वर्ष 1971 में ईरान (Iran) में आयोजित रामसर सम्मेलन (Ramsar conference) के अनुसार आर्द्रभूमि निम्न रूप में परिभाषित किया जा सकता है | जैसे – दलदल (Marsh), पंकभूमि (Fen), पिटभूमि, जल, कृत्रिम या अप्राकृतिक, स्थायी या अस्थायी , स्थिर जल या गतिमान जल, ताजा पानी , खारा व लवणयुक्त जल क्षेत्रों को आर्द्रभूमि (Wetland) कहते है | भारत में अभी तक कुल 36 (वर्तमान 2018) आर्द्रभूमि (Wetland) क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है जो निम्न है –
विशेषताएँ
- आर्द्रभूमि क्षेत्र में उच्च जैव विविधता पाई जाती है |
- आर्द्रभूमि क्षेत्र में पारिस्थितिकी उत्पादकता अधिक होती है |
- ये प्राकृतिक जीन-पूल केंद्र (Gene-Pool Center) होते है, क्योकिं यहाँ प्राणियों के प्रजनन के लिए अनुकूल सुविधाएँ होती है|
- यह क्षेत्र बाढ़ व सूखे के प्रभाव को कम करते है |
- ये क्षेत्र तटीय चक्रवात व सुनामी से सुरक्षा करते है |
- भौम जल स्तर को बनाएँ रखते है |
- ये ईकोटोन (ecotone) क्षेत्र होते है |
- यह क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए आवास स्थल का कार्य करते है| जैसे – केवलादेव घाना पक्षी उद्यान (Rajasthan)
- ये नदियों में अवसादीकरण को कम तथा जल को शुद्ध करते है |
आर्द्रभूमि का महत्व व उपयोग
स्वच्छ पानी , भोजन , अनुवांशिक संसाधन , जलवायु नियमन , मनोरंजन स्थल , मृदा का निर्माण , परंपरागत जीवन , उच्च जैव विविधता आदि |
आर्द्रभूमि को मुख्यत: दो भागों में विभाजित किया जा सकता है –
- अंत: स्थली आर्द्रभूमि (Inland Wetland)
- समुद्री/तटीय आर्द्रभूमि (Marine/Coastal Wetland)
वैश्विक स्तर पर आर्द्रभूमि संरक्षण (Wetland protection at global level)
वर्ष 1971 में विश्वभर में आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए रामसर (कैस्पियन सागर के तट पर ईरान में स्थित) में एक बहुउद्देशीय सम्मलेन हुआ , यह एकमात्र ऐसा सम्मेलन जो किसी विशेष पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) से संबंधित वैश्विक संधि है | यह समझौता वर्ष 1975 में लागू हुआ तथा भारत (India) इसमें वर्ष 1982 में शामिल हुआ|
विश्वभर में 2 February को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World wetlands day) के रूप में मनाया जाता है क्योकिं वर्ष 1971 में इसी दिन रामसर सम्मेलन में अपनाया गया था, जबकि प्रथम विश्व आर्द्रभूमि दिवस – 1977 में मनाया गया |
आर्द्रभूमि पर संकट के कारण
भारत में आर्द्रभूमि संरक्षण
वर्ष 1982 में भारत रामसर सम्मलेन का सदस्य बना| उस समय केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Rajasthan) तथा चिल्का झील (Odisha) को आर्द्रभूमि शामिल किया गया | भारत में आर्द्रभूमि का क्षेत्रफल लगभग 4.63 % है, भारत में आर्द्रभूमि क्षेत्रफल वेम्बनाड-कोल (Kerala) का है तथा सर्वाधिक आर्द्रभूमि क्षेत्रफल वाला राज्य गुजरात (Gujrat) है | वर्तमान में भारत में रामसर समझौते के अंतर्गत 26 आर्द्रभूमि क्षेत्र है|
राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (National Wetland Conservation Programme- NWCP) –
भारत सरकार द्वारा वर्ष (1985-86) में राज्य सरकारों के साथ मिलकर राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम चलाया गया, जिसके अंतर्गत अभी तक 115 आर्द्रभूमियों को सम्मिलित किया गया –
- इसका उद्देश्य आर्द्रभूमि की पहचान से संबंधित प्रस्तावों का आकलन करना तथा आर्द्रभूमि क्षेत्रों में केंद्रीय मानकों को लागू करना |
- आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए सरकार को आवश्यक सुझाव देना |
- आर्द्रभूमि के संरक्षण के उद्देश्य से उनका वर्गीकरण |
नवीन आर्द्रभूमि संरक्षण एवं प्रबंधन कार्यक्रम (NWCMP) अधिनियम 2017 के द्वारा आर्द्रभूमि की परिभाषा में परिवर्तन किया गया| दलदली , भू-पट्टी , वनस्पति पदार्थों ढकी , प्राकृतिक , स्थायी या अस्थायी , स्थिर या बहते हुए , अलवणीय व लवणीय जल के क्षेत्र तथा समुद्री जल के वे क्षेत्र तथा जिनकी गहराई 6 meter से अधिक नहीं रहती है , उन्हें आर्द्रभूमि के अंतर्गत रखा जाता है |
रामसर सम्मलेन में शामिल देशों के प्रमुख दायित्व निम्न है –
- आर्द्रभूमियों को अंतरष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों में शामिल करना |
- सीमा क्षेत्रीय आर्द्रभूमियों, साझा पानी व्यवस्थाओं आदि से संबंधित अंतराष्ट्रीय सहयोग बढ़ावा देना |
- आर्द्रभूमि रिज़र्व बनाना |
- आर्द्रभूमि को उनके क्षेत्रों में बुनियादी पूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना |
मोंट्रेक्स रिकॉर्ड (Montreux Record) :
यह रामसर सम्मेलन के अंतर्गत कार्य करता है , Montreux Record के अंतर्गत अंतराष्ट्रीय महत्व की उन आर्द्रभूमियों को शामिल किया जाता है जहाँ मानवीय हस्तक्षेप व पर्यावरण प्रदूषण के कारण पारिस्थितिकी संकट उत्पन्न हो गया, वर्तमान में इसके अंतर्गत भारत की दो आर्द्रभूमियों को सम्मिलित किया गया है —
- लोकटक झील (Manipur) – 1993 में सम्मिलित
- केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान (Rajasthan) – 1990 में सम्मिलित
चिल्का झील को भी वर्ष 1993 में Montreux Record के अंतर्गत शामिल किया गया क्योकिं यहाँ गाद की समस्या बढ़ गयी थी, किन्तु सरकार द्वारा इस स्थल की सफाई के बाद इसे Montreux Record से हटा दिया गया |
Note:
Montreux Record के स्थलों को केवल COP की सहमति से ही हटाया जा सकता है|
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