अंबुबाची मेला (Ambubachi Mela) प्रत्येक वर्ष असम के कामाख्या मंदिर (गुवाहाटी) में 22 से 27 जून तक आयोजित किया जाता है।
प्रमुख बिंदु
यह त्यौहार कामाख्या देवी मंदिर (गुवाहाटी, असम) में पीठासीन देवी की वार्षिक माहवारी का प्रतीक है।
- मंदिर के गर्भगृह में योनी (महिला जननांग) है, जो एक चट्टान का प्रतीक है।
कामाख्या मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो शक्ति पंथ (Shakti cult) के अनुयायियों के लिए पवित्र स्थल है, प्रत्येक शक्तिपीठ, माता सती (भगवान शिव की पत्नी) के एक शरीर के अंग का प्रतिनिधित्व करता है।
यह मंदिर नीलाचल पहाड़ियों (Nilachal Hills) पर स्थित है, जिसके उत्तरी मुख से ब्रह्मपुत्र नदी तक ढलान है।
स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, कामाख्या मंदिर का निर्माण राक्षस राजा नरकासुर द्वारा बनाया गया था, किंतु वर्तमान में केवल 1565 के अभिलेख उपलब्ध हैं, जिसके अनुसार इस मंदिर का पुनर्निर्माण अहोम राजा नारानारायण (Naranarayana) द्वारा किया गया था।
अंबुबाची मेले का महत्त्व
सांस्कृतिक महत्व – यह एक अनुष्ठानिक मेला है, जो कामाख्या देवी के मासिक धर्म से जुड़ा हुआ है।
असम में लड़कियों के नारीत्व की प्राप्ति एक रस्म के साथ मनाया जाता है जिसे तुलोनी बया (Tuloni Biya) कहा जाता है, जिसका अर्थ है छोटी शादी।
सामाजिक महत्व – अंबुबाची मेला (Ambubachi Mela), सैनिटरी पैड (sanitary pads) के उपयोग के माध्यम से आगंतुकों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने का एक अवसर भी है।
आर्थिक महत्व – अंबुबाची मेले में मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड से लाखों को संख्या में लोग आते है। इस मेले में विदेश से भी लोग आते हैं, जिससे राज्य पर्यटन को बढ़ावा तथा स्थानीय लोगो को रोजगार प्राप्त होता हैं।