फिरोजशाह तुगलक – Firoz Shah Tughlaq (1351 -1388ई.)

  • मूल नाम – कमालुद्दीन फिरोज
  • उपाधि/पदवी – सैयद उस सलातीन खलीफा का नाइब ( स्वयं द्वारा)
  • जन्म – 1309ई.मे (हिंदू माता के गर्भ से )
  • फिरोजशाह तुगलक की माता- अबोहर के भट्टी राजपूत रणमल की पुत्री थी

फिरोज तुगलक का राज्याभिषेक दो बार हुआ

  • प्रथम राज्याभिषेक – 22 मार्च 1351 को थट्टा सिंध में
  • दूसरा राज्याभिषेक – अगस्त 1951 में दिल्ली में (दिल्ली में 21 दिन उत्सव मनाया)

राजस्व व्यवस्था व आर्थिक सुधार

  • ब्राह्मणों पर जजिया एवं  सिंचाई कर (हब-ए-शर्ब) लगाने वाला फिरोजशाह तुगलक दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था, जो कृषि उपज का 10% था|
  •  राज्य की आमदनी का ब्यौरा तैयार करने वाला पहला सल्तनत कालीन शासक फिरोज शाह तुगलक था, इस समय राज्य की आय 6 करोड़ 85 लाख टंका थी|
  • फिरोज तुगलक ने कृषि उपकर (अबवाब) को समाप्त किया, जिसके अंतर्गत घरी कर व चरी कर आते थे|

इस्लाम द्वारा स्वीकृत चार प्रकार का कर–

  • जजिया (गैर-मुस्लिमो से लिया जाने वाला कर)
  • जकात (आय का (2.50%) 1/40 वां भाग )
  • खिराज और
  • खुम्स (लूट का माल)

राजस्व में सुधार के दो उद्देश्य-

  • राज्य की आय में वृद्धि करना
  • करदाताओं के बोझ को कम करना

लोक कल्याणकारी कार्य

  • दास विभाग की स्थापना
  • बेरोजगार व्यक्तियों को काम देने के लिए फ़िरोज़ तुगलक ने दिल्ली में रोजगार दफ्तर की स्थापना की|  फ़िरोज़ तुगलक ने अनाथों, विधवाओं, और गरीबो के भरण पोषण एवं उनकी देखभाल के लिए दीवान-ए-खैरात (दान विभाग) की स्थापना की|
  • तुगलक ने फलो के लगभग 1200 बाग़ लगवाये, जिनसे होने वाली वार्षिक आय 1,80,000 टंका थी|
  • अशोक के 2 स्तंभों को फिरोजशाह तुगलक ने खिज्राबाद और मेरठ से लाकर  दिल्ली में स्थापित किया|

नहरों का निर्माण
फ़िरोज़ तुगलक ने सिंचाई की व्यवस्था के लिए 5 बड़ी नहरें का निर्माण करवाया

  • यमुना नदी से हिसार तक 150 मील लम्बी (उलूगखानी नहर)
  • सतलुज नदी से घग्घर नदी तक 96 मील लम्बी (राजवाही नहर)
  • सिरमौर की पहाड़ी से लेकर हांसी तक
  • घग्घर से फ़िरोज़ाबाद तक
  • यमुना से फ़िरोज़ाबाद तक का निर्माण करवाया।

तास घड़ियाल –
फ़िरोज़ तुगलक ज्ञान – विज्ञान के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किए, इसके लिए उसने तास घड़ियाल (जल घड़ी) का अविष्कार किया तथा फिरोजाबाद (दिल्ली) में नक्षत्र, धूप व जल घड़ी लगवाई|

मुद्रा व्यवस्था

फिरोजशाह तुगलक ने अद्धा (1/2) और बिख (1/4) नामक सिक्के तथा शशगनी (6 जीतल) नामक चाँदी का सिक्का चलाया|

शिक्षा व साहित्य

शिक्षा के क्षेत्र में प्रसार हेतु  फ़िरोज़ तुगलक ने अनेक मक़बरों एवं मदरसों  की स्थापना की तथा ‘जियाउद्दीन बरनी’ एवं ‘शम्स-ए-सिराज अफीफ’ को संरक्षण प्रदान किया|
जियाउद्दीन बरनी ने ‘फ़तवा-ए-जहाँदारी’ एवं ‘तारीख़-ए-फ़िरोज़शाही’ की रचना की तथा फ़िरोज़ तुगलक ने अपनी स्वयं आत्मकथा ‘फुतूहात-ए-फ़िरोज़शाही’ की रचना की|

मृत्यु

1388 ई. फ़िरोज़ शाह तुगलक की मृत्यु सितम्बर में हुई तथा उसका मकबरा हौज़खास परिसर, दिल्ली में स्थित है|

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