भैंस (Buffalo) एक पालतू पशु है, जिसका उपयोग दुग्ध उत्पादन के लिए किये जाता है। भैसों की 2 नस्लें पायी जाती है:
- भारतीय भैंसे – भारतीय भैंस को जल भैंस (Water buffalo) भी कहा जाता है, इसका जीनस बुवेलस (Buvelus) है।
- विदेशी भैंसे – विदेशी भैंस को दलदली भैंस (Swamp buffalo) भी कहा जाता है, इसका जीनस सिनसैरस (Cincaceus) है।
मुर्रा, भदावरी, जाफरावदी, मेहसाना, तराई, सूरती एवं नागपुरी भारतीय भैंस की 7 प्रमुख मान्यता प्राप्त नस्लें है।
भारत में सर्वाधिक दूध देने वाली भैंस मुर्रा है, और भदावरी भैंस के दूध में सर्वाधिक 12-14 % तक वसा पाया जाता है।
केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान की स्थापना हिसार (हरियाणा) में की गयी है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा सर्वप्रथम भैंस के पाड़े को बनाया गया था, लेकिन फरवरी 2009 में निमोनिया से इसकी मृत्यु हो गयी।
भैंस की नस्लें
गरिमा (Garima)
यह विश्व की दूसरी सबसे क्लोन भैंस की कटड़ी (buffalo calf) है, जिसे हैंड गाइडेड क्लोनिंग तकनीक (hand-guided cloning technique) से NDRI करनाल (हरियाणा) के वैज्ञानिकों द्वारा 6 जून 2009 में गरिमा को सफलतापूर्वक जन्म दिलाया गया।
महिमा (Mahima)
25 जनवरी 2013 को भैंस के एक नए क्लोन गरिमा – II (कटड़ी) को जन्म दिया गया। बाद में इसे महिमा नाम दिया गया।
भारत ही प्रथम ऐसा देश है, जहाँ क्लोन से तैयार पड़िया ने प्राकृतिक रूप से बच्चे को जन्म दिया है। इससे पूर्व यह माना जाता था कि क्लोन से तैयार किये गए प्राणी बाँझ होते है।
इससे पूर्व भी करनाल (हरियाणा) स्थित NDRI के वैज्ञानिकों द्वारा विश्व की पहली भैंस का क्लोन समरूपा को फरवरी 2009 में जन्म दिया गया था।
हिसार गौरव (Hisar Gaurav)
हरियाणा के हिसार में स्थित केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (CIRB) के वैज्ञानिकों द्वारा 11 दिसंबर 2015 को एक क्लोन कटड़े का जन्म कराने में सफलता प्राप्त की।
नेशनल डेयरी रिसर्च संस्थान (NDRI) के पश्चात केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (CIRB) भारत का ऐसा दूसरा संस्थान है, जो भैसों की क्लोनिंग करने में सक्षम है।
हिसार गौरव (Hisar Gaurav) क्लोन का जन्म “उत्कृष्ट भैंस के जर्मप्लाज्म के संरक्षण एवं गुणन हेतु क्लोनिंग” नामक परियोजना के तहत कराया गया।