राजा जिस स्थान पर अपने परिवार के साथ रहता था उस स्थान को पौरव शासनकाल में कोट कहा जाता था।
पौरव वंश के शासनकाल में सेना तीन भागों में विभाजित होती थी –
- गज (गजपति),
- अश्व (अश्वपति),
- पैदल (जयनपति)
इस काल में भूमि कर को भाग जाता था, जो उपज का 6वां भाग होता था, तथा कर वसूलने वाले को भागिक कहा जाता था।
ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा वृतांत सी-यू-की में पौरवों वंश की राजधानी को ब्रह्मपुर (हरिद्वार) कहा है।
इस वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा द्युति वर्मन था। तालेश्वर ताम्रपत्र में निम्नलिखित पौरवों राजाओं के नाम का उल्लेखित है –
- विष्णुवर्मन,
- द्युतिवर्मन,
- अग्निवर्मन
तालेश्वर ताम्रपत्र
- वर्ष 1915 में अल्मोड़ा में देघाट के निकट तालेश्वर मंदिर परिसर में छठी शताब्दी के दो दुर्लभ ताम्रपत्र प्राप्त हुए थे, जिन्हें वर्तमान में तालेश्वर ताम्रपत्र के नाम से जाना जाता है, जो पौरव वंश संबंधित है।
- वर्तमान में यह दोनों ताम्रपत्र लखनऊ संग्रहालय में रखे गए हैं, तथा इन दोनों ताम्रपत्रों की प्रतिकृतियां (Replicas) अल्मोड़ा संग्रहालय में स्थित हैं।
- यह ताम्रपत्र द्विज बर्मन और द्युति वर्मन के शासनकाल के हैं।
- यह ताम्रपत्र ब्राह्मी लिपि में लिखे गए है।