वह फसलें, जिनका उपयोग तेल उत्पादन (Oil production) के लिए किया जाता है, उन्हें तिलहनी फसलें (oilseed crops) कहा जाता है। कुछ प्रमुख तिलहनी फसलें निम्नलिखित है –
सोयाबीन (Glycine Max), रेपसीड / कैनोला (Brassica napus), ताड़ (Alaise ginensis), सरसों (Synapis deer), सूरजमुखी (Helianthus annus), कपास (Gossypium hirsutum), अलसी (Linum utitissimatum), मूंगफली (Arachis hypogaea), कैमलिना (Camelina sativa), अरंडी (Ricinus communis), जत्रोफा (Jatropha curcas), जोजोबा (Simmondsia chinensis) आदि।
भारत में लगभग 72% तिलहनी फसलें वर्षा पर आधारित रहती है, तिलहनी फसलों को खाद्यान्न वर्ग की फसलों के बाद देश में दूसरा स्थान है।
अरंडी, रामतिल, कुसुम और अलसी के उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान रखता है।
मूँगफली (Peanut)
- कुल – लेग्यूमिनेसी
- वानस्पतिक नाम – आर्किस हाइपोगिया (Arachis hypogaea)
- जलवायु – उष्ण कटिबंधीय (Tropical)
- वर्षा – 37-62 सेमी।
- तापमान – 20-25 C
- प्रमुख प्रजातियाँ – ज्योति, विक्रम, चंद्रा, चिन्ना, कौशल, T- 25, 64 आदि।
मूँगफली एक स्व-परागित फसल (self-pollinated crop) है, जिसे कटाव से प्रभावित क्षेत्रों में अपरदन अवरोधी तथा आच्छादनकारी फसल के रूप में उगाया जाता है।
मूँगफली (Peanut) मूल रूप से ब्राजील की एक फसल है, जिसमे 7-8 % नाइट्रोजन, 1.5 % फास्फोरस तथा 1.3% पोटाश पाया जाता है। मूँगफली लगभग 45% तक तेल प्राप्त किया जा सकता है।
सूरजमुखी (Sunflower)
- कुल – कम्पोजिटी
- वानस्पतिक नाम – हेलियनथस एनस
- जलवायु – समशीतोष्ण (temperate)
- प्रमुख प्रजातियाँ – मार्डन, BSS-1, KBSS-1, ज्वालामुखी, MSFH-19, सूर्या आदि।
सूरजमुखी या सूर्यमुखी मूल रूप से उत्तरी अमेरिका की एक फसल है, जिसमें 45-50 % तक उच्च कोटि का प्रोटीन पाया जाता है, जिसका उपयोग चारे के रूप में किया जाता है।
वर्ष 1969 में भारत सरकार द्वारा सूरजमुखी के बीजो का रूस से आयात किया गया, जबकि वर्ष 1968 में अमेरिका से सोयाबीन के बीजों का आयात किया गया। सूरजमुखी (Sunflower) के बीजों में 45-50 % तक तेल पाया जाता है।
सूरजमुखी के तेल में 64% तक लायनोलिक अम्ल (phenolic acid) पाया जाता है, जो मानव धमनियों में एकत्रित कोलेस्ट्रॉल को साफ़ करने का कार्य करता है।
सरसों (Mustard)
- कुल – क्रूसी फेरी (Cruciferae)
- वानस्पतिक नाम – ब्रैसिका (Cabbages)
- जलवायु – समशीतोष्ण
- तापमान – 15-25°C
- वर्षा – 75-100 सेमी।
- मूल स्थान – पूर्वी यूरोप
- प्रमुख प्रजातियाँ – पूसा बोल्ड, वरुणा, पूसा जयकिसान, वरुणा, पीतांबरी आदि।
सरसों के तेल में एरुसिक अम्ल (Erucic acid) पाया जाता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
सरसों तथा राई की फसल में तीखापन (pungency) होता है, जिसका कारण इसमें आइसोथियोसाइनेट (isothiocyanate) की उपस्थिति है।
सरसों की खल्ली में ग्लूकोसाइनोलेट्स (glucosinolates) पाया जाता है, जिसके कारण इसकी खल्ली को मानव व पशुओं हेतु प्रोटीन का उपयुक्त स्रोत नहीं माना जाता है। इसके सेवन से वृद्धि व विकास प्रभावित होता है तथा इससे घेंघा रोग होने की भी संभावना रहती है।
सरसों की प्रजातियाँ
- एरुसिक अम्ल (Erucic acid) की कम मात्रा वाली प्रजातियाँ – LET 14, LET 3, ALM 933, TERIHOJ 31, LET 36, LES 127, LES 29, LES 43 आदि।
- TERILGM 06 (35) में ग्लूकोसाइनोलेट्स (glucosinolates) की कम मात्रा पायी जाती है।
- कृषि विश्वविद्यालय, दंतेवाड़ा (गुजरात) द्वारा विकसित प्रजातियां – NRCHB 506, NRC-HB 502, GM 3, GSC 5, YRN 6
Note : क्रूसी फेरी (Cruciferae) कुल के सभी पौधों में तीखापन (pungency) पाया जाता है।
कुसुम (safflower)
- कुल – एस्टरेसिया (Asteraceae)
- वानस्पतिक नाम – कार्थमस टिन्नोरियस (Carthamus tinctorius)
- मूल स्थान – अफ्रीका
कुसुम (safflower), मूल रूप से अफ्रीका महाद्वीप का पौधा है, जिसे border crop के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। कुसुम (safflower) को बर्रे के नाम से भी जाना जाता है
इससे रोगन (Thickener) बनाया जाता है, जिसका उपयोग water-proof clothes के निर्माण तथा चमड़े के परिरक्षण (Preservation) में किया जाता है।
कुसुम (safflower) के फूलों से 24-36 % तक तेल प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में कुसुम के फूल की पंखुड़ियों का उपयोग हर्बल चाय बनाने में भी किया जा रहा है।
तिलहन की प्रमुख फसलों से सम्बंधित तथ्य
फसल | मूल स्थान | तेल की मात्रा % में |
---|---|---|
तिल (Sesame) | दक्षिण अफ्रीका | तेल की मात्रा – 50% प्रोटीन – 18-20% |
सूरजमुखी (Sunflower) | उत्तरी अमेरिका | 45% |
सोयाबीन (Soybean) | चीन | 21% |
अरंडी (Castor) | अफ्रीका | 45-55 % |
अलसी (Linseed) | फारस की खाड़ी | 33-47 % |
मूँगफली (Peanut) | अफ्रीका | 45 % |
कुसुम (safflower) | ब्राजील | 24 – 36 % |