नगरीय शासन के प्रकार

भारत में निम्न आठ प्रकार के स्थानीय निकाय नगर क्षेत्रों के प्रकाशन के लिए सृजित किये गए है –

  • नगरपालिका
  • नगर निगम
  • अधिसूचित क्षेत्र समिति
  • नगरीय क्षेत्र समिति
  • छावनी बोर्ड
  • नगरीय क्षेत्र
  • बंदरगाह (न्यास पत्तन)
  •  विशेष उद्देश्य हेतु अभिकरण

नगर निगम – नगर निगम का निर्माण बड़े शहरों जैसे –   दिल्ली , बॉम्बे , कोलकाता , हैदराबाद तथा अन्य शहरों के लिए है नगर निगम के अंतर्गत तीन प्राधिकरण आते है –

  • नगर परिषद्
  • स्थायी समिति
  • आयुक्त

नगर परिषद्  का प्रमुख मेयर (महापौर) कहलाता है |
नगरपालिका – नगरपालिका छोटे शहरों और कस्बों के प्रशासन के लिए स्थापित की जाती है , नगरपालिका का प्रमुख अध्यक्ष होता है तथा उपाध्यक्ष उसका सलाहकार होता है |
अधिसूचित क्षेत्र समिति – इस समिति का गठन दो प्रकार के क्षेत्र प्रशासन के लिए किया जाता है –

  • औद्योगीकरण के कारण विकासशील क़स्बा
  • वह क़स्बा जिसने अभी तक नगरपालिका के गठन की आवश्यक शर्तें पूर्ण नहीं की हो किंतु राज्य सरकार द्वारा यह महत्वपूर्ण माना जाए |

नगर क्षेत्रीय समिति – यह छोटे क्षेत्रों / कस्बों में प्रशासन के लिए गठित की जाती है , यह उप-नगरपालिका  की अधिकारिक ईकाई है | इसे निम्न कार्य जैसे – जल निकासी , सड़के , स्ट्रीट लाइट , आदि की ज़िम्मेदारी दी जाती है |
छावनी परिषद् – वह क्षेत्र जिसमें सिविल जनसँख्या के लिए छावनी परिषद् की स्थापना की जाती है | इसे 2006  छावनी अधिनियम के  उपबंधों के तहत गठित किया गया ,  यह केंद्र सरकार द्वारा निर्मित किया गया तथा रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है | छावनी परिषद् को जनसँख्या के आधार पर 4 भागों में वर्गीकृत किया गया है –

  • 50,000 से ज्यादा
  • 10,000 – 50,000 के मध्य
  • 2500 – 10,000 के मध्य
  • 2500 से कम

इसके निर्वाचित सदस्य 3 वर्ष की अवधि के लिए जबकि नामित सदस्य (पदेन सदस्य) उस स्थान पर लंबे समय तक रहते है |
नगरीय क्षेत्र – इस प्रकार के शहरी प्रशासन वृहत सार्वजनिक उपक्रमों   द्वारा स्थापित किया जाता है , जो उद्योगों के निकट बनी आवासीय कॉलोनी में रहने वाले अपने कर्मचारियों को सुविधा प्रदान करती है |
न्यास पत्तन – इसकी स्थापना बंदरगाह क्षेत्रों व अन्य में मुख्य दो रूप से की जाती है –

  • बंदरगाहों की सुरक्षा व्यवस्था
  • नागरिक सुविधाएँ प्रदान करना

बंदरगाह क्षेत्रों में व्यवस्था बनाएं रखने के लिए संसद ने 1951 में बंदरगाह अधिनियम के तहत इसका गठन किया | इसका कार्य बंदरगाह पर पोतों की सुरक्षा व उनका मार्गदर्शन करना है | इसमें बंदरगाह के लोगों द्वारा एक निर्वाचित अध्यक्ष होता है जिसके  लिए  धन केंद्र सरकार उपलब्ध   कराती है |
विशेष उद्देश्य हेतु अभिकरण – इसके अंतर्गत विशेष कार्यों के निर्धारण हेतु विशेष प्रकार की इकाइयों का गठन किया गया , जो नगर निगमों या नगरपालिकाओं या अन्य स्थानीय शासनों के समूह से संबंधित है , जो निम्न प्रकार है –

  • नगरीय सुधार न्यास
  • शहरी सुधार प्राधिकारण
  • जलपूर्ति एवं मल निकासी बोर्ड
  • आवासीय बोर्ड
  • प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
  • विधुत आपूर्ति बोर्ड
  • शहरी यातायात बोर्ड

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