पूरा नाम – जलालुद्दीन फिरोज खिलजी
उपाधि – शइस्ता खॉ (कैकुबाद द्वारा प्रदत्त)
राज्याभिषेक – 1290 ई. ( केलुगड़ी महल में 70 वर्ष की आयु में )
प्रमुख घटनाएँ
- ठगों व षड्यंत्रकारी अमीरों का दमन ना कर उन्हें क्षमा कर क्रमशः राज्य व दरबार से बहार निकाल दिया |
- सीद्दीमौला (ईरान संत) के संबंध में जलालुद्दीन खिलजी की उदारता की नीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ परिवर्तन हुआ| सीद्दीमौला पर आरोप लगा (सिद्ध ना हो सका) कि उसने दो हिंदू अधिकारियों हथियापायक और निरंजन कोतवाल के साथ मिलकर सुल्तान की हत्या करने करने का षड्यंत्र रचा है, इसके लिए सीद्दीमौला को हाथियों से कुचलवा दिया तथा हथियापायक और निरंजन कोतवाल को मृत्युदंड दिया गया|
- सीद्दीमौला के मृत्यु के कुछ दिन बाद ही जलालुद्दीन के ज्येष्ठ पुत्र खानखाना की मृत्यु हो गई|
- जलालुद्दीन फ़िरोज ख़िलजी ने अपनी पुत्री का विवाह उलूग खाँ (हलाकू पौत्र ) से किया तथा नवीन मुस्लिमों (धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बने) के रहने के लिए मुगलपुर नामक बस्ती बसाई।
सैन्य अभियान
- रणथम्भौर (असफ़ल) – हम्मीर देव (राजपूत शासक)
- मंदसौर आक्रमण
अलाउद्दीन के नेतृत्व में
भिलसा अभियान – मंदसौर पर अधिकार के बाद अलाउद्दीन सुल्तान से अनुमति प्राप्त कर मालवा स्थित मंदसौर पर आक्रमण किया व विजयी हुआ, जिससे प्रसन्न होकर उसे कड़ा, मानिकपुर के साथ-साथ अवध का भी सूबेदार नियुक्त किया गया |
देवगिरी अभियान – इसी अभियान के साथ अलाउद्दीन दक्षिण भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम मुस्लिम शासक था | इस समय यहाँ का शासक रामचंद्रदेव था |
साहित्यिक विकास
जलालुद्दीन फ़िरोज ख़िलजी के दरबार में कुतुबुद्दीन अलवी, अमीर खुसरो तथा हसन देहलवी जैसे विद्वानों को संरक्षण प्राप्त था | फ़िरोज ख़िलजी के शासनकाल की विस्तृत जानकारी जियाउद्दीन बरनी द्वारा लिखित तारीख-ए-फ़िरोज़शाही से मिलती है |
मृत्यु
अलाउद्दीन ख़िलजी ने अपने भाई अलमास बेग की सहायता से जलालुद्दीन फ़िरोज़ ख़िलजी की हत्या कर अक्टूबर 1296 ई. में शासक बना तथा अलमास बेग को ‘उलूग ख़ाँ’ की उपाधि से विभूषित किया|