जंतु विज्ञान (Zoology)

जीवन की उत्पत्ति समुद्र से हुई थी। प्रथम संभावित स्वगुणक अणु रीबोन्यूक्लीक एसिड (RNA) थे। यह डिऑक्सी राइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA) के समान ही एक न्यूक्लिक अम्ल है। इसका स्वय को गुणित करने का गुण जीवन के निर्माण में महत्वपूर्ण है। इसे रीबोन्यूक्लीक एसिड (RNA) विश्व परिकल्पना कहा जाता है।
सभी सजीवों के पूर्वज संभवतः RNA को जैव पदार्थ के रूप में प्रयोग करते थे। इससे जीवन के तीन मुख्य वंश परम्परा को बल मिला हैं। जो निम्न है 

  • प्रोकैरियोट (साधारण जीवाणु),
  • आकाई जीवाणु
  • यूकैरियोट

अरस्तु ने प्राकृतिक समानताओं एवं विषमताओं के आधार पर जन्तुओं को दो प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया है
ऐनैइमा (Anaima) इस समूह के जंतुओं में लाल रुधिर का अभाव होता है, जैसे – स्पंज, सीलेन्ट्रेटा, मेलस्का, आर्थोपोडा, इकाइनोडर्मेटा आदि।
इनैइमा (Enaima) ऐसे जंतुओं में लाल रुधिर मौजूद होता है। इसमें कशेरूकी जंतुओं को शामिल किया गया, जिनको दो उपसमूहों में वर्गीकृत किया गया है।

  1. जरायुज (Vivipara) इसके अन्तर्गत स्तनधारी प्राणियों (पशु, मनुष्य व अन्य स्तनी) को शामिल किया गया।
  2. अण्डयुज (0vipara) इस उपसमूह के अन्तर्गत अण्डे देने वाले जंतुओं (उभयचर, मतस्य, सरीसृप, उभयचर आदि) को सम्मिलित किया गया।

आधुनिक जैविक खोज का संक्षिप्त इतिहास

1838   कोशिका सिद्धांत से आधुनिक कोशिका जीव विज्ञान की शुरूआत।
1865  आनुवंशिकता के मूल नियमों (मंडल) से आधुनिक आनुवंशिकी की शुरूआत
1875  विकासवादी सिद्धांत (डार्विन)
1953   डीएनए की संरचना का निर्धारण (वाटसन एवं क्रिक)
1960  प्रोटीन की पहली क्रिस्टलीय संरचना
1972   डीएनए अणु (बर्ग, कोहेन, बोयर) का पहली बार पुनः संयोजन
1977  तीव्र अनुक्रमण तकनीक (गिल्बर्ट एवं सेंगर)
1994-95   डीएनए सारणियों की शुरूआत
1995   जीवों के लिए पहला पूर्ण जीनोम अनुक्रम
2001   मानव जीनोम अनुक्रम का पहला मौसदा पेश किया गया।
Note : जीव-जंतुओं के नामकरण एवं वर्गीकरण के अध्ययन को वर्गिकी (Taxonomy) कहा जाता है।

3 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Latest from Blog