विस्थापन (Displacement) – गतिशील वस्तुओं के मध्य जो न्यूनतम दूरी होती है, उसे विस्थापन कहा जाता है।
चाल (Speed) – एक इकाई समय में किसी भी वस्तु द्वारा तय की गयी दूरी को उस वस्तु की चाल (Speed) कहा जाता है। इसका मात्रक मीटर/सेकेण्ड तथा यह एक अदिश राशि है।
वेग (Velocity) – किसी भी गतिशील वस्तु के विस्थापन की दर को उस वस्तु का वेग (Velocity) कहा जाता है। यह सदिश राशि है, जिसके कारण इसके स्थानान्तर की दिशा निश्चित होती है।
संवेग संरक्षण का सिद्धान्त (Principle of momentum conservation) – एक वस्तु में जितना संवेग परिवर्तन होता है दूसरे में भी उतना ही संवेग विपरीत दिशा में आ जाता है, अर्थात दो या दो से अधिक वस्तुओं के संवेग में तब तक परिवर्तित नहीं होगा, जब तक उस पर बाह्य बल न लगाया जाए। इसे ही संवेग संरक्षण का सिद्धान्त (Principle of momentum conservation) कहते हैं।
Note: राकेट का ऊपर की ओर जाना संवेग संरक्षण के सिद्धान्त (Principle of momentum conservation) पर आधारित है।
त्वरण (Acceleration) – किसी वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को उस वस्तु का त्वरण (Acceleration) कहते हैं। यह सदिश राशि है तथा इसे ‘a‘ से प्रदर्शित किया जाता है ।
स्थानान्तरित गति (Translatory Motion) – यदि कोई वस्तु सीधी रेखा में गति कहती है, ऐसी गति को स्थानान्तरित गति (Translatory Motion) कहते हैं।
सापेक्षिक वेग (Relative velocity) – किसी एक वस्तु की अपेक्षा दूसरी वसतु के वेग को सापेक्षिक वेग (Relative velocity) कहा जाता है।
भार (Weight) – किसी वस्तु पर पृथ्वी द्वारा लगाया गया आकर्षण बल उस वस्तु का भार कहलाता है। भार का मात्रक न्यूटन (newton) है।
संतुलित बल (Balanced Force) – जब किसी पिंड या वस्तु पर एक से अधिक बल कार्य करते हैं और उन सभी बलों का परिणामी बल (resultant force) शून्य हो तो वह पिंड से संतुलित अवस्था में होगा, तो इसे संतुलित बल (Balanced Force) कहते है।
अपकेन्द्रीय बल (centrifugal force) – वृत्तीय मार्ग पर चल रहे पिण्ड के केन्द्र की ओर से एक बल लगता है जिसे अपकेन्द्र (Centrifugal force) कहते हैं। जैसे – वाशिंग मशीन (Washing Machine) द्वारा कपड़ा सुखाना, दूध से मक्खन निकलना
अभिकेन्द्री बल (Centripetal Force) – किसी बल के परिणाम स्वरूप गतिशील वस्तु में वृत्ताकार पथ के केन्द्र की तरफ भागने की प्रवृत्ति रहती है, उसे अभिकेन्द्री बल (Centripetal Force) कहा जाता है। जैसे – पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाना (Earth revolving around the sun)
आसंजक बल (Adhesive Force) – आकर्षण बल के कारण विभिन्न द्रव्य उससे चिपके रहते हैं। उसे आसंजक बल कहा जाता है तथा इस घटना को आसंजक कहा जाता है।
प्रत्यास्थता (Elasticity) – किसी भी वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह अपने ऊपर लगाये गए, किसी भी प्रकार के बाह्य बल का विरोध करता है, उसे उस वस्तु की प्रत्यास्थता (Elasticity) कहते हैं।
पृष्ठ तनाव (Surface Tension) – किसी भी द्रव (fluid) का गुण जिसके कारण वह अपने स्वतन्त्र पृष्ठ को सिकोड़कर न्यूनतम करने की प्रवृत्ति रखता है। इसके कारण द्रव का बाह्य स्वतंत्र पृष्ठ तनी हुई झिल्ली की भांति व्यवहार करता है, द्रव के बाह्य पृष्ठ के इस तनाव को पृष्ठ तनाव कहा जाता है।
Note: पृष्ठ तनाव (Surface Tension) के कारण ही वर्षा तथा ओस की बूदें गोल दिखती हैं ।
श्यानता (Viscosity) – किसी भी द्रव (fluid) का गुण जिसके कारण वह अनेक परतों के मध्य आपेक्षित गति का प्रतिरोध करता है, श्यानता (Viscosity) कहलाता है।
Note: वायु की श्यानता (Viscosity) द्रव की अपेक्षा कम होती है इसलिए पानी की अपेक्षा वायु में दौड़ना आसान होता है।
प्रतिध्वनि (Echo) – जब ध्वनि तरंगे (sound waves) किसी दृढ़ वस्तु से टकराकर परावर्तित होती हैं तो उस परावर्तित ध्वनि को प्रतिध्वनि (Echo) कहते हैं।
पुनर्हिमायन (Regelation) – दाब के परिणाम स्वरूप बर्फ का निम्न द्रवणांक पर गलना और दाब हटाये जाने पर उसे पुनः जम जाने की क्रिया को पुनर्हिमायन (Regelation) कहा जाता है।
निरपेक्ष आर्द्रता (Absolute humidity) – वायुमंडलीय हवा के एक घन मीटर आयतन में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा का निरपेक्ष आर्द्रता (Absolute humidity) कहा जाता है।
प्रकाशमिति (Photometry) – इसके अन्तर्गत प्रकाश करने वाली किसी वस्तु की प्रदीपन क्षमता की माप का विवेचन किया जाता है।
आपेक्षिक घनत्व (Relative Density) – दो पदार्थों, द्रवों, या गैसों का घनत्व समान नहीं हो सकता है, उनके घनत्व (Density) में कुछ न कुछ असमानता होती है। दो पदार्थों के घनत्व के अनुपात को आपेक्षिक घनत्व (Relative Density) कहते हैं।
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