वायुमंडल की संरचना

वायुमंडल अलग-अलग घनत्व तथा तापमान वाली विभिन्न परतों (layers) का बना होता है। पृथ्वी की सतह के पास घनत्व अधिक होता है, जबकि ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ यह घटता जाता है। तापमान की स्थिति के अनुसार वायुमंडल को पाँच विभिन्न भागों में बाँटा गया है जो निम्न है :-

  • क्षोभमंडल (Troposphere)
  • समतापमंडल (Stratosphere,)
  • मध्यमंडल (Mesosphere)
  • आयनमंडल (Ionosphere)
  • बहिर्मंडल (Exosphere)

क्षोभमंडल (Troposphere)

क्षोभमंडल वायुमंडल का सबसे नीचे का भाग है। इसकी ऊंचाई सतह से लगभग 13 Km है तथा यह ध्रुव के निकट 8 Km तथा विषुवत् वृत्त पर 18 Km की ऊंचाई तक है। क्षोभमंडल की मोटाई विषुवत् वृत्त (Equinox) पर सबसे अधिक है, क्योंकि तेज वायुप्रवाह के कारण ताप
का अधिक ऊंचाई तक संवहन किया जाता है। इस भाग में धूलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम में परिवर्तन इसी संस्तर में होता है। इस संस्तर में प्रत्येक 165 meter की ऊंचाई पर तापमान 1° ceintigrade घटता जाता है। जैविक क्रिया के लिए यह सबसे महत्त्वपूर्ण संस्तर है। क्षोभमंडल और समतापमंडल को अलग करने वाले भाग को क्षोभसीमा कहते हैं।

समतापमंडल (Stratosphere)

विषुवत् वृत्त (Equinox) के ऊपर क्षोभ सीमा में हवा का तापमान 80° ceintigrade और ध्रुव के ऊपर 45° ceintigrade होता है। यहाँ पर तापमान स्थिर होने के कारण इसे क्षोभसीमा कहा जाता है। समतापमंडल इसके ऊपर 50 Km की ऊँचाई तक पाया जाता है। समतापमंडल का एक महत्त्वपूर्ण लक्षण यह है कि इसमें ओजोन परत (Ozone Layer) पायी जाती है। यह परत पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी को ऊर्जा के तीव्र तथा हानिकारक तत्त्वों से बचाती है।

मध्यमंडल (Mesosphere)

मध्यमंडल, समतापमंडल के ठीक ऊपर 80 Km की ऊँचाई तक विस्तृत होता है। इस संस्तर में भी ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में कमी होने लगती है और 80 Km की ऊँचाई तक पहुँचकर यह 100° centigrade हो जाता है। मध्यमंडल की ऊपरी परत को मध्यसीमा कहते है।

आयनमंडल  (ionosphere)

आयनमंडल मध्यमंडल के ऊपर 80-400 Km के बीच स्थित होता है। इसमें विद्युत आवेशित कण पाये जाते हैं, जिन्हें आयन कहते हैं तथा इसीलिए इसे आयनमंडल व के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी के द्वारा भेजी गई रेडियो तरंगें इस संस्तर केद्वारा वापस पृथ्वी पर लौट आती हैं। यहाँ पर ऊँचाई बढ़ने के साथ ही तापमान में वृद्धि शुरू हो जाती है।

बहिर्मंडल (Exosphere)

वायुमंडल का सबसे ऊपरी संस्तर, जो बाह्यमंडल के ऊपर स्थित होता है उसे बहिर्मंडल कहते हैं। यह सबसे ऊँचा संस्तर है तथा इसके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। इस संस्तर में मौजूद सभी घटक विरल हैं, जो धीरे-धीरे बाहरी अंतरिक्ष में मिल जाते हैं। यद्यपि वायुमंडल के सभी संस्तर हमें प्रभावित करते हैं  फिर भी भूगोलवेत्ता वायुमंडल के पहले दो संस्तरों का ही अध्ययन करते हैं।

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