मध्य प्रदेश की नई खनिज नीति के अंतर्गत सरकारी विभागों को खनिजों के सर्वेक्षण के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी (modern technology ) से प्रशिक्षित किया जाएगा तथा इस कार्य में निजी सहभागिता (private participation) भी सुनिश्चित किया जाएगा। खनिजों के संरक्षण के उद्देश्य के लिए, यह आवश्यक है कि निम्न श्रेणी के खनिजों का भी उपयोग किया जाए। इस प्रयोजन के लिए, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निम्न श्रेणी (low grade) खनिज के साथ-साथ उच्च श्रेणी (high grade) के खनिज का उपयोग भी मिश्रण के रूप में किया जाएगा।
मध्य प्रदेश – राज्य खनिज नीति, (2010) के अंतर्गत खनिजों की खोज, इससे संबंधित विभागों का सुदृढीकरण तथा खनिज युक्त क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास आवश्यक है। इसके लिए खनिज विकास निधि (Mineral Development Fund) की स्थापना की जाएगी। राज्य में बहुमूल्य धातुओं की खोज को प्रोत्साहन दिया जाएगा तथा सतह पर पाए जाने वाले खनिजों के टोही परमिट (reconnaissance permits) की छूट को हतोत्साहित करने के लिए खनिज नीति में प्रावधान किया गया है। राज्य में खनिजों के विकास के लिए विषेशज्ञों और उद्योगपतियों से भी परामर्श लिए जायेंगे।
नई खनिज नीति – 2010 के अंतर्गत, खनिज रियायत आवेदनों पत्रों (Mineral Concession Application Forms) के त्वरित निपटान व इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने लिए कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन ट्रैकिंग का प्रावधान किया गया है। अवैध खनन की रोकथाम के लिए, उपग्रह डेटा (satellite data) का उपयोग, जाँच चौकी (check posts) तथा टोल नाकों (toll points) की स्थापना तथा खनिजों के परिवहन के लिए ई-परमिट (e-permit) का उपयोग किया जाएगा। अवैध खनन में शामिल वाहनों के पंजीयन (Registration) और ड्राइवरों के ड्राइविंग लाइसेंस (driving licenses) को निरस्त किया जाएगा। खनिज नियमों का उल्लंघन करने वालों को खनिज पट्टे का नवीनीकरण के नहीं किया जाएगा।
खनिज बहुल क्षेत्रों के खनिज संभावित क्षेत्रों में खनिज रियायत की मंजूरी के लिए अधिसूचना को राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा। जिससे खनिजों का वैज्ञानिक पद्यति से खनन सुनिश्चित किया जा सके।
मध्य प्रदेश – राज्य खनिज नीति, (2010) के अंतर्गत राज्य के औद्योगिक विकास के लिए खनिज रियायत के अनुमोदन में आवेदकों को प्राथमिकता देने तथा मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। यह प्राथमिकता उन आवेदकों को दी जाएगी, जिन्होंने राज्य के भीतर खनिज संसाधनों के मूल्य संवर्द्धन के लिए राज्य सरकार के साथ MOU पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके साथ ही उन आवेदकों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनके द्वारा आधुनिक प्राद्यौगिकी से खनन कार्य किया जाना प्रस्तावित किया हो।
नई खनिज नीति – 2010 में, खनिज की उपलबद्धता वाले क्षेत्रों के विकास के लिए आवेदकों से भी सामाजिक दायित्व की वचनबद्धता सुनिश्चित किए जाने का प्रावधान हैं।
खनिजों के सतत उपयोग के लिए यह आवश्यक है, कि खनिजों का वैज्ञानिक रूप से दोहन किया जाए। इसके लिए, भारत सरकार (Government of India) के विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित किया जाएगा। खदानों को बंद करने, खनन की योजना बनाने के लिए विभागीय अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, तथा खदानों का वार्षिक निरीक्षण भी सुनिश्चित किया जाएगा। खदानों को बंद करने की योजना में स्थानीय संस्थानों (local institutions) और गैर-सरकारी संगठनों ( non-governmental organizations) की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।
मध्य प्रदेश – राज्य खनिज नीति (2010) के अंतर्गत, खदान क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए इस क्षेत्र की सड़कों आदि का रखरखाव सुनिश्चित किया जाएगा। कन्वेयर बेल्ट (conveyor belt) और रोपवे (ropeway) के माध्यम से खनिजों के परिवहन को प्रोत्साहन दिया जाएगा। आदिवासी अधिसूचित क्षेत्रों (Tribal notified areas) में खनिजों संसाधनों के खनन के लिए अनुसूचित जनजाति समुदाय (Scheduled tribe community) व उनसे संबंधित संगठनों को प्राथमिकता दी जाएगी।