भारत का राजपत्र (The Gazette of India)
कानून और न्याय मंत्रालय (विधायी विभाग)
अधिसूचना, नई दिल्ली, 5 अगस्त, 2019 जीएसआर .551(ई).-राष्ट्रपति का दिया आदेश आम जानकारी के लिए प्रकाशित।
संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू) आदेश, 2019
सी.ओ.272
संविधान में अनुच्छेद 370 की धारा (1) में प्रदत्त शक्तियों से राष्ट्रपति अब जम्मू और कश्मीर की सरकार के साथ मिलकर निम्न आदेश पारित कर रहे हैं।
1. (1) इस आदेश का नाम संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 2019 है।
(2) यह तत्काल प्रभाव से लागू होगा। और इसके बाद यह समय-समय पर यथा संशोधित होगा। यह संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 1954 पर प्रभावी होगा।
2. संविधान के सभी उपबंध (प्रावधान) समय-समय पर संशोधन के साथ जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में लागू होंगे। यह बदलाव किस विषय में होंगे यह निम्न प्रकार से है:अनुच्छेद 367 में निम्न धाराएं जोड़ी जाएंगीं :
“(4) संविधान, जहां तक यह जम्मू और कश्मीर के संबंध में लागू है, के प्रयोजनों के लिए
(क) इस संविधान या इसके उपबंधों के निर्देशों को, उक्त राज्यों के संबंध में यथा लागू संविधान और उसके उपबंधों का निर्देश माना जाएगा।
(ख) जिस व्यक्ति को राज्य की विधानसभा की। सिफारिश पर राष्ट्रपति की ओर से जम्मू और कश्मीर के सदर-ए-रियासत, जो तत्स्थानिक रूप से पदासीन राज्य की मंत्री परिषद की सलाह पर कार्य कर कर रहे हैं, के रूप में तत्स्थानिक रूप से मान्यता दी गई है। उनके लिए निर्देशों को जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के लिए निर्देश माना जाएगा।
(ग) उक्त राज्य की सरकार के निर्देशों को, उनकी मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य कर रहे जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के लिए निर्देशों को शामिल करता हुआ माना जाएगा।
(घ) इस संविधान के अनुच्छेद 370 के परंतुक में खंड (2) में उल्लिखित राज्य की संविधान सभा अभिव्यक्ति को ‘‘राज्य की विधानसभा” पढ़ा जाएगा।
रामनाथ कोविंद
राष्ट्रपति। (फा.सं 19(2)य2019-विधायी 1)
डॉ जी नारायण राज सचिव
Source : Central Goverment of India
अनुछेद-370 पर फैसले से पूर्व की स्थिति
दोहरी नागरिकता का प्रावधान था।
जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) अलग संविधान और ध्वज था।
अन्य भारतीय राज्यों के लोगों को जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) में जमीन खरीदने, सरकारी नौकरी पाने, संस्थानों में प्रवेश पाने का अधिकार नहीं था।
जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष का था।
भारत की संसद यहां के संबंध में सीमित दायरे में ही कानून बना सकती थी। यहां पर राज्यपाल की नियुक्ति होती थी।
जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) में रक्षा, विदेश मामले और संचार के अलावा किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की लेनी अनिवार्य थी।
जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह करती थी, तो उस महिला की जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) की नागरिकता समाप्त हो जाती थी। इसके विपरीत यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी करती थी, तो उसके पति को भी जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) की नागरिकता मिल जाती थी।
जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) राज्य में आपातकाल की स्थिति में राज्यपाल शासन लागू होता था।
कश्मीर में हिंदू, सिख आदि अन्य धर्म के अल्पसंख्यकों को 16% आरक्षण का लाभ नहीं मिलता था।
सूचना का अधिकार (RTI), शिक्षा का अधिकार और CAG, जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) लागू नहीं था। जम्मू-कश्मीर में रणबीर दंड संहिता लागू थी।
जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) में बाहरी राज्यों के व्यक्ति न तो मतदान कर सकते थे और न ही चुनावों में उम्मीदवार बन सकते थे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) में मान्य नहीं होते थे।
अनुछेद-370 पर फैसले के बाद की स्थिति
दोहरी नागरिकता, अलग संविधान और अलग ध्वज का प्रावधान की समाप्ति।
भारतीय तिरंगे और राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अब अपराध की श्रेणी के अंतर्गत। देश का कोई भी नागरिक अब जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) में संपत्ति खरीद-बेच सकेगा, व्यापार कर सकेगा और सरकारी नौकरी पा सकेगा।
दिल्ली की तरह अब जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) भी विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा। जिसका कार्यकाल 5 वर्ष होगा।
लद्दाख (Ladakh ) पूर्णत: केंद्र शासित प्रदेश होगा। जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) व लद्दाख (Ladakh ) में अब उप-राज्यपाल का पद होगा।
जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) राज्य की पुलिस अब केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में रहेगी।
जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) कैडर के आइपीएस व आइएएस अधिकारी UT कैडर के अधिकारी हो जाएंगे।
जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) राज्य की महिलाओं को किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह के बाद उसके अधिकारों व नागरिकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके विपरीत पाकिस्तानी नागरिकों को मिला विशेषाधिकार समाप्त हो जायेगा।
जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) में भी अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल हो सकेगा अर्थातः यहाँ भी राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकेगा।
अन्य समुदाय के अल्पसंख्यकों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।
सूचना का अधिकार (RTI), शिक्षा का अधिकार और CAG, जैसे कानून लागू हो सकेंगे,तथा भारतीय दंड संहिता भी प्रभावी होगी।
भारतीय गणराज्य का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) का मतदाता और चुनावों में उम्मीदवार बन सकेगा तथा
सर्वोच्च न्यायालय (SC) द्वारा किए गए फैसले अब जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) और लद्दाख (Ladakh) में भी मान्य होंगे।