हिमाचल प्रदेश के लोक गीत बहुत मधुर और आनंददायक हैं। इन लोक-गीतों का विषय सामान्य जीवन से लेकर इतिहास, धर्म, पुराण आदि सभी से संबंधित हो सकता है। परन्तु प्रायः गाए जाने वाले लोक-गीत प्रेम, वीर-गाथाओं, देव-स्तुतियों, ऋतु-प्रभात और सामाजिक बंधनों, सामाजिक उत्सवों आदि से सम्बन्धित हैं। हर्ष और वेदना दोनों की इनमें अनुभूति होती है। ये लोक-गीत एकल, युगल या सामूहिक रूप से गाए जाने वाले हैं। रचयिता कोई गायन विशेषज्ञ नहीं बल्कि ये किन्हीं सरस ह्रदय से निकली स्वच्छन्द लयात्मक आवाज है। किसी भी उत्सव, त्यौहार या मेले में गाते समय स्थानीय वाद्य यंत्रों का गायन के साथ प्रयोग किया जा सकता है।
1. बिहाइयां (Bihaiyan)-
हिमाचल प्रदेश में जन्म तथा विवाह सम्बन्धी लोक गीत अति प्रसिद्ध हैं। जन्म, नामकरण, मुण्डन आदि संस्कारों के समय गाए जाने वाले गीतों को ‘बिहाइयां‘ कहते हैं।
2. सुहाग (Suhag):
कन्या के विवाह के समय गाये जाने वाले लोक गीतों के ‘सुहाग‘ कहते हैं।
3. घोड़ी (ghodi):
विवाह की रस्म पूरी होने के बाद विदाई गीत गाये जाते हैं, इन रस्मो को कांगड़ा में घोड़ी कहा जाता है। विवाह सम्बन्धी कुछ अन्य गीतों को ‘सेठणियां‘ भी कहते हैं।
4. कुंजू-चंचलो (Kunju-Chanchlo):
हिमाचल में श्रृंगार रस के लोकगीतों का भी विशेष महत्त्व है। कुल्लू और कांगड़ा के प्रेम गीत कुंजू-चंचलो (Kunju-Chanchla) हिमाचल में उसी प्रकार से विख्यात हैं, जिस प्रकार हीर-रांझा के प्रेम गीत हैं। ये गीत प्रेम की प्रबल भावनाओं से ओतप्रोत हैं।
5. झुरी गीत (Jhuri Geet):
सिरमौर के श्रृंगार रस से भरे झुरी गीत (Jhuri Geet) कोमल भावनाओं को प्रस्तुत करते हैं। झूरी पहाड़ी भाषा के झूर शबद् का स्त्रीलिंग है जिसका अर्थ अनुभव करना होता है। वास्तव में ‘झुरी गीत’ विरह गीत होते हैं। मण्डी में “सिराज की दासी” नामक लोकगीत प्रसिद्ध है जो की एक झुरी गीत है।
6. पिंगा दे गीत (Pinga da Song):
सावन के महीने में बिलासपुर में झूलों के गीत गाये जाते हैं तथा घर-घर में झूले डाले जाते हैं। इन झूलों के गीतों, को “पिंगा दे गीत” कहा जाता है।
7. छींजे (Chhinje):
छींजे हिमाचल का एक प्रसिद्ध ऋतु गीत है। चैत्रमास में वर्षा के आरम्भ होने पर यह गीत मण्डी के घर-घर में गूंज उठते हैं। छींजे चैत्र संक्रान्ति से लेकर मास के अन्त तक गाये जाते हैं।
8. युगल गीत (Couple Song:):
गम्भरी, बालो तथा झंज्युटी आदि बिलासपुर के प्रसिद्ध लोक-गीत हैं। ये युवक-युवतियों के मध्य युगल गीत के रूप में गाए जाते है।
9. वीर पुरुषों की गाथा:
सिरमौर का “हार” और बिलासपुर, कांगड़ा व मंडी का “झेड़ा” ऐसे लोक गीत हैं जिनमें वीर पुरुषों की गाथा का गायन किया जाता है।
10. समूह गान (Group song):
किन्नौर और लाहौल-स्पीति के अपने लोक-गीत हैं, जिनका अधिकतर रूप समूह गान में ही देखने को मिलता है।
Note: यदि कोई लोक गीत छूट गया हो या गलत हो कृपया कमेंट करे, आपका सुझाव हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
आपने बहुत ही अच्छी जानकारी दी है, बहुत अच्छे तरीके से हर बात को समझाया है।
आपकी हरेक बात आसानी से समझ में आ गई है।
धन्यवाद…
कुंजवा लोकगीत
कुंजवा लोकगीत ki koi bhi video hai youtube per jisme ye pura gana likha aur gaya hai agar hai to please link share kar diigiye
पहाड़ी नाटी इनमें से कौनसे गीत मैं आती हैं।
Nati Himachali folk dance hai.
Place k according Nati k step hote hai.(Ex. Kulluvi nati, Shimla ki Nati, Sirmouri Nati etc.) Place k local Folk song pr Nati (Dance) kiya jata hai. Pr wo folk song kuch b ho skta h Dharmik b or kisi purani story pr based bhi.
Nice
Good
Ha ek giit he he jo hm jo sunna chate he
Sullah di chokriya jo koi na biyanda khsma diyo marain