अशोक का कालसी अभिलेख
- यमुना और टोंस नदी के संगम पर कालसी नामक एक छोटा सा क़स्बा है, जिसका प्राचीन नाम “खलतिका” था, और कही-कहीं इसका नाम “कालकूट” व “युगशैल” भी मिलता है।
- देहरादून में अमलावा नदी और यमुना नदी के संगम पर 257 ई.पू. में लिखित अशोक का कालसी अभिलेख स्थित है।
- अशोक का कालसी अभिलेख की प्राकृत भाषा औरब्राह्मी लिपि में है।
- कालसी अभिलेख में यहाँ के निवासियों के लिए पुलिंद तथा इस क्षेत्र के लिए अपरांत शब्द का प्रयोग किया गया है।
- कालसी अभिलेख की खोज वर्ष 1860 ब्रिटिश व्यक्ति फारेस्ट द्वारा की गयी थी।
- पाद्रेटी फेंथैलर ने अशोक के शिलालेख की खोज की थी।
राजकुमारी ईश्वरा का अभिलेख (प्रशस्ति)
- लाखामण्डल से राजकुमारी ईश्वरा का अभिलेख (प्रशस्ति) प्राप्त हुआ है, जिससे यहाँ एक शिव मंदिर के निर्माण की पुष्टि होती है।
- राजकुमारी ईश्वरा छगलेश वंश की राजकुमारी थी।
अन्य प्रमुख लेख
- मूर्तिपीठिका लेख – देवलगढ़, कुलसारी से प्राप्त (जतबाल देव)
- त्रिशूल लेख – गोपेश्वर तथा बाडाहाट से अशोक चल्ल के लेख प्राप्त हुए है, जिसमें उत्कीर्ण लिपि शंख लिपि है।
- कुषाण कालीन मुद्राएं – मुनी की रेती, सुमाड़ी से प्राप्त हुई है।
- ईटों पर उत्कीर्ण लेख नैनीताल तथा बाडवाला देहरादून (शीलवर्मन) से मिले है ।
- मन्दिरों की दीवारों पर उत्कीर्ण लेख गोपेश्वर, कालीमठ, केदारनाथ मठ से प्राप्त हुए है।
- गुफाओं पर उत्कीर्ण लेख देवप्रयाग वामनगुहा तथा कल्पनाथ से प्राप्त हुए है।
- मोरध्वज स्तूप से तीसरी सदी का मुद्रा लेख प्राप्त हुआ है।
- बालेश्वर से क्राचल देव के शासनकाल का ताम्रपत्र प्राप्त हुआ है।
- कत्यूरी शासनकाल की जानकारी पाण्डुकेश्वर ताम्रपत्र से मिलती है।