हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा विधायी निकायों में एंग्लो-इंडियन के लिए आरक्षण को हटाने को मंजूरी दी है।
- लोकसभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए दो सीट और राज्यसभा में एक मनोनीत सीट आरक्षित की गयी है, ताकि निर्वाचित विधायी निकायों में एंग्लो-इंडियन समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
- एंग्लो-इंडियन समुदाय धार्मिक, सामाजिक और साथ ही भाषाई अल्पसंख्यक हैं।
- 95 वें संशोधन, 2009 के द्वारा एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए विधायी निकायों में आरक्षण को वर्ष 2020 तक बढ़ा दिया गया था। मूल रूप से, इस प्रावधान 1960 तक कार्य करना था।
संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions)
अनुच्छेद 331: राष्ट्रपति एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को लोकसभा में मनोनीत कर सकते हैं यदि लोकसभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
अनुच्छेद 333: यदि किसी राज्य के राज्यपाल का यह लगता है कि एंग्लो इंडियन समुदाय को राज्य की विधानसभा में प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है और राज्य की विधानसभा में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, तो राज्यपाल द्वारा एंग्लो इंडियन समुदाय के एक सदस्य को विधानसभा में मनोनीत कर सकता है।
अनुच्छेद 334 (B): इस अनुच्छेद के माध्यम से विधायी निकायों में एंग्लो इंडियन समुदाय के आरक्षण को वर्ष 1949 में 40 साल के लिए बढ़ा दिया गया था।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338): यह एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए संवैधानिक और अन्य कानूनी सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जांच करता है और राष्ट्रपति को उनके काम करने की रिपोर्ट देता है।