उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वौच्च पद होता है। भारतीय संविधान में उपराष्ट्रपति का पद अमेरिका (America) के संविधान से लिया गया है।
निर्वाचन
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन भी राष्ट्रपति की तरह एकल संक्रमणीय पद्धतिव गुप्त मतदान द्वारा होता हैं। लेकिन यह राष्ट्रपति के निर्वाचन से दो बातो में भिन्न है –
- इसमें लोकसभा व राज्यसभा के निर्वाचित व मनोनीत दोनों सदस्य भाग लेते है , जबकि राष्ट्रपति के निर्वाचन में केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते है।
- उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में राज्य विधानसभाओं और केंद्र शासित प्रदेशों (Union Terrotries) के सदस्य शामिल नहीं होते हैं।
योग्यता
- कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक हो।
- कम से कम 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
- राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
- भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार में अथवा अन्य स्थानीय प्राधिकरण या सार्वजनिक प्राधिकरण में लाभ के पद पर ना हो।
- चुनाव में नामांकन के लिए कम से कम 20 प्रस्तावक (मतदाताओं के द्वारा प्रस्तावित) व 20 अनुमोदक (मतदाताओं के द्वारा समर्थित ) होने चाहिए।
- RBI में 15000 की राशि जमानत के रूप में यदि उसे कुल मतों का 1/6 मत नहीं मिले टो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाएगी।
पदावधि
उपराष्ट्रपति की पदावधि उसके पद ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्षो की होती है , किंतु किसी भी समय उपराष्ट्रपति , राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है। उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल की समाप्ति के बाद भी तब तक पद पर बना रहता है जब तक नव-निर्वाचित राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण न कर ले।
हटाने की प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति को राज्यसभा (Rajyasabha) के द्वारा संकल्प पारित कर पूर्ण बहुमत द्वारा हटाया जा सकता है और इसके बाद इसे लोकसभा की सहमति आवश्यक होती है।
पद रिक्तता की स्थिति
उपराष्ट्रपति की मृत्यु , पद त्याग या निष्कासन होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति पद हेतु पुन: निर्वाचन कार्य जाता है किंतु 6 माह के अंतर्गत पुन: निर्वाचन का कोई निश्चित प्रावधान नहीं है , जैसा कि राष्ट्रपति के संदर्भ में हैं।
शक्तियां व कार्य
- उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है इस संदर्भ में उसकी शक्तियां लोकसभा अध्यक्ष के समान है।
- राष्ट्रपति की पद रिक्तता की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है। वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के पद पर केवल 6 माह तक बने रह सकता है , इस अवधि में पुन: राष्ट्रपति का निर्वाचन आवश्यक है ।
- राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में भी उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति की तरह कार्य करता है।
Note:
उपराष्ट्रपति सामान्यत: राज्यसभा में मत नहीं देता किंतु किसी विधेयक पर समान बहुमत होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति का मत निर्णायक होता है।