ज्वार (Sorghum) कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख फसल है, जिसका उपयोग खाद्यान्न तथा चारे के रूप में किया जाता है।
ज्वार की फसल बोन से पूर्व जमींन की 2 से 3 बार अच्छी तरह जुताई आवश्यक रूप से करनी चाहिए तथा इसके बाद खेत में 100 क्विं./हें. के हिसाब से गोबर की खाद को खेत में डालकर अच्छी तरह मिलाना चाहिए। ज्वार की खेती के लिए टांड जमीन को सबसे उपयुक्त माना जाता है।
यह खरीफ ऋतु की एक प्रमुख फसल है, जिसे जून से जुलाई के मध्य बोया जाता है। भारत में बाजरे का सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र में होता है।
इस फसल में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश उर्वरको की मात्रा का अनुपात क्रमशः 60:40:20 किलो /हेक्टेयर होना चाहिए।
ज्वार (Sorghum) की प्रमुख प्रजातियाँ
- SL44
- Punjab Sudax
- SSG 59-3
- HC 136
- Pusa Chari
- HC 260, HC 171
- Pusa Chari 23
- MP Chari
- Harrison 855 F
- Pusa Chari 9
- MFSH 3
भारत के विभिन्न राज्यों में उगाई जाने वाली ज्वार (Sorghum) की प्रमुख प्रजातियाँ
ज्वार (Sorghum) की फसल के प्रमुख रोग
दानों की कांगियारी, पत्ता झुलस रोग, पत्तों के निचले धब्बे, दानों पर फंगस, गुंदिया रोग, एंथ्राक्नोस, कुंगी आदि ज्वार की फसल में होने वाले प्रमुख रोग है।