उच्च न्यायालय को अपने अधीनस्थ न्यायालयों के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार है अत: उच्च न्यायालय राज्य में अपील करने का सर्वोच्च न्यायालय होता है | उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार निम्न लिखित है –
- मूल क्षेत्राधिकार
- न्यायदेश (रिट) क्षेत्राधिकार
- अपीलीय क्षेत्राधिकार
- अभिलेखीय क्षेत्राधिकार
- पर्यवेक्षीय क्षेत्राधिकार
- अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण
- न्यायिक समीक्षा
मूल क्षेत्राधिकार
- वसीयत , विवाह , तलाक , कंपनी कानून व न्यायालय की अवमानना से संबंधित मामलें
- संसद सदस्यों व राज्यविधान्मंडल सदस्यों के निर्वाचन संबंधी विवाद
- राजस्व संबंधी मामलें
- नागरिकों के मूल अधिकारों में प्रवर्तन
न्यायादेश क्षेत्राधिकार
अनु० – 226 के अनुसार उच्च न्यायालय को न्यायादेश (रिट) जरी करने का अधिकार प्राप्त है , रिटों से संबंधित मामलों में उच्च न्यायालय की शक्ति उच्चतम न्यायालय से अधिक व्यापक है क्योकि उच्चतम न्यायालय को केवल मौलिक अधिकारों से संबंधित रिटे जारी कर सकता है जबकि उच्च न्यायालय अन्य मामलों में भी रिटे जारी कर सकता है |
चंद्र कुमार मामलें (1997) में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि उच्च न्यायालय व् उच्चतम न्यायालय के रिट क्षेत्राधिकार संविधान में मूल ढाँचे के अंतर्गत आते है अत: संविधान संसोधन के द्वारा इसमें कुछ भी जोड़ा व् हटाया नहीं जा सकता है |
अपीलीय क्षेत्राधिकार
उच्च न्यायालय को अनेक अधीनस्थ न्यायालयों के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार प्राप्त है , उच्च न्यायालय की अधिकारिता केवल दीवानी व फौजदारी मामलों में है |
दीवानी मामलें – उच्च न्यायालय में उन सब मामलों में अपील की जा सकती है जो 5 लाख रु० या उससे अधिक की संपत्ति से संबंधित है | जैसे – पेटेंट (Patent) , Design , भूमि प्राप्ति , भूमि अधिग्रहण , दिवालियापन आदि मामलों में उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है |
फ़ौजदारी मामलें — उच्च न्यायालय को इन मामलों में निम्न क्षेत्राधिकार प्राप्त है-
- जब सत्र न्यायालय व अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को 7 वर्ष से अधिक सजा हुई हो |
- जब सत्र न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को मृत्युदंड दिया गया हो
अभिलेखीय क्षेत्राधिकार
- उच्च न्यायालय के फैसले सर्वकालिक अभिलेख व साक्ष्य के रूप में रखे जाते है तथा उन्हें आधार मानकर अधीनस्थ न्यायालयों के निर्णय दिए जाते है|
- उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों को किसी अधीनस्थ न्यायालय में चुनौती नहीं दी सकती है तथा उच्च न्यायालय को यह अधिकार भी है की वह अपनी अवमानना के लिए दंडित कर सके , इसके लिए लगभग 6 माह तक सामान्य जेल या 2000 रू० अर्थदंड या दोनों हो सकते है|
पर्यवेक्षीय क्षेत्राधिकार
अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण
- जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति , पदोन्नति राज्यपाल मुख्य न्यायाधीश की सलाह से करता है |
- उच्च न्यायालय द्वारा बनाए गये कानून सभी अधीनस्थ न्यायालयों पर बाध्यकारी होते है |