आचर्य केशवदास (Acharya Keshavdas)
- जन्म – वर्ष 1555 (ओरछा)
- मृत्यु – वर्ष 1617
आचार्य केशवदास ओरछा नरेश इंद्रजीत सिंह के दरबारी कवि थे, जिनकी रचनाएँ पूर्णतः रीतिबद्ध व शास्त्रीय हैं। केशवदास हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध रीतिकालीन कवि थे, जिनका समय भक्तिकाल के अंतर्गत आता है। अपनी अद्भुत संवाद रचनाओं व काव्यगत जटिलता के कारण आचार्य केशवदास को ‘जटिल काव्य के प्रेत’ के रूप में जाना जाता है।
रचनाएँ
रसिकप्रिया, कविप्रिया, रामचंद्रचंद्रिका, नखशिख, जहाँगीर जसचंद्रिका, छंदमाला, रतनबावनी, विज्ञानगीता और वीरसिंह देव चरित।
Note: रसिक प्रिया केशवदास की प्रौढ़ रचना है, जो काव्यशास्त्र संबंधी ग्रंथ है।
भूषण (Bhushan)
- जन्म – वर्ष 1613,
- मृत्यु – वर्ष 1715
- वास्तविक नाम – “अज्ञात”
- उपनाम – जटाशंकर
इनकी रचनाओं से प्रभावित होकर चित्रकूट नरेश, रुद्र सोलंकी द्वारा इन्हें भूषण की उपाधि दी गयी। इनका उद्देश्य हिंदू जाति की उन्नति व गौरव में वृद्धि करना था, जिस कारण इन्होंने शिवाजी को अपना आदर्श माना और उनकी प्रशंसा में कविताएँ की रचना की।
भूषण एकमात्र रीतिकालीन कवि हैं, जिनकी कविताओं में वीर रस और देश प्रेम का वर्णन मिलता है।
रचनाएँ
भूषण उल्लास, दूषण उल्लास, छत्रसाल दशक, शिवराज व शिवाबावनी।
पद्माकर भट्ट (Padmakar bhatt)
- जन्म – वर्ष 1753
- मृत्यु – वर्ष 1833 (कानपुर)
पंडित विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के अनुसार इनका जन्म स्थान सागर (मध्य प्रदेश), जबकि आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार इनका जन्म बाँदा (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इन्होंने वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण का ‘राम रसायन’ के नाम से हिंदी भाषा में अनुवाद किया।
ग्वालियर के महाराजा दौलतराव सिंधिया के संरक्षण पद्माकर भट्ट (Padmakar bhatt) ने उनकी प्रशंसा में ‘अलीजाह प्रकाश’ की रचना, जबकि प्रताप सिंह के संरक्षण में प्रतापसिंह विरुदावली तथा जगतसिंह के संरक्षण में जगत् विनोद नामक ग्रंथों की रचना की।
रचनाएँ
गंगा-लहरी, पद्माभरण, जगत विनोद, जयसिंह विरुदावली, राम रसायन, प्रबोध पचासा, हिम्मद बहादुर विरुदावली,अलीजाह प्रकाश ।