धन विधेयक: अनुच्छेद 110

भारतीय संविधान के अनुच्छेद – 110 में धन विधेयक (Money Bill) की परिभाषा दी गई है। 

धन विधेयक, केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है। राज्यसभा में धन विधेयक पर चर्चा तो की जा सकती है, लेकिन राज्यसभा इसमें कोई संशोधन नहीं कर सकती है।  यदि राज्यसभा द्वारा धन विधेयक को 14 दिनों के भीतर पारित नहीं किया जाता है, तो इसे लोकसभा द्वारा पारित माना लिया जाएगा। 

किसी भी विधेयक को धन विधेयक (Money Bill) माना जाएगा यदि वह 

  • यदि विधेयक किसी कर का अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन
  • भारत सरकार द्वारा धन उधार लेने के विनियमन से संबंधित हो।
  • भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, या ऐसी किसी निधि में धन डालने अथवा उसमें से धन निकालने से संबंधित हो। 
  • भारत सरकार की संचित निधि में से धन के विनियोग से संबंधित हो। 
  • किसी व्यय को भारत सरकार की संचित निधि पर भारत व्यय घोषित करना या ऐसे किसी व्यय की राशि में वृद्धि करना। 
  • भारत सरकार की संचित निधि से धन प्राप्त करना अथवा ऐसे धन की अभिरक्षा या निकासी करना अथवा संघ या राज्य के लेखाओं का परीक्षण करना। 
  • उपरोक्त विषयों से संबंधित कोई आनुषंगिक विषय हो।

किसी भी विधेयक धन विधेयक नहीं माना जाएगा यदि वह:

 

धन विधेयक और वित्तीय विधेयक में अंतर

विशेषता धन विधेयक वितीय विधेयक
परिभाषा     धन विधेयक, के द्वारा संसद को कर लगाने, करों को समाप्त करने, करों को कम करने या बढ़ाने का अधिकार देता है। वित्तीय विधेयक, संसद को वित्तीय वर्ष के लिए राजस्व और व्यय के बजट को पारित करने का अधिकार देता है।
प्रस्तुति धन विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है। वित्तीय विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा दोनों में प्रस्तुत किया जाता है।
स्वीकृति यदि धन विधेयक को लोकसभा द्वारा पारित कर दिया जाता है, तो राज्यसभा द्वारा इसे अस्वीकृत नहीं किया जा सकता है। वित्तीय विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा दोनों द्वारा पारित किया जाना जरुरी है।
शक्तियां धन विधेयक, केंद्र सरकार को कर लगाने और राजस्व एकत्र करने का अधिकार देता है। वित्तीय विधेयक केंद्र सरकार को वित्तीय वर्ष के लिए राजस्व और व्यय के बजट को पारित करने का अधिकार प्रदान करता है।
महत्व धन विधेयक, केंद्र सरकार को वित्तीय वर्ष के लिए राजस्व एकत्र करने और व्यय करने का अधिकार देता है। वित्तीय विधेयक, केंद्र सरकार को वित्तीय वर्ष के लिए राजस्व और व्यय के बजट को पारित करने का अधिकार देता है।

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