) के दौरान श्रमिक दिवस (Labor Day) को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा।
भारत (India)
भारत में, श्रमिक दिवस सर्वप्रथम वर्ष 1923 में मनाया गया था, जब हिंदुस्तान की लेबर किसान पार्टी (Labor Farmers Party) ने कॉमरेड सिंगारवेलर (सिंगारवेलु चेट्टियार) के नेतृत्व में इस समारोह को शुरू किया था।
कॉमरेड सिंगारवेलर मद्रास प्रेसीडेंसी (Madras Presidency) में आत्म सम्मान आंदोलन (Self Respect Movement) के नेताओं में से एक थे और उन्होंने सरकार को श्रमिक दिवस (Labor Day) पर सभी को राष्ट्रीय अवकाश की अनुमति देने का प्रस्ताव पारित किया था।