UPTET 2011 – Paper – I (Hindi Language) Answer Key

निर्देशः नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (प्र. सं. 46 से 54) में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
सारा संसार नीले गगन के तले अनंत काल से रहता आया है। हम थोड़ी दूरी पर ही देखते हैं क्षितिज तक. जहाँ धरती और आकाश हमें मिलते दिखाई देते हैं। लेकिन जब वहाँ पहुँचते हैं, तो यह नजारा आगे खिसकता चला जाता है और इस नजारे का कोई ओर-छोर हमें नहीं दिखाई देता है। ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी है। जिंदगी की न जाने कितनी उपमाएँ दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई भी उपमा पूर्ण नहीं मानी गई, क्योंकि जिंदगी के इतने पक्ष हैं कि कोई भी उपमा उस पर पूरी तरह फिट नहीं बैठती। बर्नार्ड शॉ जीवन को एक खली किताब मानते थे. और यह भी मानते थे कि सभी जीवों को समान रूप से जीने का हक है। वह चाहते थे कि इंसान अपने स्वार्थ में अंधा होकर किसी दूसरे जीव के जीने का हक न मारे। यदि इंसान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है। हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एकदुसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक में वंचित कर दें। यह खुला आसमान, यह प्रकृति और यह पूरा भू-मंडल हमें दरअसल यही बता रहा है कि हाथी से लेकर चींटी तक सभी को समान रूप से जीवन बिताने का हक है। जिस तरह से खुले आसमान के नीचे हर प्राणी बिना किसी डर के जीने, साँस लेने का अधिकारी है. उसी तरह से मानव-मात्र का स्वभाव भी होना चाहिए कि वह अपने जीने के साथ दसरों से उनके जीने का हक न छीने। यह आसमान हमें जिस तरह से भय से छुटकारा दिलाता है, उसी तरह से हमें भी मानव-जाति से इतर जीवों को डर से छुटकारा दिलाकर उन्हें जीने के लिए पूरा अवसर देना चाहिए। दूसरों के जीने के हक को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता।
Q46. ‘क्षितिज’ किसे कहते हैं?
(1) जहाँ धरती और आकश पास-पास होते हैं
(2) जहाँ धरती और आसमान मिले हुए दिखाई देते हैं
(3) जहाँ तक धरती दिखाई पड़ती है।
(4) जहाँ से धरती और आकाश दिखाई पड़ते हैं


Q47. यदि किसी का ओर-छोर नहीं है, तो –
(1) उसका सिरा नहीं मिलता
(2) उसके बहुत से सिरे हैं
(3) उसकी सीमा नहीं है
(4) उसका विस्तार अधिक है

Q48. ‘फिट’ और ‘इंसान’ शब्द है –
(1) आगत
(2) देशज
(3) तत्सम
(4) तद्भव

Q49. बर्नार्ड शा ने जीवन की उपमा किससे दी है?
(1) खुली पुस्तक से
(2) पढ़ी जा रही पुस्तक से
(3) सभी जीवों से
(4) क्षितिज से

Q50. हम बहुत बड़ा अन्याय कर रहे होते हैं, यदि –
(1) किसी को लूट लेते हैं
(2) किसी से दुश्मनी रखते हैं
(3) किसी को टिकने नहीं देते
(4) किसी को जीने का अधिकार नहीं देते

Q51. प्रकृति और खुला आसमान बता रहे हैं कि सबको
(1) मनमर्जी करने का हक है
(2) निडर बने रहना चाहिए
(3) प्रकृति से प्रेम करना चाहिए
(4) जीने का हक है

Q52. आसमान हमें दिलाता है –
(1) साथ-साथ रहने का अनुशासन
(2) रक्षा करने का वचन
(3) भय से छुटकारे का आश्वासन
(4) भयभीत न करने का आग्रह

Q53. किस शब्द में ‘इक’ प्रत्यय का प्रयोग नहीं किया जा सकता?
(1) जीव
(2) भय
(3) स्वभाव
(4) प्रकृति

Q54. ‘अपराध’ शब्द है –
(1) पदार्थवाचक संज्ञा
(2) भाववाचक संज्ञा
(3) व्यक्तिवाचक संज्ञा
(4) जातिवाचक संज्ञा

निर्देशः नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों (प्र. सं. 55 से 60) में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
चीटियाँ ईर्ष्यालु नहीं होती दौड़ती भागती एकदूसरे को संदेश पहुँचाती जीवन को परखती पहुँचती हैं वहाँ, जहाँ कोई नहीं पहुँचा कभी चीटियाँ से पहले। संकेतों में करती हैं, वे शब्द संधान रास्ता नहीं भूलती कभी स्मृति में रखती हैं संजोकर दोस्त और दुश्मन के चेहरे बिखरती हैं कभी-कभार वे मगर हर बार नए सिरे से टटोलती हैं वे पूर्वजों द्वारा छोडी गई गंध फिर से एकजुट होते हुए।
Q56. ‘ईर्ष्यालु’ किसे कहा जाता है?
(1) सबसे घृणा करने वाला
(2) दूसरों से जलने वाला
(3) पाने की इच्छा करने वाला
(4) कुछ भी न चाहने वाला

Q57. चींटियों के स्वभाव में नहीं है –
(1) संदेश पहुँचाना
(2) ईर्ष्या करना
(3) दौड़-भाग करना
(4) जीवन को परखना

Q58. बिखरी हुई चींटियाँ फिर से एकजुट कैसे होती हैं?
(1) रास्ता टटोलने से
(2) पूर्वजों की गंध से
(3) मित्रों के सहयोग से
(4) शत्रुओं की चुनौती से

Q59. मित्र और शत्रु के चेहरों को चीटियाँ –
(1) बिखेर देती हैं
(2) पहचानती नहीं हैं
(3) भूल जाती हैं
(4) याद रखती है

Q60. काव्यांश में ‘मगर’ का अर्थ है –
(1) परन्तु
(2) केवल
(3) मगरमच्छ
(4) घड़ियाल

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