- 887 ई. में मालवा के राजकुमार कनकपाल बद्रीनाथ की तीर्थ यात्रा पर आए थे। इस समय चांदपुरगढ़ का सबसे शक्तिशाली राजा भानुप्रताप था। भानुप्रताप ने अपनी विवाह का विवाह कनकपाल से कर दिया।
- गढ़वाल के पंवार वंश या परमार वंश का संस्थापक कौन था – कनकपाल (888-898)
- पंवार वंश की राजधानी चांदपुर गढ़ी थी।
- कनकपाल 888 ई. में उत्तराखण्ड की यात्रा पर आया था।
- पंवार वंश के किस शासक की को गढ़पाल कहा जाता था – अजयपाल
- नेपाल के शासक अशोक चल्ल ने 1191 ई. में उत्तराखण्ड पर आक्रमण किया था, उस समय चांदपुरगढ़ी का शासक आनन्द पाल था।
- सोनपाल ने भिलंग घाटी पर अधिकार कर अपने राज्य का विस्तार किया तथा इसे अपनी राजधानी बनाया।
- वह राजा जिन्होने भिलंग घाटी पर अधिकार किया उन्हें सोनपंथी राजा के नाम से जाना जाता था। भिलंग घाटी को सोनी भिलंग के नाम से जाना जाता है।
- गढ़वाल के शासक लखनदेव के नाम की मुद्राएं प्राप्त हुई है, अपने नाम की मुद्राएं छापने वाला यह प्रथम शासक था।
- पंवार वंश के शासक जगतपाल का 1455 ई. में लिखित ताम्रपत्र प्राप्त हुआ।
- अजयपाल, गढ़वाल के पंवार वंश का 37वां राजा था, जो वर्ष 1490 में राजा बना और 52 गढ़ो को जीतकर एक विशाल राज्य की नींव रखी। ।
- 1491 ई. में कुमाऊं के शासक कीर्तिचंद ने गढ़वाल पर आक्रमण कर वहां के राजा अजयपाल को पराजित किया था। कीर्तिचंद ही राजा अजयपाल से संधि करने वाला प्रथम चंद शासक था
- पंवार वंश की राजधानी चांदपुर गढ़ी थी, वर्ष 1512 ई. में अजयपाल द्वारा अपनी राजधानी चाँदपुर गढ़ी से देवलगढ़ स्थानान्तरित की तथा वर्ष 1517 ई. में अजयपाल द्वारा अपनी राजधानी देवलगढ़ से श्रीनगर (श्रीपुर) स्थानांतरित कर दी गयी।
- अजयपाल ने कत्यूरी शासकों से स्वर्ण सिंहासन छीना था तथा देवलगढ़ स्थित राजराजेश्वरी मन्दिर का निर्माण भी अजयपाल ने किया।
- कफ्फु चौहान का सेनापति देवू नामक व्यक्ति था। कफ्फु चौहान के लिए अजयपाल ने वीर शब्द प्रयुक्त किया था।
- पंवार वंश का शासक अजयपाल अफगान का शासक सिकन्दर लोदी के समकालीन था।
- गढ़वाल की दिल्ली के नाम से श्रीनगर को जाना जाता है, क्योंकि दिल्ली की तरह गढ़वाल पर भी 11 बार आक्रमण किया और 11 बार इसे बसाया गया
- अजयपाल ने गढ़वाल राज्य की रक्षा के लिए एक केंद्रीय सेना का निर्माण किया।
- अजयपाल ने खाना बनाने के लिए सरोला नामक ब्राह्मण को नियुक्त किया गया। वर्ष 1904 में गढ़वाल में सरोला सभा की स्थापना की गई थी।
- ठाकुर शूरवीर सिंह द्वारा लिखित सॉवरी ग्रंथ (तांत्रिक विद्या वाले ग्रंथ) में अजयपाल को आदिनाथ कहा गया है।
- सावरी ग्रंथ में अजयपाल को महात्मा के नाम से संबोधित किया गया है।
- वर्ष 1519 ई. में अजयपाल की मृत्यु हो गई थी।
Latest from Blog
भारतीय संविधान के अनुच्छेद – 110 में धन विधेयक (Money Bill) की परिभाषा दी गई है। …
UKSSSC (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) द्वारा Uttarakhand VDO/VPDO Exam (Re Exam) का आयोजन 4 December…
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा आयोग (Uttarakhand Public Service Commission) द्वारा 11 June 2023 को UKPSC Forest SI Exam परीक्षा का आयोजन…
संघ लोक सेवा आयोग UPSC (Union Public Service Commission) द्वारा आयोजित Civil Services Prelims Exam (Paper 1),…
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (Uttarakhand Public Service Commission) द्वारा 9 April 2023 को UKPSC Forest Guard Exam परीक्षा…