मूल नाम – मलिक फख्रुद्दीन (जूना खॉ)
उपाधि – अमीर-उल-मोमिनीन, जिल्लिलाहा(सिक्कों पर) ,मुहम्मद बिन तुगलक, उलूग ख़ाँ (गयासुद्दीन तुगलक द्वारा प्रदत्त)
ग़यासुद्दीन तुग़लक़ की मृत्यु के बाद उसका पुत्र ‘जूना ख़ाँ’, मुहम्मद बिन तुग़लक़ (1325-1351 ई.) की उपाधि धारण कर दिल्ली की गद्दी पर बैठा| दिल्ली सल्तनत में सबसे अधिक लंबे समय तक शासन तुगलक वंश ने किया, तथा सल्तनत के सुल्तानों में सर्वाधिक विस्तृत साम्राज्य मोहम्मद बिन तुगलक का था| मोहम्मद बिन तुगलक का साम्राज्य 23 प्रांतों में बंटा हुआ था जिनके नाम है – देहली, देवगिरी, मुल्तान कहराम(कुहराम) , समाना, सीविस्तान (सवस्तान) उच्छ, हांसी ,सरसुती (सिरसा ),माबर, तेलंगाना( तिलंग ),गुजरात ,बदायूं, अवध ,कन्नौज ,लखनौती, बिहार, कड़ा, मालवा , लाहोर, कलानौर ,राजनगर और द्वारसमुद्र
मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल के प्रमुख स्त्रोत –
- जियाउद्दीन बरनी द्वारा लिखित पुस्तक तारीख ए फिरोजशाही
- इब्नबतूता का यात्रा वृतांत (रिहला)
धार्मिक नीति
मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी बहु संख्यक हिंदू प्रजा के साथ सहिष्णुता का व्यवहार किया तथा वह दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था जिसने योग्यता के आधार पर लोगो को नियुक्त किया|
- मुहम्मद बिन तुगलक का एक हिंदू मंत्री साईंराज था तथा दक्षिण का नायब वजीर धारा भी हिंदू था |
- होली के त्योहार में भाग लेने वाला दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक मुहम्मद बिन तुगलक था|
नवीन योजनाएं और सुधार
- दोआब में राजस्व वृद्धि (1325ई.)
- राजधानी परिवर्तन (1326-27ई.)
- सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1329ई.)
- खुरासान और कराचिल अभियान (1330-31ई.)
दोआब में राजस्व वृद्धि (1325ई.)
इस योजना के द्वारा मुहम्मद तुग़लक़ ने दोआब के ऊपजाऊ प्रदेश में 50 % तक कर में वृद्धि कर दी, किन्तु उसी वर्ष दोआब में भयंकर अकाल पड़ने के कारण पैदावार प्रभावित हुई| लगान वसूल करने वाले अधिकारियों द्वारा कठोरता पूर्वक कर वसूलने के कारण किसानों ने विद्रोह कर दिया|
कृषि विस्तार के लिए मुहम्मद बिन तुगलक ने एक नया विभाग दीवान-ए-अमीर-कोही स्थापित किया| मुहम्मद बिन तुगलक प्रथम शासक था, जिसने अकाल पीड़ितों की सहातया की तथा इससे निपटने के लिए दिल्ली में राहत शिविर खोले तथा कृषको को कृषि ऋण (सोंधर) भी प्रदान किया|
राजधानी परिवर्तन (1326-27ई.)
तुग़लक़ की दूसरी योजना के अन्तर्गत राजधानी को दिल्ली से देवगिरी स्थानान्तरित किया| इसका उद्देश्य दूरस्थ दक्षिणी प्रांतों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करना तथा संभवत: मंगोल आक्रमणों से सुरक्षा था|
सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1329ई.)
चांदी की कमी के कारण मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने सांकेतिक व प्रतीकात्मक सिक्कों का प्रचलन शुरू किया, इसकी प्रेरणा तुग़लक़ ने चीन तथा ईरान से मिली| मुहम्मद तुग़लक़ ने ‘दोकानी’ नामक सिक्का तथा दीनार नामक स्वर्ण मुद्रा चलाई| चांदी के स्थान पर पीतल/काँसे की मुद्रा प्रयोग में लाई गयी किन्तु यह योजना भी असफल रही|
खुरासान और कराचिल अभियान (1330-31ई.)
- खुरासान पर विजय प्राप्त करने के लिए मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने 3,70,000 सैनिकों की विशाल सेना को एक वर्ष का अग्रिम वेतन दे दिया, किन्तु राजनीतिक परिवर्तन के कारण दोनों देशों के मध्य समझौता हो गया, जिससे सुल्तान की यह योजना असफल रही|
- खुसरो मलिक के नेतृत्व में तुग़लक़ ने विशाल सेना को पहाड़ी राज्य कराचिल अभियान पर विजय प्राप्त करने के लिए भेजा, किन्तु पूरी सेना जंगल में भटक गई, इस प्रकार यह योजना भी असफल रही|
शिक्षा , साहित्य और स्थापत्य कला
- जियाउद्दीन बरनी – तारीख-ए-फ़िरोज़शाही और फ़तवा-ए-जहाँदारी
- बद्र-ए-चाच – दीवान-ए-चाच व शाहनामा (पुस्तक)
- दिल्ली के निकट जहाँपनाह नामक नगर की स्थापना
मृत्यु
गुजरात में विद्रोह का दमन करने के पश्चात मुहम्मद बिन तुगलक तार्गी को समाप्त करने के लिए सिंध की ओर बढ़ा, किन्तु मार्ग में थट्टा के निकट गोंडाल पहुँचकर गंभीर रूप से बीमार हो जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गयी|
Note :
1336 ई. में हरिहर व बुक्का नामक दो भाइयों ने कृष्णा नदी के दक्षिण में एक हिन्दू राज्य विजयनगर की स्थापना की| कंपिली विजय के पश्चात मुहम्मद बिन तुगलक इन्हे बंदी बनाकर दिल्ली लाया था|