पहाड़ियों एवं पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले आवागमन के प्राकृतिक मार्गों को दर्रा (Passes) कहा जाता है।
भारत में प्रमुख दर्रे
काराकोरम दर्रा
यह दर्रा जम्मू-कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र में काराकोरम पहाड़ियों के मध्य स्थित है। इस दर्रे से होकर यारकन्द एवं तारिम बेसिन का मार्ग गुजरता है। यह भारत का सबसे ऊँचा दर्रा है। यह 5664 मी. की ऊँचाई पर स्थित है।
जोजिला दर्रा
यह दर्रा जम्मू-कश्मीर में समुद्रतल से लगभग 3,528 मी. की ऊंचाई पर स्थित है, जो श्रीनगर को कारगिल और लेह से जोड़ता है। NH-1D पर स्थित यह दर्रा शीतकाल में अत्यधिक बर्फबारी के कारण बन्द रहता है। वर्ष भर सुगम यातायात सुनिश्चित करने के लिए मई, 2018 में 14.2 किमी. लम्बी जोजिला सुरंग का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया है। पूर्ण होने के बाद यह एशिया की दूसरी सबसे लम्बी द्वि-दिशीय (Bidirectional) सुरंग होगी।
बुर्जिल दर्रा
समुद्र तल से 5,000 मी. से भी अधिक ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा कश्मीर घाटी को लद्दाख के देवसाई मैदानों से जोड़ता है। बर्फ से ढक जाने के कारण यह शीत ऋतु में व्यापार तथा परिवहन के लिए बंद रहता है।
पीर पंजाल दर्रा
यह दर्रा जम्मू-कश्मीर राज्य के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाला यह पारंपरिक दर्रा मुगल रोड पर स्थित है। उप-प्रायद्वीप के विभाजन के बाद इस दरें को बंद कर दिया गया है।
बनिहाल दर्रा
जम्मू-कश्मीर राज्य के दक्षिण-पश्चिम में पीर-पंजाल श्रेणी में स्थित इस दरें से जम्मू से श्रीनगर जाने का मार्ग गुजरता है। समुद्र तल से 2,835मी. की ऊंचाई पर पीरपंजाल श्रेणी में स्थित यह दर्रा जम्मू को श्रीनगर से जोड़ता है। शीत ऋतु में यह बर्फ से ढका रहता है।
शिपकी ला दर्रा
समुद्र-तल से 4300 मी. से भी अधिक ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा, सतलज महाखड्ड से होकर हिमाचल प्रदेश को तिब्बत से जोड़ता है। तिब्बत से आने वाली सतलज नदी इसी दर्रे से भारत में प्रवेश करती है।
रोहतांग दर्रा
हिमाचल प्रदेश की पीरपंजाल श्रेणी में स्थित इसकी ऊंचाई 3,979 मी. है। यह मनाली को लेह सड़क मार्ग ये जोड़ता है। इसे हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
बडालाचा दर्रा
समुद्र तल से 4,890 मी. की ऊँचाई पर जम्मू एवं कश्मीर राज्य में स्थित दर्रा मनाली को लेह से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। शीत ऋतु में (नवंबर से मध्य मई तक) यह बर्फ से ढके होने के कारण आवागमन के लिए बंद रहता है।
माणा दर्रा
महान हिमालय की कुमायूँ पहाड़ियों (उत्तराखण्ड) में समुद्र तल से लगभग 5,611 मी. की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा उत्तराखण्ड को तिब्बत से जोड़ता है। शीतकाल में यह लगभग 6 महीने बर्फ से ढका रहता है।
नीति दर्रा
5,389 मी. ऊँचा यह दर्रा उत्तराखण्ड के कुमायूं में स्थित है। यह दर्रा उत्तराखण्ड को तिब्बत से जोड़ता है। शीत काल में यह बर्फ से ढके होने के कारण मध्य-नवंबर से मध्य-मई तक आवागमन के लिए बंद रहता है।
नाथुला दर्रा
भारत-चीन युद्ध (1962) में सामरिक महत्व के कारण चर्चित यह दर्रा सिक्किम राज्य की डोगेक्या श्रेणी में स्थित है। समुद्र-तल से लगभग 4,310 मी. की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग की एक शाखा है। भारत और चीन की सीमा से होने वाले तीन व्यापारिक मार्गों में से एक नाथुला दर्रा भी है।
जेलेप्ला दर्रा
यह सिक्किम में स्थित है, जो दार्जिलिंग व चुंबी घाटी से होकर तिब्बत जाने का मार्ग है। समुद्र तल से लगभग 4,538 मी. ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा सिक्किम को ल्हासा से जोड़ता है। यह चुंबी घाटी से होकर गुजरता है।
बोमडिला दर्रा
यह अरूणाचल प्रदेश के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है, इससे तवांग घाटी से होकर तिब्बत जाने का मार्ग गुजरता है। यह अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत की राजधानी ल्हासा से जोड़ता है। |
यांग्याप दर्रा
यह अरूणाचल प्रदेश के उत्तर-पूर्व में स्थित है। इसी दर्रे के पास से ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है। यहाँ से चीन के लिए भी मार्ग जाता है।
दिफू दर्रा
यह अरूणाचल प्रदेश के पूर्व में म्यांमार सीमा पर स्थित है। यह भारत और म्यांमार के बीच का एक परम्परागत दर्रा है, जो व्यापार एवं परिवहन के लिए पूरे वर्ष खुला रहता है।
पांगसाउ दर्रा
समुद्र तल से 4,000 मी. से भी अधिक ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा अरूणाचल प्रदेश को मांडले (म्यांमार) से जोड़ता है।
तुजु दर्रा
यह मणिपुर राज्य के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इस दर्रे से इम्फाल से लापू व म्यांमार जाने का मार्ग गुजरता है।
थाल घाट
583 मी. ऊँचा यह दर्रा महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट की श्रेणियों में स्थित है। यहाँ से दिल्ली-मुम्बई के प्रमुख सड़क व रेल मार्ग गुजरते हैं।
भोर घाट
यह महाराष्ट्र राज्य के पश्चिमी घाट श्रेणी में स्थित है। पुणे-बेलगाँव रेलमार्ग व सड़क मार्ग इसी दरें से गुजरते हैं।
पाल घाट
यह केरल के मध्य-पूर्व में नीलगिरि एवं अन्नामलाई पहाड़ी के मध्य स्थित है, जिसकी ऊँचाई 305 मीटर है।
कालीकट दर्रा
त्रिचूर से कोयम्बटूर-इरोड के रेल व सड़क मार्ग इसी दर्रे से गुजरते हैं।
Nice explain
Bharat ki nadiyan la udgam
Nice topic
Best study sir
Thanks. for this knowledge
Nice topic sir ji
सर यहां पर त्रुटि दिखाई पड़ती है क्योंकि थांदला दर्रा उत्तराखंड में है और इस मानचित्र के अनुसार वह लद्दाख में दर्शाया गया है