विश्व के विभिन्न देशों ने भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए निम्नलिखित संस्थाएं सृजित की है –
- Ombudsmen प्रणाली
- प्रशासनिक न्यायालय प्रणाली
- Proqurator प्रणाली
- Parliamentary Commission of Investigation
विश्व में कुशासन व भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए ओम्बुड्समैन (Ombudsman) सबसे पुरानी लोकतांत्रिक व्यवस्था है , जिसका जन्मदाता स्वीडन (Sweden) है जिसने इसकी स्थापना 1809 में की | ब्रिटेन पहला ऐसा देश है जिसने 1962 में ओम्बुड्समैन (Ombudsmen) प्रणाली को Parliamentery Commission of Investigation के रूप में अपनाया |
लोकपाल (Lokpal)
मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में निर्मित प्रशासनिक सुधार आयोग (1966-70) की सिफारिशों पर नागरिकों की समस्याओं , कुशासन व भ्रष्टाचार के समाधान हेतु लोकपाल व लोकायुक्त की नियुक्ति की गयी |
- लोकपाल – मंत्रियों , राज्य व केंद्र स्तर के सचिवों से संबंधित शिकायत |
- लोकायुक्त – एक केंद्र व एक प्रत्येक राज्य में – विशेष व उच्च अधिकारियों से संबंधित शिकायतों को देखता है |
भारत में भी न्यूजीलैंड ( Newzeland ) की तरह न्यायालयों को लोकपाल व लोकायुक्त के दायरे से बाहर रखा गया है , जबकि स्वीडन (Sweden) में न्यायालय भी ओम्बुड्समैन (Ombudsmen) प्रणाली के अंतर्गत आते है |
नियुक्ति
प्रशासनिक सुधार आयोग के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा लोकपाल व लोकायुक्त की नियुक्ति न्यायधीश , लोकसभा अध्यक्ष व राज्यसभा सभापति की सलाह से की जाएगी |
कार्य
- स्वतंत्र व निष्पक्षता पूर्वक जाँच करना |
- लोकपाल द्वारा जाँच व कार्यवाही गुप्त तरीके से की जाएगी |
- लोकपाल व लोकायुक्त का गैर-राजनैतिक होना अनिवार्य है |
- अपने विवेकानुसार कुशासन , भ्रष्टाचार आदि अन्य मामलें देखने की स्वतंत्रता |
- अपने कर्तव्यों के निर्वहन हेतु जानकारी प्राप्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता |
लोकपाल व लोकायुक्त अधिनियम – 2013
Dec – 2013 में इस अधिनियम को लोकसभा तथा राज्यसभा द्वारा पारित कर दिया गया तथा Jan-2014 में राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह अधिनियम बन गया , जिसकी प्रमुख विशेषताएं है –
- इसके अंतर्गत केंद्र में एक लोकपाल व राज्यों में एक लोकायुक्त की व्यवस्था की गयी , जिसके अंतर्गत प्रधानमंत्री , मंत्रीगण , मुख्यमंत्री , संसद सदस्य तथा समूह – A , B , C , D श्रेणी के अफसर आते है |
- लोकपाल में एक अध्यक्ष तथा अधिकतम 8 सदस्य होंगे , जिसमे 50% सदस्य न्यायिक सेवा से होंगे |
- लोकपाल में आरक्षण का भी प्रावधान है जिसमें 50 % सदस्य अनुसूचित जाति , जनजाति , अन्य पिछड़ा वर्ग तथा स्त्रियों के मध्य से होंगे |
- लोकपाल के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति एक चयन समिति द्वारा की जाएगी , जिसमें प्रधानमंत्री , लोकसभा अध्यक्ष , लोकसभा में विपक्ष का नेता व भारत का मुख्य न्यायधीश शामिल होंगे |
- लोकपाल को अपने अधीन मामलों में किसी भी जाँच एजेंसी को दिशा – निर्देश देने का अधिकार प्राप्त है |
- जिन संस्थाओ को सरकार द्वारा पूर्णत: या अंशत: वित्तीय सहायता दी जाती है , वे लोकपाल के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आते है |
- वह संस्था जिसे विदेशी अनुदान के रूप में 10 लाख से अधिक वित्तीय सहायता प्राप्त होती है , वे लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आते है |
दोष
- लोकपाल स्वत संज्ञान (Sumoto) के आधार पर कोई कार्यवाही नहीं कर सकता |
- इसके अंतर्गत 7 साल पुरानी शिकायतों पर ही विचार किया जा सकता है |
- शिकायतकर्ता का नाम व पता होना अनिवार्य है |
- आरोपित कर्मचारी को क़ानूनी सहायता का प्रावधान है |
लोकायुक्त
भारत में कई राज्यों ने लोकपाल व लोकायुक्त अधिनियम – 2013 से पहले ही अपने राज्यों में लोकायुक्त की व्यवस्था की है | भारत में सर्वप्रथम लोकायुक्त का गठन 1971 में महाराष्ट्र (Maharashtra) में किया गया , यद्यपि ओड़िशा (Odisha) ने इस अधिनियम को 1970 में पारित किया , किंतु इसे 1983 में लागू किया गया | राज्यों को अपने विवेकानुसार लोकायुक्त के गठन की सुविधा है, अत: सभी राज्यों में लोकायुक्त का ढांचा सामान नहीं है |
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