- वानस्पतिक नाम – केमेलिया साइनेंसिस (Camellia Sinensis)
- जलवायु – उष्णार्द्र
- तापमान – 21-27°C
- वर्षा – 125-150 सेंटीमीटर
चाय एक सुगंधित पेय पदार्थ है। वर्ष 1834 में तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बैंटिक के प्रत्यनों के फलस्वरूप इसका परीक्षण व्यापारिक पैमाने पर किया गया था। यद्यपि असम और चीन में इससे पहले से ही चाय को एक पेय पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता था।
सर्वप्रथम चाय के पौधे को चीन या हिंद चीन से मंगाया गया, और इसकी खेती असम घाटी, दार्जिलिंग व नीलगिरी की पहाड़ियों आदि स्थानों पर की गई थी।
चाय की खेती 600 से 1800 मीटर ऊँचे पहाड़ी ढालों पर की जाती है, जिससे पानी चाय के पौधों जड़ों पर ना रुके, क्योंकि चाय के पौधों की जड़ों में पानी रुकने से चाय की फसल ख़राब हो जाती है।
भारत में चाय का सबसे अधिक उत्पादन असम (Assam) में किया जाता है।
चाय को मुख्यत: दो वर्गों में विभाजित किया गया है –
1. Processed or CTC Tea
आमतौर पर इस प्रकार की चाय का उपयोग घरों, होटल व आदि स्थानों पर किया जाता है। इस प्रकार की चाय में पत्तों को तोड़कर मोड़ा (Curls) जाता है, और उसके बाद उन्हें सुखाकर दानों के रूप में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया से चाय का स्वाद व महक बढ़ जाती है।
2. ग्रीन टी (Green Tea)
यह चाय सीधे पौधों के पत्तो से बनती है। ग्रीन टी (Green Tea) को बिना दूध और चीनी के पीना स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है।
Note :
- भारत विश्व में काली चाय (black tea) का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है।
- ‘ग्रीन गोल्ड’ चाय की एक प्रमुख प्रजाति है।