1, आमतौर से, हरिद्वार में कुंभ मेले की समयावधि मानी जाती है
बंसतपंचमी से गंगा दशेरा तक
मकरसंक्रांति से वैशाखी तक
महाशिवरात्रि से गंगा दशहरा तक
माघ पूर्णिमा से अक्षय तृतीया तक
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हिलजात्रा लोक-नाटय का केन्द्रीय पात्र कौन है ?
लखियाभूत
शिव
गौरा
रणभूत -
निम्न में से कौन स्कीइंग के लिए अधिक प्रसिद्ध है ?
मसूरी
नैनीताल
पिण्डारी
औली -
‘तुरी’ और ‘रणसिंगा’ किस प्रकार के वाद्ययंत्र हैं?
अवनद्ध वाद्य
सुषिरवाद्य
घनवाद्य
तत्वाद्य -
उत्तराखण्ड की लोक-कला ‘अल्पना’ के लिए प्रचलित शब्द है
ऐपण
रंगोली
थापा
ज्यूंति -
‘गढ़वाल समाचार’ का प्रकाशन किस वर्ष प्रारंभ हुआ ?
सन् 1900 ई.
सन् 1902 ई.
सन् 1908 ई
सन् 1918 ई -
कुमाऊँ का कौन सा स्थान ‘रंग्वाली पिछौड़ी’ के लिए प्रसिद्ध है ?
अल्मोड़ा
हल्द्वानी
रूद्रपुर
काशीपुर -
देवभूमि द्रोणाचार्य पुरस्कार किसे दिया जाता है ?
खिलाड़ी को
कोच को
रेफरी को
टीम के कप्तान को -
हिमालय पर्वत श्रृंखला की उत्पत्ति निम्न भू-सन्नति में से हुई:
यूराल भू-सन्नति
रॉकी भू-सन्नति
टेथिस भू-सन्नति
इनमें से कोई नहीं -
उत्तराखण्ड के कितने जिलों में बृहत्तर हिमालय का फैलाव है ?
3 जिलों में
4 जिलों में
6 जिलों में
5 जिलों में -
निम्न में से कौन सी एक अलकनन्दा की सहायक नदी नहीं है?
भिलंगना
पिंडर
मंदाकिनी
नंदाकिनी -
उत्तराखंड का कौन सा भाग वर्षाऋतु में सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करता है ?
लघु-हिमालय
बाह्य हिमालय
भावर
तराई -
निम्न में से कौन उत्तराखण्ड की एक प्रमुख नकदी फसल है ?
फल
सब्जियाँ
गन्ना
तम्बाकू -
निम्न में से कौन सी फसल उत्तराखण्ड में कुल जोत के अधिकांश भाग में बोई जाती है ?
गन्ना
गेहूँ
चावल
दालें -
निम्न में से कौन सा जिला समूह उत्तराखण्ड में मैग्नेसाइट भण्डारण का सही क्रम दर्शाता है ?
बागेश्वर, पिथोरागढ़, चमोली
देहरादून, टिहरी गढ़वाल, बागेश्वर
उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, नैनीताल
चम्पावत, उधमसिंहनगर, पौड़ी गढ़वाल -
20 अक्टूबर, 1991 ई. को उत्तरकाशी में आई प्राकृतिक आपदा का कारण था
भू-स्खलन
बाढ़
भूकम्प
बादल-फटना -
‘छत्तीस रकम बत्तीस कलम’ की व्यवस्था का उन्मूलन किया था
चंद शासकों ने
गोरखा शासकों ने
ब्रिटिश प्रशासकों ने
इनमें से किसी ने नहीं -
तराई जिले का गठन किया गया था –
सन् 1842 ई. में
सन् 1839 ई. में
सन् 1892 ई. में
सन् 1857 ई. में -
गढ़वाल जिले की दसवीं सेटलमेन्ट रिपोर्ट तैयार की थी
वी.ए. स्टोवेल ने
ई.के. पौ ने
एच.जी. वाल्टन ने
जे.जे. मार्टिन ने -
फसल कटाई में टिहरी रियासत के अन्तर्गत जमींदार के हिस्से को कहते थे
सावनी सेर
राहदारी
प्रभुसेवा
तिहाड़