कर्नाटक के पुरातत्व, विरासत और संग्रहालय विभाग, जल्द ही अरगा क्षेत्र, मालनाड (मलेनडू) में अनुसंधान कार्य शुरू करने की योजना पर कार्य करने जा रहा है, ताकि कर्नाटक संगीत के जनक पुरंदर दास के जन्मस्थान के बारे में अटकलों को समाप्त किया जा सके।
- यह विभाग संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) के अंतर्गत कार्य करता है और पुरातात्विक अध्ययन और सांस्कृतिक स्मारकों के संरक्षण के लिए जिम्मेदार है।
प्रमुख बिंदु
जन्मस्थान
व्यापक रूप से माना जाता है, कि पुरंदर दास (Purandar Das) का जन्म पुरंदरगढ़ (महाराष्ट्र) में हुआ था। हालांकि, मलनाड (कर्नाटक) के लोगों द्वारा भी यह दावा किया कि उनका जन्म कर्नाटक में हुआ था।
साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पुरंदर दास (Purandara Dasa) का जन्म अरागा (मालनाड, कर्नाटक) के पास हुआ था। हालाँकि, किसी भी निश्चित निष्कर्ष पर तभी तक पहुँचा जा सकता है जब शिलालेख, सिक्के, भवन के अवशेष, पुरातात्विक साक्ष्य आदि प्राप्त हो।
पुरंदर दास (Purandar Das)
पुरंदर दास (Purandar Das), विजयनगर साम्राज्य के दौरान वैष्णव परंपरा के अनुयायी थे।
वैष्णव परंपरा को अपनाने से पूर्व, वह एक अमीर व्यापारी थे और उन्हें श्रीनिवास नायक के नाम से जाना जाता था।
वह भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे और उन्हें एक कवि व संगीतकार के रूप में जाना जाता है। इन्हें कर्नाटक संगीत (Carnatic music) का जनक माना जाता है।
- उन्होंने संगीत प्रणाली को औपचारिक रूप प्रदान किया, जो दक्षिण भारत की विभिन्न परंपराओं और वेदों में वर्णित संगीत विज्ञान का मिश्रण था।
- उन्होंने 84 रागों की पहचान की और कर्नाटक संगीत को सिखाने के लिए क्रमबद्ध पाठों में प्रणाली तैयार की।
उन्होंने पुरंदरा विट्ठला के नाम से कन्नड़ और संस्कृत में गीतों की रचना की।