राष्ट्रपति के पद की अवधि (Term of Office of The President):
अनुच्छेद-56 के अनुसार राष्ट्रपति पद ग्रहण की तिथि से 5 वर्ष की अवधि तक अपना पद धारण करता है। किन्तु वह पाँच वर्ष के पूर्व कभी भी उपराष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है। उसे संविधान का अतिक्रमण (Violation) करने पर अनुच्छेद-61 में उपबन्धित महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा हटाया भी जा सकता है।
- राष्ट्रपति अपने पाँच वर्ष की पदावधि की समाप्ति के पश्चात भी तब तक अपना पद धारण किये रहता है जब तक कि उसका उत्तरधिकारी (नया राष्ट्रपति) अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है।
- राष्ट्रपति जब उपराष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देता है तब उपराष्ट्रपति तत्काल इसकी सूचना लोकसभा अध्यक्ष को देता है।
- अनुच्छेद-62 में कहा गया है कि राष्ट्रपति की 5 वर्ष की पदावधि समाप्त हाने के पूर्व ही नये राष्ट्रपति के लिए चुनाव सम्पन्न करा लिया जायेगा।
- राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्यागपत्र, महाभियोग या किसी अन्य कारण से रिक्त होता है तो उसको भरने के लिए चुनाव 6 माह के भीतर कराया जायेगा।
- मध्यावधि चुनाव द्वारा निर्वाचित नया राष्ट्रपति पद ग्रहण की तिथि से 5 वर्ष तक अपना पद धारण करता है।
राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान (Oath or affirmation by the President):
अनुच्छेद 60 के अनुसार उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा उनकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के ज्येष्ठतम न्यायाधीश द्वारा भारत के राष्ट्रपति को शपथ दिलायी जाती है।
राष्ट्रपति पर महाभियोग (Impeachment of the President):
अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा संविधान का अतिक्रमण (Violation) किये जाने पर उसके विरुद्ध महाभियोग Impeachment) चलया जा सकता है। राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग (Impeachment) संसद द्वारा चलाई जाने वाली एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है।
- महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है।
- प्रस्ताव की सूचना राष्ट्रपति को 14 दिन पूर्व प्राप्त होनी चाहिए।
- प्रस्ताव की सूचना पर उस सदन के कम-से-कम 1/4 सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
- समस्त सदस्यों के कम से कम 2/3 बहुमत से पारित हो जाता है तो वह आगे की जाँच के लिए दूसरे सदन में भेज दिया जाता है।
- राष्ट्रपति को दूसरे सदन में स्वयं अथवा अपने किसी प्रतिनिधि के माध्यम से स्पष्टीकरण देने का अधिकार है।
- यदि द्वितीय सदन भी प्रथम सदन की भाँति महाभियोग के प्रस्ताव को समस्त सदस्यों के कमसे-कम 2/3 बहुमत से स्वीकार कर लेता है तो उसी दिन से राष्ट्रपति पद रिक्त समझा जाता है।
- अभी तक एक भी ऐसा अवसर नहीं आया जब राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया गया हो।
राष्ट्रपति के चुनाव सम्बन्धी विवाद (Presidential election controversy):
अनुच्छेद 71 में कहा गया है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव सम्बन्धी विवादों का विनिश्चय उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जायेगा, तथा उसका निर्णय अन्तिम होगा।
11वें संविधान संशोधन अधिनियम 1961 द्वारा अनुच्छेद 71 में उपखण्ड (4) जोड़कर यह प्रावधान किया गया है कि राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव की वैधता को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती है कि निर्वाचक मण्डल में कुछ स्थान रिक्त है। अतः यदि किसी राज्य की विधानसभा राष्ट्रपति के निर्वाचन के समय भंग हो तब भी उसका निर्वाचन अवैध नही होगा।
Rashtrapati par mahabhiyog ka aarop sansad ke kis Sadan doara lagaya jata hai
kisi bhi sadan me lagaya ja sakta hai
Mahabhiyog sansad ke kisi v sadan se lagaya ja skta h Or jo mahabhiyog lagayega usme 1/4 members ka signature hona chahiye fir wo dur se sadan me jayega or waha ke 2/3 members agree hoge tb mahabhiyog ratarpati pr samjha jayega
प्रस्ताव की सूचना पर किस सदन के कुल मतों का कम से कम 1/4 सदस्यों का हस्ताक्षर होना चाहिए
Option –
1-किसी भी सदन का
2-दोनों सदन का
3-जीस सदन में इसे लाया जाना है
4-इनमें से कोई नहीं
Just sadan se lagaya ja raha hai us Satan ke tarf se 1/4 sadasyu ke signature hote hai.
Jo sadan vo prsatav layega.
Kisi bhi 1 sadan ke( 1)
No, Jis sadan ne lagaya hai uske 1/4 log agree hona chahiye.
जिस सदन में लाया जाएगा उसकी