संविधान के अनु० – 112 के अंतर्गत प्रत्येक वित्त वर्ष के संदर्भ में मंत्री द्वारा भारत सरकार की अनुमानित प्राप्तियों एवं व्यय का विवरण संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है जिसे वार्षिक वित्तीय विवरण या बजट (Budget) कहते है। बजट में सरकार की प्राप्तियों को जिनमें सरकारी विधेयक रखे जाते है तीन भागों में देखा जा सकता है —
- संचित निधि (Consolidated funds)
- आकस्मिकता निधि (Contingency fund)
- लोक लेखा निधि (Public account fund)
संचित निधि
अनु०- 226 के अंतर्गत संचित निधि का वर्णन किया गया है , इसमें सरकार को प्राप्त होने वाले सभी राजस्व तथा सरकार द्वारा लिए जाने वाले ऋणों व सरकार द्वारा दिए जाने वाले ऋणों से प्राप्त धनराशि का वर्णन किया जाता है। सरकार का पूरा खर्च संचित संचित निधि से होता है तथा बिना संसद की अनुमति के इस निधि से धन नहीं सकता है ।
आकस्मिकता निधि
अनु०- 267 के अंतर्गत आकस्मिकता निधि का प्रावधान किया गया है। इस निधि से धन निकलने के लिए राष्ट्रपति समर्थ बनाया गया है , जब कभी सरकार को संसद की स्वीकृति मिलने से पूर्व ही अप्रत्याशित आवश्यक खर्च करना पड़ता है तो इस प्रकार व्यय के लिए आकस्मिक निधि का प्रावधान किया गया है।
लोक लेखा निधि
सरकार की सामान्य प्राप्तियों एवं व्यय के अतिरिक्त सरकारी लेखों में कुछ अन्य लेन-देन जैसे- भविष्य निधियों के संबंध में लेन-देन , अन्य जमा आदि का हिसाब भी रखा जाता है जिसके संबंध सरकार लगभग एक बनकर के रूप में कार्य करती है।
इस प्रकार प्राप्त रकमों एवं उसके वितरण को लोक लेखा निधि में दिखाया जाता है , सामान्यत: यह निधि सरकार की नहीं होती है अत: इससे पैसा निकालने के लिए संसद की अनुमति की आव्यश्यकता नहीं होती है। इसके अंतर्गत सरकारी क्षेत्रों का निजीकरण (Privatization) व ऋण देना भी शामिल है ।
बजट पारित होने की प्रक्रिया
संसद में बजट पारित होने से पूर्व निम्न प्रक्रियाओं से गुज़रता है —
- बजट का प्रस्तुतीकरण
- आम बहस
- विभागीय समितियों द्वारा जाँच
- अनुदान की मांग पर मतदान
- विनियोग विधेयक का पारित होना
- वित्त विधेयक का पारित होना
भारत में बजट की पद्धति का आरम्भ भारत के प्रथम वायसराय लार्ड केनिंग (1958) के कार्यकाल में हुआ। 1859 में प्रथम बार James Wilson को लार्ड केनिंग की कार्यकारिणी का वित्त सदस्य चुना गया था। James Wilson द्वारा सर्वप्रथम 1860 में वायसराय की परिषद् में बजट पेश किया गया इसलिए इन्हें भारत बजट पद्धति का जन्मदाता कहाँ जाता है।
बजट में हुए बदलाव
वर्ष 2017 में पेश हुए बजट में दो प्रकार से बदलाव किया गया है —
- एकवर्थ समिति (1924) से चले आ रहे अलग से रेलवे बजट (Railway Budget) के प्रावधान को ख़त्म कर दिया गया है। वर्ष 1924 – 2016 तक रेल बजट और संघीय बजट को अलग-अलग पेश किया जाता रहा है।
- पहले बजट फ़रवरी के अंतिम कार्य दिवस को पेश किया जाता था किंतु वर्ष 2017 से बजट अब 1 फ़रवरी को पेश किया जाने कगा है।