मुगल कालीन इतिहास के अध्ययन के लिए निम्नलिखित स्रोत महत्वपूर्ण हैं —
बाबरनामा (तुजके-बाबरी) —
यह बाबर की आत्मकथा है जिसे उसने तुर्की भाषा (Turkish language) में लिखा था| बाद में इसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ –
- सर्वप्रथम मैडम बैवरीज द्वारा इसका मूल तुर्की भाषा से अंग्रेजी अनुवाद किया गया|
- अब्दुर्ररहीम खाना-खाना ने 1598-90 ई० में इसका फारसी भाषा अनुवाद किया|
- इसका उर्दू अनुवाद मिजा नासिरुद्दीन हैदर ने 1924 (दिल्ली) में प्रकाशित किया|
तारीख-ए-रशीदी —
इसकी रचना मिर्जा मुहम्मद हैदर ने फारसी भाषा में की थी| इसमें उसने बाबर व हुमायूँ के समय की घटनाओं का वर्णन किया| तारीख-ए-रशीदी को दो भागों में लिखा| एक भाग में 1515-33 ई० तक के मध्य के समय की बाबर और हुमायूँ जीवनकाल की घटनाओं का उल्लेख किया तथा दूसरे भाग में 1541 ई० तक अपने जीवन की घटनाओं का वर्णन किया।
हुमायूँनामा —
इसकी रचना बाबर की पुत्री गुलबदन बेगम ने की थी| इस ग्रन्थ में हुमायूँ के जीवन की सफलताओं, विजय, पराजय और कठिनाईयों का वर्णन किया है|
तजकिरात-उल-वाकियात —
इसकी रचना जौहर आफताबची ने अकबर के आदेश पर फारसी भाषा में की थी| जौहर आफताबची वर्षों तक हुमायूं की सेवा में रहा, इस कारण हुमायूँ के विषय में जानने के लिए यह ग्रन्थ प्रमाणिक माना जाता है|
तारीख-ए-दौलत-ए-शेरशाही —
इसकी रचना हसन अली खाँ ने फारसी भाषा में लिखा था| इससे शेरशाह के व्यक्तित्व, जीवन और शासन-प्रशासन आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है|
तारीख-ए-शेरशाही —
इसकी रचना अब्बास खाँ सरवानी ने अकबर के आदेश पर इस ग्रन्थ को फारसी में लिखा था | इससे शेरशाह के व्यक्तित्व, जीवन और शासन-प्रशासन आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है|
वाकियात-ए-मुश्ताकी —
इसकी रचना शेख रिजाकुल्ला मुश्ताकी द्वारा फारसी भाषा मेंमें लिखा था| इस ग्रन्थ में बहलोल लोदी से लेकर अकबर के शासन काल के मध्य भाग तक का वर्णन मिलता है।
तारीख-ए-दाउदी —
अब्दुल्ला ने इस ग्रन्थ की रचना सम्भवतः जहाँगीर के शासनकाल में की जिसमें उसने शेरशाह के शासनकाल के बारे में विस्तृत वर्णन किया है|
अकबरनामा —
इस ग्रन्थ की रचना बादशाह अकबर के शासनकाल में अबुलफजल ने की थी| यह मुगलों के इतिहास जानने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके तृतीय भाग को आइने-अकबरी के नाम से जाना जाता है|
- इसके प्रथम भाग में तैमूर से लेकर हुमायूँ तक मुगल शासको के इतिहास का वर्णन किया गया है |
- द्वितीय व तृतीय भाग में 1602 ई० तक अकबर के इतिहास का वर्णन है|
तबकात-ए-अकबरी —
इस ग्रन्थ की रचना निजामुद्दीन अहमद ने की थी| यह तीन भागों में है| इसमें भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना से लेकर बादशाह अकबर 39वें वर्ष तक के शासन का इतिहास दिया गया है|
तारीख-ए-बदायूँनी —
इसकी रचना अब्दुल कादिर बदायूँनी ने अकबर के शासनकाल में की थी| बदायूँनी ने कई अरबी और संस्कत ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद किया। तारीख-ए-बदायूँनी के तीन भाग है।
1. प्रथम भाग में सुबुक्तगीन के समय से लेकर हुमायूं के शासन काल तक की घटनाओं का वर्णन है|
2. द्वितीय भाग में 1594 ई० तक के अकबर के शासन की घटनाएँ है|
3. तृतीय भाग में बदायूँनी ने समकालीन विद्वानों और संतों के जीवन के बारे में उल्लेख किया है।
तुजुक-ए-जहाँगीरी —
यह जहाँगीर की आत्मकथा है जिसमें उसने अपने सिंहासन पर बैठने से लेकर अपने शासन के 17वें वर्ष तक का वर्णन किया है|
इकबालनामा —
इसकी रचना मुतामिद खाँ ने की थी। यह तीन भागों में है –
1. अमीर तैमूर के परिवार, बाबर तथा हुमायूँ के काल का इतिहास है|
2. द्वितीय भाग में बादशाह अकबर के समय का इतिहास है|
3. तृतीय भाग में जहाँगीर के काल का इतिहास है|
पादशाहनामा —
इसकी रचना अब्दुल हमीद लाहौरी ने की थी| ‘पादशाहनामा’ को मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के शासन काल का प्रामाणिक इतिहास माना जाता है|इसमें शाहजहाँ का सम्पूर्ण वृतांत लिखा हुआ है| इस कृति में शाहजहाँ के शासन के 20 वर्षों के इतिहास का उल्लेख मिलता है| इसमें शाहजहाँ के शासन काल की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति पर भी प्रकाश डालती है|
मुन्तखाब-उल-लबाब —
इसकी रचना हाशिम खफी खाँ ने की थी| दक्षिण भारत के इतिहास को जानने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
नुसखा-ए-दिलखुशा —
इसके लेखक भीमसेन थे , दक्षिण भारत के इतिहास को जानने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
खुलासात-उत-तवारीय —
इसकी रचना सुजानराय खत्री ने की थी। इस ग्रन्थ । इसमें महाभारत के पाण्डव से लेकर मुगल शासक औरंगजेब के समय तक के इतिहास का वर्णन है।
कानून-ए-हुमायूंनी —
इसके लेखक ख्वांद मीर थे| 1533 ई० में इसे लिखना प्रारम्भ किया तथा 1534 ई० में पूरा किया|
तोहफाए-ए-अकबर शाही —
इसकी रचना अब्बास खाँ सरवानी ने अकबर के आदेश पर की थी| इसमें शेरशाह के शासन का विस्तृत विवरण मिलता है|
Note :
इन ग्रन्थों के अतिरिक्त मुग़ल काल के अन्य साहित्यिक स्रोत –
- अहमद यादगार की तारीख-ए-शाही, मीर अलाउद्दौला|
- कजवीनी की नफाइस-उल-मनासिर, मोहम्मद सालेह का अमल-ए-सालेह|
- सादिक खाँ की तारीख-ए-शाहजहानी, ईसवरदास नागर की फतहात-ए-आलमगीरी|
- साकी मुसतइद खॉ की मासिर-ए-आलमगीरी आदि मुगलकालीन इतिहास जाने की महत्वपूर्ण स्रोत है|
Osam,everthing explained in a well manner and It is very easy to learn.
Acha 😲
Very easy for this notes ….ji
सही और सरल भाषा में समझाया गया है। पढ़ने और समझने में आसान है।
Tq
Thik hai 💯