फसल प्रणाली या सस्यन प्रणाली का अर्थ तत्वों या अवयवों के एक ऐसे समूह से हैं जो आपस में अंतर्किया करते हैं और एक-दूसरे से संबंधित होते हैं। सस्यन प्रणाली (Cropping System) को निम्नलिखित तरीके से परिभाषित किया जा सकता है –
- किसी निश्चित पारिस्थितिकी तंत्र में उपलब्ध कृषि संसाधनों से आय प्राप्त करने हेतु अपनायी गयी विधि को सस्यन क्रम (Cropping pattern) तथा इसके प्रबंधन को फसल प्रणाली या सस्यन प्रणाली कहते है।
फसल प्रणाली (Cropping System) = सस्य क्रम (Cropping Pattern) + प्रबंधन (Management)
- किसी खेत (Farm) पर प्रयोग में लाएँ जाने वाले सस्यन क्रम (cropping pattern) तथा वहाँ उपलब्ध संसाधनों, तकनीक और उद्यमों के परस्पर अंतक्रिया को फसल प्रणाली या सस्यन प्रणाली कहते हैं।
- फसलो के उत्पादन के सभी अवयवों तथा इनका आपसी संबंध और इनका पारिस्थितिकी तंत्र के साथ समाविष्ट होना ही सस्यन प्रणाली (Cropping System) है।
- किसी भूमि पर निश्चित समय हेतु फसल चक्र को अपनाना, मृदा-प्रबंधन क्रियाएँ एवं अन्य प्रबंधन प्रक्रिया को फसल प्रणाली या सस्यन प्रणाली कहते हैं।
फसल प्रणाली (Cropping System) का मुख्य उद्देश्य सभी संसाधनों, जैसे – जल, भूमि, सौर ऊर्जा और तकनीक का समुचित उपयोग करते हुए, फसलों के उत्पादन में वृद्धि करना हैं।
एकल कृषि (Mono Culture)
किसी एकवर्षीय फसल-चक्र में एक ही फसल की खेती को बार-बार किए जाने की प्रक्रिया को एकल कृषि (Mono culture) कहते है। जैसे – धान – धान – धान। एकल कृषि में फसल सघनता (Cropping Intensity) हमेशा 100% से अधिक होती है।
फसल सघनता (Crop Intensity)
फसल सघनता को एक वर्ष में कुल कृषित क्षेत्र (Total cultivated area) व निवल कृषित क्षेत्र (Net cultivated area) के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है। जिसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।
फसल गहनता के आधार पर कृषि को दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है –
- गहन शस्यन (Intensive Cropping) – जिसकी गहनता 200% इससे अधिक हो
- विरल शस्यन (Extensive Cropping) – जिसकी गहनता 200% से कम हो