डा. भक्त दर्शन द्वारा रामतीर्थ स्मृति तथा सुमन स्मृति ग्रंथ की रचना की गयी थी।
हेमवती नंदन बहुगुणा द्वारा इंडियन नाइस नामक पुस्तक की रचना की गयी थी।
चंडी प्रसाद भट्ट द्वारा दाल्यो का दगड्या नामक स्वयं सेवी संस्था का गठन किसने किया गया था।
वर्ष 1964 में चंडी प्रसाद भट्ट द्वारा दशोली ग्राम स्वराज मंडल का गठन किया गया, जिसके लिए वर्ष 1982 में उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (Ramon Magsaysay Award) से सम्मानित किया गया।
मुकुंदराम बड़थ्वाल को अभिनव बाराहमिहिर की उपाधी से सम्मानित किया गया था।
भजन सिंह द्वारा गढ़वाली भाषा में खुदेढ़ बेटी नामक कविता की रचना की गयी थी। जिसमें मायके की याद में तड़पती एक लड़की का बड़ा हृदय विदारक व मार्मिक चित्रण किया गया है।
राजेश मोहन उप्रेती द्वारा शहीद-ए-वतन, धरोहर और क्रीड़ा पथ नामक पुस्तक की रचना की गयी थी।
पहाड़ की व्यथा नामक पुस्तक की रचना नरेश कांडपाल द्वारा की गयी थी।
जौनसारी जनजाति द्वारा नुणाई त्यौहार मनाया जाता है, जो भेड़-बकरियों से संबंधित है।
राजी जनजाति में विवाह से पूर्व मांगजांगी और पिष्ठा संस्कार की रस्में निभाई जाती है। इस जनजाति के मध्य रिंघ नृत्य प्रचलित है।
जाड़ जनजाति द्वारा लोसर और शुरगेन नामक त्यौहार मनाया जाता है। इस जनजाति द्वारा रोम्बा भाषा भी बोली जाति है।
बोक्सा जनजाति में शादी से पूर्व दुल्हे (वर) द्वारा दुल्हन (वधु) के घर में हल जोतने तथा झोपड़ी बनाने की प्रथा थी।
पंडित शिवराम द्वारा वीर केसरी की रचना की गयी थी।
दयारा बुग्याल, बेदनी बुग्याल और गुरसों बुग्याल को स्कीईंग डेस्टिनेशन (फ्रांस की सहायता) के रूप में संवारा जा रहा है।
उत्तराखण्ड के सचिवालय के मुख्य भवन का नाम भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है।
अक्षय पात्र फाउंडेशन एक गैर-सरकारी संस्था है, जिसे उत्तराखंड के स्कूल में Mid Day Meal योजना को बांटने की जिम्मेदारी दी गई है।
थारू जनजाति
- थारू जनजाति में परिवार के सबसे योग्यतम पुरुष को गंधुर कहा जाता है। इस जनजाति द्वारा जिंदा होली (होलिका दहन से पूर्व) और मरी होली (होलिका दहन के बाद) त्यौहार को मनाया जाता है।
- थारू जनजाति द्वारा पछावन को अपना ईष्ट देवता मानती है।
- थारू जनजाति द्वारा अपने घर के आगे मंदिर का निर्माण किया जाता है।