उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित वरूणावत पर्वत पर प्रथम बार भूस्खलन वर्ष 2003 में हुआ था। वरूणावत पर्वत पर आयी दरार के बारे में वर्ष 1803 में पता चला था।
असी गंगा नदी का उदगम डोडीताल से होता है। असी गंगा, भागीरथी की एक सहायक नदी है।
ब्रिटिश अधिकारी विल्सन द्वारा हर्षिल घाटी (उत्तरकाशी) में आलू व सेब के बागान लगवाए गए थे।
19 मार्च 1899 को सेवियर दंपति द्वारा चंपावत में मायावती आश्रम की स्थापना की गयी। इस आश्रम को अद्वैत आश्रम के नाम से भी जाना जाता है।
वर्ष 1964 में भवाली (नैनीताल) में कैंची धाम की स्थापना की स्थापना की गयी।
स्लीपिंग लेडी पर्वत (Sleeping lady mountain) उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के समीप स्थित है। यह पर्वत एक लेटी हुई महिला की तरह प्रतीत होता है।
वर्ष 1906 में हरिराम त्रिपाठी द्वारा राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम का कुमाऊँनी भाषा में अनुवाद किया गया।
स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1890, 1897, 1898, 1901 में उत्तराखंड की यात्रा की थी।
उषारागोदया तथा ययाति नामक चरित्र नाटक रुद्रचंद द्वारा लिखे गए थे।
वर्ष 1919 में उत्तराखण्ड में नमक सुधार समिति की स्थापना की गयी थी।
नायक आंदोलन, दलित सुधार से सम्बन्धित है।
वीर भड़ जीतू बगड़वाल का मूल गांव उत्तराखंड के बगोड़ी गांव (उत्तरकाशी) में है।
उत्तराखण्ड राज्य गीत “‘उत्तराखंड देवभूमि, मातृभूमि, शत-शत वंदन अभिनंदन” हेमंत बिष्ट द्वारा लिखा गया है।
पंवार वंश के शासक फतेह शाह की संरक्षिका राजमाता कटोची थी।
सूर्य प्रयाग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में लस्तर और मंदाकिनी नदी के संगम पर स्थित है।
उत्तरकाशी जनपद में स्थित सिराई घाटी पुरोला, लाल चावल के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
पंडित शिवराम, जौनसार क्षेत्र के प्रथम कवि है। इनके द्वारा “वीर केसरी” नामक ग्रन्थ की रचना की गयी। रतन सिंह को जौनसार का आधुनिक कवि व संगीत के जनक के रूप में जाना जाता है।
गुलाब सिंह को जौनसार क्षेत्र में राजनीतिक चेतना का जनक माना जाता है।
नंद लाल भारती को जौनसार रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थानीय भूमि को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है।
- धरया – अधियासो के निकट
- विचल्या – मध्यवर्ती
- बुग्या भूमि – वनों से सटी भूमि