- गर्भ काल: 152 दिन
- उम्र: 10 – 12 साल
- वैज्ञानिक नाम: Ovis aries
भारत में भेड़ों की 26 नस्लें पायी जाती है।
लोही भेड़ की सर्वाधिक दूध देने वाली नस्ल है।
मैरिनो भेड़ से सर्वाधिक ऊन प्राप्त किया जाता है, इस भेड़ का मूल स्थान स्पेन है।
लिसिस्टर से सबसे लंबा ऊन प्राप्त किया जाता है, इस भेड़ का मूल स्थान इंग्लैण्ड है।
लोही व कच्छी भेड़ की द्विकाजी नस्लें है।
तिब्बती एंटीलोप (Tibetan antelope) और चिरु (chiru) के बालों से गर्म ऊनी शॉल (Warm woolen shawls) तैयार किया जाता है, जिसे शहतूश (Shahtoosh) नाम से जाना जाता है।
चिरु (chiru) नस्ल की भेड़ मूलतः तिब्बत में मिलता है। इसके अतिरिक्त भेड़ की यह प्रजाति लद्दाख तथा पश्चिमी नेपाल में भी मिलती है।
बीकानेरी, चोकला, मागरा, दानपुरी, मालपुरी तथा मारवाड़ी नस्ल की भेड़ो से प्राप्त होने वाले ऊन का उपयोग कालीन बनाने में किया जाता है। भेड़ की यह नस्लें उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पायी जाती है।
केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म, हिसार (हरियाणा) तथा केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अंबिकानगर (राजस्थान) में स्थित है।
भारतीय भेड़ की नस्लें (Indian sheep breeds)
- दूध हेतु उपयोग में लायी जाने वाली – लोही, कूका, गुरेज, नुरेज
- मांस हेतु उपयोग में लायी जाने वाली – हसन, नैल्लोर, जालौनी, मांड्या, शाहवादी, बजीरी
- ऊन हेतु उपयोग में लायी जाने वाली – बीकानेरी, बैलारी, चोकला, जालौनी, भाकरवाल, मागरा, काठियावाड़ी, मारवाड़ी, भादरवाल, मालपुरा, दक्कनी
विदेशी भेड़ की नस्लें
- दूध हेतु उपयोग में लायी जाने वाली – बलूची, बैलेचियन, सिर्गजा
- ऊन हेतु उपयोग में लायी जाने वाली – मेरिनो (स्पेन), रोमनी मार्श (इंग्लैण्ड), रेम्बले (स्पेन), पोलवर्थ (ऑस्ट्रेलिया), कारीडेल (न्यूजीलैंड)
- मांस हेतु उपयोग में लायी जाने वाली – हैम्पशायर टाउन, लिंकन, लिस्टर, साउथ टाउन
नूरी (Noori) – वैज्ञानिकों डॉ. रियाज अहमद एवं डॉ. तेज प्रताप सिंह द्वारा पश्मीना भेड़ का क्लोन (Clone of Pashmina sheep) विकसित किया गया था, जिसे नूरी (Noori) नाम दिया गया।